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600 किलोमीटर पैदल यात्रा कर कल उज्जैन पहुंचेंगे नित्यसेन सूरीश्वरजी



48 साल पहले मुनि रूप में खाराकुआं बडा उपाश्रय में कर चुके हैं चातुर्मास-श्वेतांबर, दिगंबर सकल जैन समाज करेगा अगवानी
उज्जैन। 600 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा. 6 महाराज तथा 6 साध्वियों के साथ कल 21 जुलाई शनिवार को उज्जैन में पधारेंगे। वर्ष 2007 में आचार्य की पदवी ग्रहण करने वाले नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा. 48 वर्ष पूर्व खाराकुआ स्थित खाराकुआ बड़ा उपाश्रय में मुनि रूप में चातुर्मास कर चुके हैं। आचार्यश्री के आगमन से श्वेतांबर दिगंबर जैन समाज उत्साहित है तथा उनकी भव्य अगवानी हेतु तैयारियों में जुटा है। 
त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी के अनुसार आचार्यश्री नित्यसेन सूरीश्वरजी सिद्धरत्न विजयजी, विद्वत रत्न विजयजी, प्रसम रत्नसेन विजयजी, तारक रत्न विजयजी, निर्भय रत्न विजयजी, दर्शित कला श्रीजी, यशोलता श्रीजी आदि ठाणा के साथ बड़नगर रोड़ स्थित अभ्युदयपुरम् गुरूकुल पहुंच चुके हैं। राजस्थान भांडवपुर जिला जालोड़ से आचार्यश्री गुजरात होते हुए पैदल विहार करते हुए करीब 600 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर यहां पहुंचे हैं। कल 21 जुलाई को सकल श्रीसंघ की नवकारसी शगुन गार्डन गकनगौर दरवाजा के समीप होगी। तत्पश्चात जुलूस अवंति पार्श्वनाथ दानी गेट से प्रारंभ होगा जो ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, छत्रीचौक, नई पेठ, भागसीपुरा, खाराकुआं, नमकमंडी, छोटा सराफा, बड़ा सराफा, सती गेट, कंठाल, निजातपुरा, कोयला फाटक होता हुआ महाकाल परिसर पहुचेगा। करीब 3 से 4 घंटे में जुलूस शहर की सड़कों पर धर्ममयी वातावरण निर्मित करेगा। तत्पश्चात महाकाल परिसर में आचार्यश्री के प्रवचन होंगे। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष उर्जा मंत्री पारस जैन, मनीष कोठारी, शांतिलाल रूनवाल, सुशील गिरिया, नरेश बाफना, प्रकाश तल्लेरा, अनिल रूनवाल, नरेन्द्र तल्लेरा, राजमल कोठारी, नवीन बाफना, रमणलाल गिरीया, राजबहादुर मेहता, मदनलाल रूनवाल, संजय कोठारी, सुनील मेहता, दीपक डागरिया, शांतिलाल चत्तर, कपिल सकलेचा, राकेश वनवट, प्रमोद पटवा, रितेश खाबिया, रजत मेहता, शांताबहन मेहता, नीलम गिरिया, नितेश नाहटा, आदित्य भटेवरा ने समस्त दिगंबर, श्वेतांबर जैन समाजजनों से आचार्यश्री के मंगलप्रवेश जुलूस में शामिल होकर भव्य बनाने का अनुरोध किया है।
देशभर के साथ विदेश से भी आए गुरूभक्त
नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा. के उज्जैन पहुंचने से पहले ही राजस्थान, गुजरात, बॉम्बे, मद्रास, कर्नाटका, कोयम्बटूर से गुरूभक्त उज्जैन पहुंच चुके हैं वहीं देशभर से गुरूभक्त पहुंचेंगे। वहीं जापान से भी गुरूभक्त उज्जैन पहुंचे हैं। 
16 साल की उम्र में ली दीक्षा
आचार्यश्री नित्यसेन सूरीश्वरजी का जन्म झाबुआ के राणापुर गांव में मातुश्री कंचन देवी, पिता चंपालाल दसेड़ा के घर चेत्रवदी छठ विक्रम संवत् 2006 में हुआ था। माता-पिता ने सांसारिक नाम बंशीलाल रखा था। बचपन से ही धर्म संस्कार के कारण राष्ट्र संत जयंत सेन सुरीश्वर द्वारा 16 साल की उम्र में दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा लिये आचार्यश्री को 51 वर्ष हो गए हैं। विक्रम संवत 2073 (वर्ष 2017) में आचार्य पदवी ग्रहण की। आचार्यश्री की निश्रा में गुरु जन्म भूमि पेपराल को तीर्थ रूप देकर भव्य निर्माण किया। भविष्य में आचार्यश्री की भावना जैन गुरुकुल की स्थापना की है जहाँ बच्चों को संस्कारित किया जाए। 
4 महीने स्वयं एवं दूसरे के कल्याण की भावना को साकार रूप देने के
आचार्यश्री के अनुसार चातुर्मास प्राणी जगत के लिए अहिंसा परमोधर्म का संदेश देता है। चातुर्मास में तप त्याग के द्वारा, भवि जीवो को जीवन जीने की प्रेरणा एवं सद्मार्ग से जोड़ने का संदेश देता है। भगवान महावीर के शासन में संत 4 महीने एक जगह रहकर स्वयं एवं दूसरे के कल्याण की भावना को साकार रूप देते हुए धर्म मार्ग पर परोपकार और कल्याण कर जीवन सुसज्जित करते थे। 

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