पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर बैन के आदेश को निरस्त करने के फैसले की सराहना
उज्जैन। 28 फरवरी को झारखंड सरकार द्वारा आइएस से कथित संबंधों का आरोप लगाते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर बैन लगा दिया गया था। सरकार के इस आदेश को झारखंड हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया है। उज्जैन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ अन्य संस्थाओं ने हाईकोर्ट के इस फैसले की सराहना की है।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया उज्जैन के जमील शेख ने बताया कि झारखंड हाइकोर्ट ने सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसके तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाया गया था। पीएफआइ झारखंड चैप्टर के महासचिव अब्दुल बदूद की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की बदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। झारखंड सरकार ने 28 फरवरी को आतंकर संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) से कथित संबंधों का आरोप लगाते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाया था। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पाकुड़ में सक्रिय है। याचिका में पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1908 की धारा 16 के तहत पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाया है। यह धारा 1932 से अस्तित्व में नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए कहा गया था कि इसमें सभी को बोलने और लिखने का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है। सरकार ने शोकॉज किये बिना संस्था पर सीधे प्रतिबंध लगा दिया। सरकार के पास प्रतिबंध लगाने के पर्याप्त सबूत भी नहीं है। पीएफआइ गरीबों के उत्थान को लेकर काम करती है।