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उद्यान विकसित कर मिसाल प्रस्तुत की, पतंजलि के स्वामी भी आकर अवलोकन कर गये हैं उद्यान का


पर्यावरण सुरक्षा पर विशेष लेख 
वृक्ष सृष्टि में रातदिन, करते हैं उपकार। नक्षत्रों के दोष को पल में मेटनहार॥, सेवा निवृत्त पर्यावरण प्रेमी ने औषधीय पौधों का 

उज्जैन |  जब उनकी उम्र 48 वर्ष थी, तब उन्होंने निर्णय लिया कि शासकीय सेवा छोड़कर पर्यावरण के लिये ऐसा कार्य किया जाये, जिससे देशवासियों की सेवा की जा सके। आज 62 वर्ष में मप्र पुलिस से रिटायर्ड श्री जेपी चतुर्वेदी ने 400 अत्यधिक दुर्लभ औषधीय पौधे लगाकर पर्यावरण रक्षा की अनूठी मिसाल प्रस्तुत की है।
   उज्जैन के महाशक्ति नगर स्थित मधुवन कॉलोनी में जहां श्री जेपी चतुर्वेदी (मोबाइल नम्बर 7999513916) का मकान है, उसी के सामने कॉलोनाइजर ने पार्क के लिये जो जमीन छोड़ी थी, उस जमीन को उन्होंने औषधीय पौधों से हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया। इसके लिये उन्होंने भारतवर्ष के अनेक प्रान्तों में भ्रमण कर विभिन्न प्रकार की वनौषधियों के पौधों का संग्रह कर हरी-भरी नर्सरी लगाई। अपनी सीमित आय से यह कार्य करना आसान नहीं था, इसलिये जनप्रतिनिधियों व शासकीय विभागों की मदद ली।
   वन विभाग ने मधुवन कॉलोनी के पार्क में वायर फेंसिंग करा दी। वार्ड के तत्कालीन पार्षद श्री बीनू कुशवाह ने बगीचे को लोहे के गेट से सुरक्षित कर लोगों के बैठने के लिये स्टील बेंच प्रदान की। विधायक डॉ.मोहन यादव ने पानी की आवश्यकता को देखते हुए एक बोर खनन करा दिया और नगर निगम ने बिजली की व्यवस्था कर दी। तराना क्षेत्र के तत्कालीन विधायक श्री माधव प्रसाद शास्त्री भी इस वनौषधि उद्यान के चश्मदीद बने।
   आज इस उद्यान में करीब 400 औषधीय पौधे हैं, जो कि विक्रम विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के छात्रों, वेदविद्या प्रतिष्ठान के विशेषज्ञों और नगर के आयुर्वेद विशेषज्ञों के लिये अनुसंधान व उपचार के लिये आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। नगर के ऐसे लोग भी यहां नर्सरी का लाभ अपने घर-पार्क के लिये वनौषधि रोपण के लिये लेते हैं।
   श्री चतुर्वेदी बताते हैं कि वे मप्र पुलिस विभाग में शाजापुर की मोटर ट्रैफिक विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने रिटायरमेंट के 12 वर्ष पूर्व ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर इस उद्यान को ही अपने जीवन का आधार बनाया है। घर पर ही औषधीय पौधों के अध्ययन के लिये आवश्यक पुस्तकें क्रय कर द्रव्य गुणधर्म का ज्ञान लेकर प्रयोगशाला भी बनाई। देश के अन्य प्रान्तों में भी वे औषधीय पौधों का ज्ञान प्रकाश करते हैं। वे भारतवर्ष के कई प्रान्तों के नर्सरी और सुदूर जंगलों की यात्रा अपने व्यय से अकेले ही करते रहे और अभी तक सभी जगहों से लाये करीब 400 दुर्लभ औषधीय पौधों का रोपण किया है। उन्होंने बताया कि महर्षि पतंजलि आश्रम हरिद्वार से भी बाबा रामदेव के गुरूभाई स्वामी मुक्तानन्द महाराज भी अपने चार विशेषज्ञों के साथ इस उद्यान को देखने आये थे और उन लोगों ने इस प्रयास की सराहना की। इस उद्यान का नाम श्री धन्वंतरि उद्यान है।
"अमृत बांट करें विषपान-पेड़ स्वयं शंकर भगवान"

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