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यह स्थान पचमढ़ी को भी मात दे रहा है –श्री दिवाकर नातू


 

शिप्रा शुद्धीकरण न्यास के सदस्यों ने किया शिप्रा किनारे वृक्षारोपण का अवलोकन

    उज्जैन । यह स्थान इतना प्राकृतिक एवं सुरम्य हो गया है कि यह पचमढ़ी को भी मात दे रहा है। तीस वर्ष पहले जब मैं यहां आया था तो कुछ नहीं था, आज यह एक बेहतरीन ईको टूरिज्म सैन्टर का रूप ले चुका है, जहां जैव विविधता के साथ ही विभिन्न प्रजातियों के पक्षी भी आने लगे हैं। यहां एक बार सैर करने जरूर आएं।

    सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू ने ये विचार आज मंगलवार को वन विभाग द्वारा शिप्रा किनारे त्रिवेणी के पास विकसित किए गए उपवन का शिप्रा शुद्धीकरण न्यास के सदस्यों द्वारा अवलोकन के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने इसके लिए वन विभाग उज्जैन को साधुवाद दिया। शिप्रा शुद्धीकरण न्यास के सदस्यों की वृक्षारोपण में सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से आज उन्हें शिप्रा किनारे वन विभाग द्वारा किए गए वृक्षारोपण का अवलोकन कराया गया। अवलोकन के लिए दल 2 बसों द्वारा सिंहस्थ मेला कार्यालय से पूर्वाह्न 11 बजे रवाना हुआ तथा दोपहर 2.30 पर वापस लौटा। दस दौरान दल ने त्रिवेणी में शान्तिधाम के पास किए गए वृक्षारोपण एवं गऊघाट के पास किए गए वृक्षारोपण का अवलोकन किया।  गऊघाट पर न्यास के सदस्यों द्वारा पौधे रोपे गए तथा वहां ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन एवं संभागायुक्त श्री एमबी ओझा की उपस्थिति में जागरूकता सभा का भी आयोजन भी किया गया।

    अवलोकन के दौरान सिंहस्थ मेला प्राधिकरण अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू, श्री इकबालसिंह गांधी, समाजसेवी श्री सुरेन्द्रसिंह अरोरा, श्री राजीव पाहवा, श्री योगेन्द्र गिरी, श्रीमती पुष्पा चौरसिया, श्री गोपाल यादव, श्री अनन्तनारायण मीणा, श्री गोविन्द खंडेलवाल, डॉ.विमल गर्ग, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री संदीप जीआर, श्री घनश्याम शर्मा, श्री शुभकरण शर्मा, रेंजर श्री गयाप्रसाद मिश्रा, श्री उदयराज पंवार, शिप्रा शुद्धीकरण न्यास के सभी सदस्य व सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

त्रिवेणी अर्थात 'ऑक्सीजन प्यूरीफायर'

    अवलोकन के दौरान पेड़ों का महत्व बताते हुए वन मण्डलाधिकारी श्री पीएन मिश्रा ने बताया कि हर वृक्ष ऑक्सीजन देता है। पेड़ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड खींचता है और ऑक्सीजन छोड़ता है। जितनी तेजी से ये बढ़ता है, उतनी तेजी से कार्बन खींचता एवं ऑक्सीजन छोड़ने का कार्य करता है। पीपल, बरगद, नीम जिसे त्रिवेणी कहा जाता है, अत्यधिक ऑक्सीजन छोड़ते हैं, ये 'ऑक्सीजन प्यूरीफायर' का कार्य करते हैं। बांस का पौधा तेजी से बढ़ता है और ऑक्सीजन छोड़ता है।

शिप्रा को सदानीरा बनाएगा वृक्षारोपण

    श्री मिश्रा ने बताया कि शिप्रा को सदानीरा बनाना है तो उसके किनारों पर अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। वृक्ष मिट्टी को पकड़कर रखता है, जिससे मिट्टी का कटाव रूकता है। मिट्टी का कटाव रूकने से पानी भी रूकता है। इसके अलावा वृक्ष उस स्थल के जलस्तर को ऊंचा बनाए रखता है। जितने अधिक वृक्ष लगेंगे उतना आसपास पानी रूकेगा और नदी में पानी का स्तर बढ़ेगा।

 

 

सघन वृक्षारोपण का अवलोकन किया

भ्रमण के दौरान दल ने प्रारम्भ में इंजीनियरिंग कॉलेज की भूमि पर सेन्ट्रल स्कूल के सामने किए गए वृहद वृक्षारोपण का अवलोकन किया। वन विभाग द्वारा यहां पर 1 हेक्टेयर में पहली बार जापानी पद्धति से सघन वृक्षारोपण किया गया है। 15 लाख 85 हजार रूपये की लागत से 4 हजार 356 पौधे रोपे गए हैं, जो आज सघन वन का रूप ले चुके हैं। यहां पर बड़, पीपल, इमली, महुआ, सेमल, आम, नीम, जामुन, पाखर, कटहल, शहतुत, बेलपत्र, सुरजना, खमेर, हरसिंगार, करोंदा, नींबू, अमरूद, तुलसी, शतावरी, गवारपाठा, अश्वगंधा, कोंच, अलसी आदि का रोपण किया गया है। एक हेक्टेयर क्षेत्र को 4 खण्डों में बांटते हुए क्षेत्र में मध्य में 8 मीटर चौड़ाई का निरीक्षण पथ बनाया गया है। क्षेत्र के चारों ओर भी 2 मीटर चौड़ाई में पैदल पथ निर्मित किया गया है। इंजीनियरिंग कॉलेज की भूमि पर किए गए सघन वृक्षारोपण को देखकर शिप्रा शुद्धीकरण न्यास के सदस्यों ने अत्यन्त प्रसन्नता व्यक्त की।                    

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