वैज्ञानिकों ने किया नैदानिक निरीक्षण
उज्जैन । कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन एवं किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा कृषकों के खेतों पर संयुक्त भ्रमण किया गया। इस दौरान क्षेत्र की फसलों का अवलोकन एवं कीट बीमारी की स्थिति का जायजा लिया। कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ.आरपी शर्मा, श्री डीके सूर्यवंशी व कृषि विभाग के श्री बीएस अर्गल ने कृषक श्री रतनलाल पंचाल, श्री राधेश्याम कुमावत, श्री रमेश बैरागी, श्री रवि चौधरी एवं श्री तेजू ग्राम कोठड़ी बड़नगर के खेतों का निरीक्षण किया। निरीक्षण में कृषक श्री रतनलाल पंचाल के खेत में गरदनी गलन/सड़न (कॉलर रॉट) बीमारी का प्रकोप कहीं-कहीं देखा गया। यह बीमारी अधिक नमी होने पर होती है। तने का निचला हिस्सा जो जमीन से लगा होता है, वहां फफूंद हल्के भूरे रंग की दिखाई देती है। इसके प्रबंधन हेतु कार्बेंडाजिम व थायरम अथवा मेटालेक्जिल व मेंकोजेब की 2.5 से 3.0 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करने की सलाह दी गई। साथ ही खेत से पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया।
किसान भाईयों को सलाह
किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाईट ग्रब (सफेद लट) का प्रकोप देखने में आ रहा है, वहां ईमीडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 300 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा जैविक कीटनाशक ब्यूवेरिया बेसियाना/मेटाराइजियम एनआई सोपली 1 किलो प्रति हेक्टेयर या क्लोरपाइरीफॉस 10 जी 20 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।
जिन स्थानों पर गर्डल बिटल का प्रकोप शुरू हो गया है, वहां पर थाइक्लोप्रिड 21.7 एफसी 650 मिली अथवा ट्राइजोफॉस 40 ईसी 800 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। फसल की सतत निगरानी करते हुए तंबाकू की इल्ली अथवा बिहार की रोंएदार इल्ली के समूह द्वारा ग्रसित पत्तियों/पौधों को पहचान कर नष्ट करें। पत्ती खाने वाली इल्लियों के लिये पूर्वमिश्रिम कीटनाशक बीटासायफलूथ्रिन और इमिडाक्लोप्रिड 3.5 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा थाइमिथॉक्सम और लेंबडासायहेलोथ्रिन 125 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। इस उपाय से तना मक्खी एवं रस चूसने वाले कीट जैसे- सफेद मक्खी का भी नियंत्रण होगा। भ्रमण दल ने अंबोदिया, सिलौदा, नईखेड़ी एवं रातड़िया आदि गांवों की सोयाबीन, मक्का, अरहर आदि फसलों का अवलोकन किया एवं फसलों में किसी भी प्रकार की गंभीर कीटव्याधि का प्रकोप नहीं पाया।