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संभाग के अभियोजन अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित


ujjain @ किसी भी मामले में न्यायालय के समक्ष आने के बाद आरोपी सजा से बचना नहीं चाहिए। इसके लिए पुलिस की विवेचना, गवाहों के बयान और हर सबूत को आत्मिक विश्वास के साथ न्यायालय में पेश किया जाए। पॉक्सो एक्ट में हुए नए संशोधनों के बाद अब बच्चियों से दुष्कर्म वाले आरोपी को फांसी की सजा दिलाना ही हमारा मकसद है। यह बात संचालक अभियोजन एवं पुलिस महानिदेशक राजेंद्र कुमार ने शनिवार को पुलिस कंट्रोल रूम पर संभाग के अभियोजन अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा बैठक में कही।
उन्होंने बैठक में निर्देश दिए कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ हुए लैंगिक अपराध के मामलों में फांसी की सजा दिलवाएं। मजिस्ट्रेट न्यायालयों में सजा का प्रतिशत बढ़ाइए और न्यायालय आने वाले गवाहों की सुरक्षा करें। ऐसे अपराधी जो न्यायालय में पूर्व में दोष सिद्ध हो चुके हैं उनका रिकाॅर्ड प्रकरण में संलग्न करें चालान पेश होने के बाद अभियोजन की जिम्मेदारी हैं कि आरोपी को उसकी मुकम्मल सजा तक पहुंचाए। पुलिस की विवेचना का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर आरोपी के मंसूबों को समझे। गवाहों को बेखौफ कोर्ट में आने के लिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। समय-समय पर गवाहों के बयान करवाएं। साक्ष्यों के साथ सबूत पेश करें। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रकरणों का हवाला देकर अपने प्रकरणों पर तर्क प्रस्तुत करें। कोर्ट को अपराधी को सजा दिए जाने के लिए तथ्यों के साथ कन्वेंस करें।  प्रेस से कुमार ने कहा दुष्कर्म के मामले में मप्र की अभियोजन अधिकारियों ने बेहतर काम किया है। मध्यप्रदेश पहला प्रदेश है जहां पाॅक्सो एक्ट के तहत 8 आरोपियों को फांसी की सजा तक पहुंचाया गया। ये कानून में संशोधन, प्रदेश की पुलिस और अभियाेजन की टीम वर्क का नतीजा है। 

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