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प्रदेश में भी पंचायतों को कर वसूल करने की आदत बनाना होगी –श्री हिम्मत कोठारी


दक्षिणी राज्यों में पंचायतीराज संस्थाओं की आय अधिक है

उज्जैन । पांचवे राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी ने कहा है कि दक्षिणी राज्यों में पंचायतीराज संस्थाओं की कर-वसूली हमारे राज्यों की अपेक्षा अधिक है। दक्षिणी राज्यों में पंचायतों को वार्षिक 300 करोड़ रूपये से अधिक आय होती है, वहीं प्रदेश में यह आय 60 लाख से अधिक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में सुधार की आवश्यकता है। प्रदेश में पंचायतों को कर वसूलने की आदत बनाना होगी, जिससे कि वे आत्म निर्भर बनकर जनता की सेवा कर सकें। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों को गैर-जरूरी कामों में लगा दिया जाता है, इस कारण वे पंचायतों का काम ठीक से नहीं कर पाते हैं। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि व प्रशासन में बेहतर तालमेल होना चाहिये। उन्होंने कहा कि राज्य वित्त आयोग इस बात की पड़ताल करने निकला है कि बेहतर व्यवस्था के लिये और क्या किया जा सकता है।

श्री हिम्मत कोठारी ने कहा कि जिला पंचायत के सदस्यों को व्यवस्थित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये, जिससे कि वे इन संस्थाओं का संचालन ठीक से कर सकें। पंचायतीराज संस्थाओं की बैठकें समय पर हों, सचिव अपने कार्य को कुशलतापूर्वक करें और आम आदमी को मूलभूत सुविधाएं, जिनमें सड़क, बिजली, पानी शामिल हैं, मुहैया कराई जायें, यह आवश्यक है। श्री कोठारी ने कहा कि ग्राम पंचायतों में होने वाले अच्छे कामों का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिये। इसके लिये सफलता की कहानियों की पुस्तिका प्रकाशित होना चाहिये। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में ग्राम पंचायतों में अनेक उल्लेखनीय कार्य हो रहे हैं और प्रदेश विकासशील प्रदेश की श्रेणी में आ गया है।

प्रारम्भ में राज्य वित्त आयोग की त्रिस्तरीय पंचायत के प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ आयोजित कार्यशाला का शुभारम्भ अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी, संभागायुक्त श्री एमबी ओझा, कलेक्टर श्री मनीष सिंह एवं राज्य वित्त आयोग के सचिव श्री मिलिन्द वाइकर ने दीप प्रज्वलन कर किया।

राज्य वित्त आयोग की बैठक में शामिल हुए ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन ने कहा कि पंचायतों द्वारा ग्रामीणों का सहयोग लेकर कई अच्छे काम किये जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जब वे मंदसौर जिले के प्रभारी मंत्री थे, तब वहां पर गर्मी में जन-सहयोग से तालाब का गहरीकरण किया गया था और मात्र 50 रूपये में एक ट्रॉली उपजाऊ मिट्टी किसानों को उपलब्ध करवाई गई थी। श्री जैन ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में निर्णय लेकर विधवा पेंशन के लिये बीपीएल की पात्रता समाप्त कर दी है। मंत्री श्री जैन ने कहा कि धार्मिक स्थलों के आसपास बाउंड्री वाल बनाये जाना चाहिये। उन्होंने बैठक में मौजूद जिला एवं जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से आग्रह किया कि वे मुख्यमंत्री संबल योजना का क्रियान्वयन गंभीरता से करें। प्रदेश द्वारा इस योजना को लागू कर गरीबों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक इस योजना के तहत 2 हजार करोड़ रूपये के बिजली के बिल माफ कर दिये गये हैं। मंत्री श्री जैन ने कहा कि धार्मिक स्थानों पर अतिक्रमण नहीं होने चाहिये।

राज्य वित्त आयोग की कार्यशाला में संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने कहा कि ग्राम पंचायतों से ग्रामीणों की अपेक्षाएं अत्यधिक बढ़ गई हैं। कई बार ग्राम पंचायतों के पास संसाधन सीमित होने के कारण वे मूलभूत कामों को भी ठीक ढंग से नहीं करा पातीं। अब समय आ गया है कि ग्राम पंचायतों को स्वयं के संसाधनों को विकसित करते हुए आमजन को सुविधाएं उपलब्ध कराना होंगी। साथ ही राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सहायता का कितना सदुपयोग हो रहा है, इस पर भी नजर रखने की आवश्यकता है।

