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सोयाबीन फसल 30 दिन की होने के बाद डोरा या कुल्पा न चलायें


 

खरीफ मौसम की फसल हेतु कृषकों को सलाह

    उज्जैन । भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा किसानों की खरीफ मौसम की फसल सोयाबीन के लिये सलाह दी गई है। कृषि वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी है कि 15 से 25 दिन की फसल होने पर, जहां पर बारिश नहीं हो रही है, वहां पर नमी संरक्षण एवं खरपतवार नियंत्रण के लिये डोरा/कुल्पा चलायें। सोयाबीन फसल 30 दिन की होने के बाद किसान फसल में डोरा अथवा कुल्पा न चलायें। खरपतवारनाशक के छिड़काव के समय अनुशंसित कीटनाशक का मिश्रित छिड़काव कर सकते हैं। इससे खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ आने वाले 30-40 दिनों तक कीट नियंत्रण प्रभावी हो सकेगा। इसके लिये उपयुक्त तरीका है इमाझेथापायर/क्विजालोफाप ईथाइल का छिड़काव। इसके छिड़काव के समय किसान प्रति हेक्टेयर पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग अवश्य करें।

    किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक ने यह जानकारी देते हुए बताया कि किसान अपनी सोयाबीन की फसल 15-20 दिन की है एवं बोवनी के तुरन्त बाद उपयोगी अनुशंसित खरपतवारनाशकों का प्रयोग नहीं किया हो, उन स्थानों में सोयाबीन की खड़ी फसल में खरपतवारनाशक का छिड़काव करें। जिन किसानों के खेतों में केवल चौड़ी पत्ते वाली खरपतवार पाई जाती हो, वहां क्लोरीम्यूरान ईथाइल का छिड़काव करें। जिन किसानों के खेतों में केवल संकरी पत्ती वाले खरपतवार की संख्या अधिक हो, उन्हें सलाह है कि वे क्विजालोफाप ईथाइल या क्विजालोफाप-पी-टेफूरील या फेनाक्सिफाप-पी-ईथाइल में से किसी एक का 500 लीटर पानी के साथ फ्लड जेट या फ्लेट फेन नोझल का उपयोग कर समान रूप से खेत में छिड़काव करें। जिन किसानों के खेतों में सोयाबीन अंकुरित हो चुकी है, वहां पर नीला भृंग कीट के प्रकोप होने की संभावना है, अत: प्रकोप होने पर क्विनालफास 1.5 लीटर/हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर कीट का नियंत्रण करें। जिन स्थानों पर गत वर्ष सोयाबीन की फसल पर सफेद सुंडी का प्रकोप हुआ था, वहां के किसान विशेष ध्यान देकर सफेद सुंडी के वयस्कों को एकत्र कर नष्ट करने के लिये प्रकाश जाल अथवा फिरोमोन ट्रेप का प्रयोग करें। सोयाबीन फसल 30 दिन की होने के बाद फसल में डोरा अथवा कुल्पा न चलायें। जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा हो रही है, वहां पर सोयाबीन के खेत में जलभराव न होने दें।

 

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