सितार और गिटार को मिलाकर बनाया जितार, आज महाकाल को सुनाएंगे
Ujjain @ मुंबई के सितार वादक निलाद्री कुमार ने सितार और गिटार को मिलाकर नया वाद्य यंत्र जितार बनाया है। रविवार को श्रावण महोत्सव की दूसरी शाम वे सितार के साथ जितार भी भगवान महाकाल को सुनाएंगे। महाकाल प्रवचनधाम में शाम 7 बजे से होने वाले महोत्सव में इंदौर की श्रुति शर्मा एवं समूह की भरत नाट्यम की प्रस्तुति भी होगी, जिसमें सामाजिक संदेश दिया जाएगा।
वरदा कला संस्थान इन्दौर 20 साल से भरतनाट्यम के प्रचार-प्रसार एवं प्रस्तुतिकरण में अग्रणी है। संस्थान 113 से अधिक प्रस्तुतियां दे चुका है। संस्थान की निदेशिका श्रुति शर्मा के अनुसार उनकी संस्था देश-विदेश में प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुति दे चुकी है। वे स्वयं वास्तुविद होने के साथ संगीत प्रभाकर की उपाधि प्राप्त हैं। वरदा कला संस्थान सामाजिक समरसता, नारी सम्मान, मातृभूमि प्रेम, भ्रूण हत्या, अंगदान, पर्यावरण संरक्षण, बाल अधिकार जैसे मुद्दों पर नृत्य के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने में जुटी है।
निलाद्री ने पिता पं. कार्तिक कुमार से सितार की शिक्षा ली। 6 वर्ष की उम्र में पांडिचेरी में पहली प्रस्तुति दी तथा 15 वर्ष की उम्र में पिता के साथ एलबम जारी कर दिया। उन्होंने मॉडिफाइड म्युजिक इंस्टूमेंट जिंतार तैयार किया है। यह सितार और गिटार का मिलाजुला रूप है।