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जब जीवन संगिनी ने साथ छोड़ दिया, तब असंगठित मजदूर कल्याण योजना ने दिया सहारा


 

उज्जैन । 47 वर्षीय महेश दुबे इंगोरिया में निवास करते हैं। महेश और उनकी पत्नी सरोज आसपास के गांवों में मेहनत मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। परिवार में एक 12 वर्ष का बालक भी है। हाल ही में उज्जैन में आयोजित हितग्राही सम्मेलन में जब महेश प्रमाण-पत्र लेने के लिये आये तो अपनी आपबीती बताते हुए सिसक उठे। उनकी पत्नी सरोज  पिछले कुछ समय से कैंसर की बीमारी से पीड़ित थी। पत्नी का बहुत जगह इलाज कराया, परन्तु सब जगह निराशा ही हाथ लगी।

अन्त में डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था कि उनका जीवन नहीं बचाया जा सकता है। हर क्षण वे अपनी पत्नी को तिल-तिल मरता हुआ देख रहे थे। उनकी पत्नी मानसिक रूप से मृत्यु के लिये तैयार हो चुकी थी। जितनी तकलीफ उनकी पत्नी को हो रही थी, उतनी ही पीड़ा महेश भी महसूस कर रहे थे। इसीलिये क्योंकि गरीबी के कारण अपनी पत्नी का सही तरीके से अन्तिम संस्कार तक करने में वे असमर्थ थे और एक दिन वह मनहूस पल भी आया, जब उनकी जीवन संगिनी ने उनका साथ हमेशा के लिये छोड़ दिया। ऐसे में मुख्यमंत्री असंगठित श्रमिक कल्याण योजना ने महेश को सहारा दिया। उन्होंने और उनकी पत्नी ने इस योजना के तहत कुछ माह पहले अपना पंजीयन कराया था।

पत्नी की मृत्यु के बाद शासन द्वारा अन्त्येष्टि सहायता योजना के तहत 15 हजार रूपये की राशि तत्काल उन्हें प्रदाय की गई, ताकि पत्नी के अन्तिम सफर में किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी उन्हें न हो और इसके बाद केवल 15 दिनों के अन्दर उन्हें शासन की ओर से 2 लाख रूपये की सहायता राशि मुहैया कराई गई। महेश कहते हैं कि जो उनके साथ हुआ, वह ईश्वर किसी के साथ न करे, लेकिन मुख्यमंत्री असंगठित श्रमिक कल्याण योजना ने सबसे मुश्किल वक्त में उन्हें सहारा दिया है। इसके लिये वे और उनका बालक मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को आत्मीय धन्यवाद देते हैं।

 

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