कार्यशाला में उज्जैन कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने सुझाव दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाली व्यावसायिक संरचना, जिसमें, होटल, रिसॉर्ट एवं फैक्टरी आदि शामिल हैं, से सम्पत्ति कर वसूल किये जाना चाहिये। उन्होंने उज्जैन शहर का उदाहरण देते हुए बताया कि रूद्राक्ष जैसा लक्झरी होटल ग्रामीण क्षेत्रों में आता है और इससे ग्राम पंचायत किसी भी तरह का टैक्स वसूल नहीं कर रही है। कलेक्टर ने कहा कि सरपंचों को प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्र में टैक्सेशन के लिये सैल्फ असेसमेंट प्रक्रिया लागू की जाना चाहिये। कलेक्टर ने कहा कि स्वच्छता जैसे कार्यक्रम में पंचायतों के पास धनराशि उपलब्ध नहीं रहती है। न तो पंचायतें वाहन खरीद सकती हैं और न ही वाहन ग्रांट पर देने के बाद उसको मेंटेन कर सकती हैं। कलेक्टर ने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं में काम करने वाले अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों में बेहतर तालमेल हो, तभी अच्छे परिणाम आयेंगे। अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों को भी समन्वय के लिये प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। कलेक्टर ने कहा कि पंचायतों में कर वसूली के लिये मांग ही कायम नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि कर वसूली के लिये एक पृथक से पोर्टल भी तैयार किया जा सकता है।

बैठक में राज्य वित्त आयोग के सचिव श्री मिलिन्द वाइकर ने बताया कि अब तक 5 राज्य वित्त आयोग गठित हो चुके हैं, इनके द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं को राज्य की आय से दिये जाने वाली धनराशि की अनुशंसाएं की गई हैं। प्रथम वित्त आयोग द्वारा 3.4 प्रतिशत, द्वितीय वित्त आयोग द्वारा 4 प्रतिशत, तृतीय वित्त आयोग द्वारा 5 प्रतिशत एवं चतुर्थ वित्त आयोग द्वारा 7.5 प्रतिशत आय का हिस्सा पंचायतीराज संस्थाओं को देने की अनुशंसा की गई है। उन्होंने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं द्वारा कर्मकार मण्डल की योजनाओं का संचालन किया जाता है। इसके लिये होने वाले प्रबंधकीय व्यय की मांग राज्य शासन से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में केवल एक खाता होना चाहिये, जिससे कि आय का एकीकरण हो सके। श्री वाइकर ने बताया कि राज्य वित्त आयोग का गठन प्रदेश के राज्यपाल करते हैं। जिस प्रकार केन्द्रीय स्तर पर गठित वित्त आयोग संघ व केन्द्र को कर आदि से होने वाली आय का केन्द्र एवं राज्य सरकारों के बीच विभाजन के सिद्धान्तों के बारे में सिफारिश करता है, उसी प्रकार राज्य वित्त आयोग राज्य को होने वाली आय का राज्य शासन तथा पंचायतीराज स्थानीय निकायों के बीच विभाजन के सिद्धान्तों के बारे में सिफारिश करता है। आयोग की अनुशंसाएं 5 वर्ष की अवधि के लिये होती हैं। पांचवा राज्य वित्त आयोग मार्च 2017 में गठित हुआ है। इस वित्त आयोग द्वारा वर्ष 2020 से 2025 की अवधि के लिये अनुशंसाएं की जायेंगी। इस वित्त आयोग का कार्यकाल 31 जनवरी 2019 तक है।

    बैठक में जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न जिलों के कलेक्टर्स, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा विचार एवं सुझाव रखे गये। रतलाम ग्रामीण क्षेत्र के विधायक श्री मथुरालाल डाबर ने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं को और अधिक अधिकार दिये जाने चाहिये और उनकी समस्याओं का निराकरण त्वरित होना चाहिये।

    जिला पंचायत उज्जैन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री संदीप जीआर ने उज्जैन जिले से सम्बन्धित पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन दिया तथा सुझाव दिया कि जनपदों का कार्यक्षेत्र एवं विधानसभा क्षेत्र एक होना चाहिये, जिससे कि विकास कार्यों में एकरूपता आ सके। उन्होंने कहा कि जिला पंचायतें वेतन भत्तों के लिये राज्य सरकार पर निर्भर करती हैं। प्रतिमाह नियत समय पर वेतन देने के लिये जिला पंचायतों का भुगतान कोषालय से कर देना चाहिये। उन्होंने बताया कि जिला पंचायत द्वारा घट्टिया बसस्टेण्ड में निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं को आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिये जिला पंचायत में हेल्पलाइन प्रारम्भ की गई है, जिसका नम्बर 07342511761 है। श्री संदीप ने सुझाव दिया कि ग्राम पंचायतों में सफाईकर्मी की नियुक्ति की जाना चाहिये तथा निजी संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले सार्वजनिक निर्माणों का कार्य पंचायत के माध्यम से ही होना चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद स्तर पर एक  टैक्स रिकव्हरी अधिकारी की नियुक्ति होना चाहिये।

विदेशों में प्रशिक्षण के लिए भेजें

    कलेक्टर शाजापुर ने राज्य वित्त आयोग को सुझाव दिया कि जनपद स्तर के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को विदेशों में भी प्रशिक्षण के लिये भेजा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे तेलंगाना राज्य के हैं, जहां जनपद स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा जाता है। उन्होंने पंचायत कर्मचारियों को समय पर वेतन एवं पंचायतों को मेंटेनेंस के लिए अतिरिक्त राशि दिए जाने की भी मांग की।

