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श्री भक्तांबर महास्त्रोत्र का हुआ सामूहिक पाठ


उज्जैन। सागरानंद सूरीश्वरजी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में शनिवार प्रातः 6ः30 बजे गच्छाधिपति नित्यसेन सूरीश्वरजी आदि श्रवण मंडल की निश्रा में श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआं केसरियाजी जिन मंदिर में श्री भक्तांबर महास्त्रोत्र का सामूहिक पाठ हुवा। अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद मध्यप्रदेश प्रांतीय पदाधिकारी संयम वंदन यात्रा के अंतर्गत उज्जैन में आये और दर्शन वंदन किये।
श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी के अनुसार इस अवसर पर नमकमंडी स्थित पुण्य सम्राट प्रवचन मण्डप में चातुर्मास के अंतर्गत चल रहे प्रवचन में गच्छाधिपति आचार्य नित्यसेनसुरीश्वरजी ने कहा कि मुश्किल से मिला यह मनुष्य जीवन और उसकी सार्थकता को समझें। जो ज्ञान की गंगा में स्नान करते हैं, वह अपने जीवन को शुद्ध और निर्मल करते हैं। उन्होंने एकता की ओर जोर देते हुए कहा कि एकता से समाज मजबूत बनता है और प्रगति करता है। मुनिराज सिद्धरत्न विजयजी ने कहा कि निष्काम भाव से किया गया दान से अनंत सुख की प्राप्ति होती है। व्यक्ति का व्यवहार ही उसकी पहचान होता है। पुण्य-पाप का चिंतन करें और हमारे जीवन में किसका उपार्जन ज्यादा है वह सोचे और पुण्यानुबंधी पुण्य का बंध हो ऐसा कार्य करे।’ महापुरुषों का जीवन चरित्र हमारे जीवन को पवित्र करता है, इसलिए उनके कथानक सुनने चाहिए और उनके जीवन के आदर्श लेने चाहिए। मुनिराज प्रशमसेन विजयजी ने कहा कि हमारे जीवन में सबसे बड़ा शत्रु कोई है तो वह क्रोध है, क्रोध व्यक्ति के व्यवहारिक जीवन को खराब कर देता है और आध्यात्मिक जीवन में भी आत्म उन्नति में भी बाधक बनता है।’ क्रोधी स्वभाव के इंसान आसपास के वातावरण को भी दूषित करता है, जबकि शांत स्वभावी परिवार और समाज में भी स्वर्ग जैसा माहौल बनाता है। ऐसे आत्मा को कलुषित करने वाले क्रोध से बचे।

 

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