प्रोटोकॉल निरस्त से आम श्रध्दालुओं को राहत
उज्जैन। महाकाल मंदिर में कई अव्यवस्था व्याप्त है तथा उसे दूर करने हेतु
अभा पुजारी महासंघ प्रबंध समिति को सदैव भेजता रहा लेकिन उस पर विचार न
होने से दिनोंदिन व्यवस्था बिगड़ती गई। हर व्यक्ति, दर्शनार्थी, भक्त अपने
को मंदिर का सर्वेसर्वा मानने लग गया तथा मंदिर समिति उसकी गुलाम सी हो
गई। ये लोग जैसा चाहे वैसा नियम विरूध्द आचरण करने लगे। इससे मंदिर के
सेवक, पुजारी, पुलिस, कर्मचारी भयभीत रहने लगे। लेकिन 30 साल में पहली
बार प्रोटोकॉल के 188 पॉस निरस्त कर समिति अध्यक्ष ने एहसास कराया की
नियम कायदा कानून भी है।
अभा पुजारी महासंघ ने इस कदम को स्वागत योग्य बताते हुए मंदिर की
व्यवस्था में इसे पहला ठोस कदम बताया और अध्यक्ष को साधुवाद प्रेषित
किया। महासंघ संयोजक महेश पुजारी ने पत्र में मंदिर हित में सुझाव भी
दिये हैं। सर्वप्रथम मंदिर की पवित्रता अखंडता शिव परंपरा की जो वेशभूषा
है उसे अनिवार्य किया जावे। आरती के समय राजस्थान परिधान, पगड़ी, सलवार
कुर्ता, गाउन आदि पहन कर जाने पर प्रतिबंध लगाया जावे। संत, साहब, गाउन
पहनकर प्रवेश करते हैं। न जाने देने पर विवाद करते हैं ऐसे कतिपय साधु
साध्वी पर भी प्रतिबंध हो। गर्भगृह में जो वस्तुएं निषेध हैं उसे रोका
जाये। मंदिर परिसर में छोटे-छोटे मंदिर के पुजारी अपने एवज 40, 60 की
चढ़ौत्री बटवारे में रख रखा है। एवजी प्रथा समाप्त कर सरकारीकरण के कारण
जो पुरोहित परिवार के युवा बेरोजगार हुए थे उन्हें नियुक्त किया जावे।
ओंकारेश्वर मंदिर में दानपात्र आज तक नहीं लगाया है उसे लगाया जावे।
मंदिर समिति के समानांतर ओंकारेश्वर गर्भगृह में अवैध ताबीज, गंडे आदि
बेचे जाते हैं उसे भी रोका जावे। नियमित दर्शनार्थी की आचार संहिता हो
तथा ये लोग मंदिर में निषेध द्वारों से प्रवेश करते हैं तथा प्रवेश बंद
के वक्त गर्भगृह में बिना रसीद या अनुमति के प्रवेश करते हैं इससे
अव्यवस्था फैलती है। महासंघ ने अनुरोध किया कि आदेश का पालन हो लेकिन
महासंघ को शंका है कई कर्मचारी इस आदेश से नाराज होकर व्यवस्था बिगाड़ने
का प्रयास कर सकते हैं।