मेलों के लिए राशि का प्रस्ताव भेजें

    बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शाजापुर ने बताया कि विभिन्न अवसरों पर मेले आदि जिले में आयोजित होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में जनता आती है। इनकी व्यवस्था प्रशासन को करनी होती है, परन्तु उसके लिये कोई भी राशि का प्रावधान नहीं है। अन्य जिलों के अधिकारियों ने भी इस बात का समर्थन किया। इस पर वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी ने कहा कि सभी जिलों से मेलों/धार्मिक आयोजनों जो अधिक समय तक चलते हैं तथा जिनमें अधिक संख्या में जनता आती है, की व्यवस्थाओं के लिए आवश्यक राशि सम्बन्धी प्रस्ताव बनाकर आयोग को भिजवाया जाए। उन्होंने बताया कि ओंकारेश्वर में आयोजन के लिए शासन द्वारा 1 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध कराई गई है।

पवन ऊर्जा संयंत्रों से भी राशि ग्राम पंचायतों को मिले

    शाजापुर, आगर, देवास आदि जिलों में बड़ी संख्या में पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित हैं। इन जिलों के अधिकारियों ने कहा कि 'सोशल कॉर्पोरेट रिस्पांसिबिलिटी' के अन्तर्गत इनकी आय का एक हिस्सा सम्बन्धित ग्राम पंचायत को भी मिलना चाहिए, जिससे कि वह राशि ग्राम पंचायत के विकास में खर्च की जा सके।

 

पंचायतों में भी घर-घर कचरा उठाने की व्यवस्था

    कलेक्टर ने नीमच ने बताया कि उन्होंने जिले में 9-10 ग्राम पंचायतों को मिलाकर घर-घर कचरा उठाने की व्यवस्था बनाई है। इसके अन्तर्गत वाहन घर-घर जाता है तथा कचरा इकट्ठा करके एक स्थान पर उसका निष्पादन किया जाता है। परन्तु इसमें राशि की समस्या है। ग्राम पंचायतों के पास इतनी राशि होती नहीं है कि इस व्यवस्था को निरन्तर चलाया जा सके। आयोग के अध्यक्ष ने इस सम्बन्ध में भी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

शहरी क्षेत्र से कबाड़ी की दुकानें हटाई जाएं

    अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी ने कहा कि नगरीय क्षेत्रों में जगह-जगह कबाड़ी अपनी दुकान लगा लेते हैं तथा वहां गन्दगी होती है। इसके लिये आवश्यक है कि इनके लिए शहर में एक स्थान निर्धारित किया जाए, जहां ये अपनी दुकानें चलाएं।

जो कार्य न करें उन्हें दण्डित करें

    जनपद के कुछ मुख्य कार्यपालन अधिकारियों द्वारा अधीनस्थों द्वारा काम नहीं किए जाने की शिकायत पर संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने निर्देश दिए कि जो अधिकारी-कर्मचारी काम नहीं करें, उन्हें दण्डित किया जाए। उन्होंने कहा कि काम नहीं करने वाले शासकीय सेवक का स्थानान्तरण करना कोई उपचार नहीं है। ऐसे व्यक्तियों की जांच कर उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। संभागायुक्त ने बताया कि शासन द्वारा 1 लिपिक को 1 दिन में कम से कम 5 नस्तियों का निराकरण कराए जाने के मापदण्ड तय हैं। यदि कोई कार्य नहीं करता है तो कार्रवाई हो।

पंचायतों का आकार बड़ा हो

    सीईओ जिला पंचायत देवास ने सुझाव दिया कि पंचायतों के बेहतर प्रशासन के लिए पंचायतों का आकार बड़ा होना चाहिए। कम से कम 4 से 5 हजार जनसंख्या पर 1 ग्राम पंचायत बनाई जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि वे राजस्थान के हैं तथा वहां 8 से 9 हजार जनसंख्या पर 1 ग्राम पंचायत होती है।

जनभागीदारी से 30 लाख के काम कराए

    बैठक में कुछ सरपंच भी शामिल थे। ग्राम पंचायत सावन जिला नीमच के सरपंच ने बताया कि उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत में जनभागीदारी से 30 लाख रूपये के काम कराए हैं। उनकी पंचायत पूर्णत: खुले में शौच से मुक्त है। वहां 1 हजार घरों में नल कनेक्शन दिया गया है तथा प्रत्येक घर 50 रूपये प्रतिमाह नियमित रूप से पानी का खर्चा जनपद पंचायत को देता है। इससे कार्य सुचारू है। उनकी पंचायत में 80 से 90 प्रतिशत कर वसूली होती है।

संभागायुक्त की सराहना की

    बैठक में वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी ने संभागायुक्त उज्जैन श्री एमबी ओझा की सराहना करते हुए कहा कि उनके संभाग में कार्यों की स्थिति काफी अच्छी है। उन्होंने कहा कि यहां आयोग ने 2 दिन बैठक आयोजित की तथा जिस प्रकार संभागायुक्त, कलेक्टर आदि ने यहां बैठकों का आयोजन किया तथा समय दिया, वह सराहनीय है।

    बैठक में शाजापुर कलेक्टर श्री श्रीकान्त बनोठ, देवास कलेक्टर डॉ.श्रीकान्त पाण्डेय, नीमच कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव, सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मौजूद थे।

 

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