स्थानीय सरकारों से आमजन की अपेक्षाएं बढ़ रही हैं, नगरीय निकाय वित्तीय आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ें
राज्य वित्त आयोग अधिक सहायता की सिफारिश करेगा
उज्जैन । राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी ने कहा है कि वर्तमान समय में स्थानीय सरकारों से आमजन की अपेक्षाएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं। नगरीय निकाय स्थापना व्यय एवं स्वच्छता जैसे खर्चों के कारण वित्तीय घाटे में जा रहे हैं। पांचवा राज्य वित्त आयोग नगरीय निकायों को अधिक वित्तीय सहायता के लिये राज्य शासन से सिफारिश करेगा। उन्होंने कहा है कि नगरीय निकायों को वित्तीय आत्म निर्भरता की ओर बढ़ना चाहिये और शत-प्रतिशत टैक्स वसूली करना चाहिये। उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों द्वारा पेयजल के लिये बिजली व्यय पर किये जाने वाले खर्चों में अत्यधिक बढ़ौत्री हो रही है। विद्युत वितरण कंपनियां इनको कमर्शियल दर से विद्युत प्रदाय कर रही है, जबकि नगर निकाय आम जनता को लाभ देने के लिये भारी-भरकम बिलों का भुगतान कर रही है। राज्य शासन से इस मद में सहायता प्राप्त करने के लिये सभी नगरीय निकायों को विद्युत नियामक आयोग के पास अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करना चाहिये। श्री कोठारी ने कहा कि चौथे वित्त आयोग द्वारा नगरीय निकायों को प्रदेश की आय का 7.5 प्रतिशत अनुदान के रूप में देने की सिफारिश की गई थी।
राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी ने आज सिंहस्थ मेला कार्यालय में संभाग के विभिन्न नगरीय निकायों के अध्यक्षों एवं मुख्य नगरीय अधिकारियों के साथ बैठक कर वित्तीय सहायता के सम्बन्ध में उनकी मांगों के बारे में सुझाव प्राप्त किये। बैठक में संभागायुक्त श्री एमबी ओझा, उज्जैन महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, महापौर रतलाम डॉ.सुनीता यार्दे, नागदा नगर पालिका अध्यक्ष श्री अशोक मालवीय, संयुक्त आयुक्त विकास श्री प्रतीक सोनवलकर, उज्जैन नगर पालिक निगम आयुक्त सुश्री प्रतिभा पाल, संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन श्री सोमनाथ झारिया, देवास निगम आयुक्त श्री विशालसिंह चौहान सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।
इसके पूर्व राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री हिम्मत कोठारी, संभागायुक्त श्री एमबी ओझा, महापौर उज्जैन श्रीमती मीना जोनवाल ने दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया। कार्यशाला का संचालन राज्य वित्त आयोग के सचिव श्री मिलिन्द वाइकर ने किया।
संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने इस अवसर पर कहा कि नगरीय निकायों के अधिकारी यदि अच्छा प्रबंध करें तो आम नागरिक टैक्स देने के लिये आगे आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों द्वारा जो-जो ऑनलाइन सुविधाएं नागरिकों को दी जा रही हैं, इनका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिये।
बैठक में राज्य वित्त आयोग के सचिव श्री मिलिन्द वाइकर ने बताया कि राज्य वित्त आयोग का गठन प्रदेश के राज्यपाल करते हैं। जिस प्रकार केन्द्रीय स्तर पर गठित वित्त आयोग संघ व केन्द्र को कर आदि से होने वाली आय का केन्द्र एवं राज्य सरकारों के बीच विभाजन के सिद्धान्तों के बारे में सिफारिश करता है, उसी प्रकार राज्य वित्त आयोग राज्य को होने वाली आय का राज्य शासन तथा स्थानीय निकायों, जिनमें पंचायतीराज एवं नगर पालिका शामिल है, के बीच विभाजन के सिद्धान्तों के बारे में सिफारिश करता है। आयोग की अनुशंसाएं 5 वर्ष की अवधि के लिये होती हैं। पांचवा राज्य वित्त आयोग मार्च 2017 में गठित हुआ है। इस वित्त आयोग द्वारा वर्ष 2020 से 2025 की अवधि के लिये अनुशंसाएं की जायेंगी। इस वित्त आयोग का कार्यकाल 31 जनवरी 2019 तक है।
नगरीय निकायों द्वारा उपयोगी सुझाव दिये गये
बैठक में राज्य वित्त आयोग को विभिन्न नगरीय निकायों द्वारा आय के बंटवारे एवं निकायों की आवश्यकता के बारे में विस्तृत सुझाव दिये गये। उज्जैन महापौर श्रीमती मीना जोनवाल ने कहा कि उज्जैन नगर अपनी धार्मिक महत्ता के कारण विशेष स्थान रखता है। उन्होंने कहा कि उज्जैन नगर की जनसंख्या 5 लाख 15 हजार है, किन्तु यहां पर प्रतिवर्ष 36 लाख से अधिक तीर्थयात्री आते हैं। इन लोगों के लिये नगर निगम को अतिरिक्त व्यवस्था करना पड़ती है। महापौर ने इसके लिये अतिरिक्त सहायता देने का प्रावधान करने का आग्रह किया।
नगर निगम आयुक्त सुश्री प्रतिभा पाल ने बताया कि उज्जैन नगर में स्मार्ट सिटी के तहत सीवेज ट्रीटमेंट एवं भूमिगत नालियों का कार्य शुरू होने वाला है। यहां पर सार्वजनिक शौचालय आवश्यकता अनुरूप उपलब्ध हैं। उज्जैन शहर में निर्धारित मानदण्ड 135 लीटर प्रतिव्यक्ति जलप्रदाय की तुलना में 165 लीटर प्रतिव्यक्ति जलप्रदाय किया जा रहा है। शहर में प्रकाश व्यवस्था के लिये 45 हजार विद्युत पोल हैं। सफाई व्यवस्था एवं प्रकाश व्यवस्था का निजीकरण किया गया है। उन्होंने आग्रह किया कि नगर निगम उज्जैन गंभीर डेम से पेयजल के लिये पम्पिंग कर शहर में पानी का वितरण कर रहा है और इसके लिये बिजली के बिल व्यावसायिक दर से भुगतान करना पड़ रहे हैं। इस हेतु वित्त आयोग राज्य शासन से बिजली के बिल की राशि का समायोजन करवाने का सुझाव दे।
बैठक में रतलाम नगर निगम की महापौर श्रीमती सुनीता यार्दे ने बताया कि अमृत मिशन के तहत कार्यरत प्रोजेक्ट कंसल्टेंसी के अधिकारी निगम से सुव्यवस्थित समन्वय नहीं कर रहे हैं। उन्होंने परिवहन हेतु बसें प्रारम्भ करने के लिये पृथक बसस्टेण्ड की आवश्यकता बताई। महापौर ने कहा कि वर्तमान में भर्ती किये जा रहे इंजीनियर अलग-अलग ट्रेड के होना चाहिये, ऐसा न हो कि निगमों में केवल सिविल इंजीनियर ही भर्ती कर लिये जायें। साथ ही उन्होंने नगर निगम कर्मचारियों को सद्व्यवहार करने के लिये प्रशिक्षण देने की आवश्यकता बताई। देवास नगर निगम आयुक्त श्री विशालसिंह चौहान ने सुझाव दिया कि सम्पत्ति कर की वसूली के लिये नगर निगमों को दण्ड देने के विशेष अधिकारी प्रदान किये जायें।