आचार्य श्री तीर्थों की रक्षा नहीं करते, तो हम उनकी ऐतिहासिकता से परिचित नहीं होते
खाराकुआं पेड़ी उपाश्रय में मनी आचार्य सागर आनंदपुरी की 144वीं जन्म जयंती, गुरु गुणानुवाद कर उनको बताए मार्ग पर चलने का दिया संदेश
उज्जैन। जैन समाज के विशाल गछ सागर समुदाय के सर्वोच्च आचार्य सागर आनंद सुरेश्वरजी महाराज साहब की 144वीं जन्म जयंती गुरु गुणानुवाद सभा के रूप में मनाई गई। खाराकुआं पेढ़ी मंदिर उपाश्रय में आयोजित सभा में साध्वी वर्या पुण्ययशा श्रीजी ने कहा कि आचार्य सागरानंद सुरिश्वरजी ने सम्मेद शिखर तीर्थ सहित देश के कई प्राचीन तीर्थों की रक्षा का बीड़ा उठाया था यदि वह उस दौर में सिर्फ रक्षा के लिए समर्पित नहीं होते तो शायद हम आज उन तीर्थों की ऐतिहासिकता से परिचित नहीं हो पाते। जिन शास्त्र के प्रमुख आदमी का उद्धार भी आपने ही किया है। तब यह नहीं हुआ होता तो आज की पीढ़ी आगम के संदेशों को जान ही नहीं पाती। साध्वी सुरेखा श्रीजी ने मांगलिक का श्रवण कराया। बतौर मुख्य वक्ता समाजसेवी डॉ. चित्रा जैन ने आचार्य श्री के जन्म से लेकर समाधि कालधर्म तक के प्रसंगों का सजीव वर्णन किया और कहा कि गुरु का गुणानुवाद तो हम हर साल करते हैं लेकिन यदि हम उन गुणों का अनुसरण करें तब ही यह आयोजन सार्थक है। इस मौके पर श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी ट्रस्ट की ओर से उनका शाल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया। सर्वप्रथम आचार्य श्री के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस मौके पर नवरत्न महिला मंडल, ममता जैन खलीवाला, सुरेंद्र तरवेचा ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किए। समाज के गौतमचंद धींग, नरेंद्र तरवेचा, कनकमल खाबिया व बालक तनिश मारू ने भी अपने विचार रखें। पेढ़ी ट्रस्ट के सचिव जयंतीलाल जैन तेलवाला के अनुसार गुणानुवाद सभा में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल रहे और लड्डू की प्रभावना नेमीचंद इंदर मल भंसाली परिवार की ओर से वितरित की गई। रविवार को श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ के 30 तेला तप आराधकों का पारणा पेढ़ी उपाश्रय पर होगा। सभा का संचालन राहुल कटारिया ने किया व आभार रमणलाल जैन ने माना। इस मौके पर संजय जैन ज्वेलर्स, नरेंद्र तरसिंग, प्रकाश नाहर, प्रेम चौरड़िया, संतोष सर्राफ, दिलीप सिरोलिया, बाबूलाल बिजलीवाला, संजय जैन खलीवाला, प्रमोद जैन, राजेश डगवाला, राकेश नाहटा सहित बड़ी संख्या में समाज जन मौजूद रहे।