हर राज्य में डीएनए डाटा बैंक बनाएंगी केन्द्र सरकार, किसी भी देश से कर सकेगी प्रोफाइल साझा
डीएनए तकनीक नियमन विधेयक-2018 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे चुकी सरकार को किसी भी देश के साथ डीएनए प्रोफाइल साझा करने का अधिकार होगा। वह किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन या दूसरे देश के साथ डीएनए साझा कर सकेगी। इसके लिए सरकार को डीएनए डाटा बैंक का नियमन करने वाले बोर्ड से परामर्श करना होगा। हालांकि, यह साझेदारी किसी भी निजी संस्था या संगठन के साथ नहीं की जाएगी।
अपराधियों, संदिग्धों, पीड़ितों, गुमशुदा और विचाराधीन लोगों का डीएनए डाटा बैंक तैयार करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने 4 जुलाई को विधेयक को अनुमति दी थी। इसमें नियमन के लिए बोर्ड गठित करने का प्रावधान है। बोर्ड केंद्र या राज्यों में डीएनए प्रोफाइल सहेजने के बैंक खोलने पर काम करेगा। इसे लैब को मान्यता देने और उसे वापस छीनने का अधिकार होगा।
विशेष हालात में बोर्ड की जगह ले लेगा केंद्र
बोर्ड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलती तकनीक के प्रयोग की सिफारिश करने का अधिकार होगा। बोर्ड निजता के संरक्षण, डीएनए संरक्षित करने और आपराधिक जांच में डीएनए मुहैया कराने की जिम्मेदारी निभाएगा। विधेयक के मसौदे में यह प्रावधान भी शामिल है कि सरकार विशेष परिस्थितियों में बोर्ड का स्थान ले लेगी। इन परिस्थितियों में बोर्ड का डीएनए की सुरक्षा और निजता की जिम्मेदारी निभाने में विफल रहना शामिल है।
हर राज्य में डीएनए डाटा बैंक बनाएगा केंद्र
मसौदे में कहा गया है कि केंद्र राष्ट्रीय के साथ ही हर राज्य में आबादी व अन्य पहलुओं के आधार पर एक, दो या ज्यादा डीएनए डाटा बैंक स्थापित करेगा। पूरे देश से जुटने वाला डाटा राष्ट्रीय बैंक में रखा जाएगा।
डीएनए की सुरक्षा व निजता उल्लंघन पर दंड
विधि विशेषज्ञ व सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह के मुताबिक सरकार ने यह प्रावधान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों, आतंकियों और गुम हुए विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए रखा है। सरकार ने डीएनए की सुरक्षा और निजता के उल्लंघन को लेकर दंड के प्रावधान रखे हैं। इसमें जेल और जुर्माना शामिल है।