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शहरों के स्मार्ट विकास में सहायक होगी ‘टीओडी’ पॉलिसी


 

उज्जैन । नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट विकास को बढ़ावा देना चाहती है। इसके लिये नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा ‘ट्रांजिट ओरियंटल डेव्हलपमेंट पॉलिसी’ तैयार की गई है। इसमें म.प्र. हस्तांतरणीय विकास अधिकार नियम बनाये गये हैं। यह नीति मध्यप्रदेश के सभी शहरों में ट्रांजिट स्टेशनों तथा ट्रांजिट कॉरीडोर के आसपास के क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित तथा नियंत्रित करने में विशेष रूप से सहायक होगी। यह पॉलिसी सभी शहरों में चरणबद्ध तरीके से लागू की जायेगी, जिससे इन शहरों में अधोसंरचना विकास तथा परिवहन से संबंधित समस्याओं का निराकरण हो सकेगा।

मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा कि प्रदेश के शहरों में जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण शहरों के बुनियादी ढाँचे पर जोर पड़ता है। परिणाम स्वरूप यातायात और बाजार सहित अन्य लोक सुविधाओं के साथ-साथ अन्य समस्याएँ पैदा हो जाती है, जिनका समाधान इस पॉलिसी के बनने के बाद आसानी से हो सकेगा। उन्होंने कहा कि टीओडी पॉलिसी लागू होने से शहरों का भूमि उपयोग और ट्रांजिट (पारगमन) के बीच स्वस्थ विकास गतिविधियाँ संचालित होंगी, शहरों का फैलाव कम होने के साथ सार्वजनिक सुविधाओं और सार्वजनिक परिवहन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा। वर्तमान में मध्यप्रदेश में सार्वजनिक यातायात सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिये 19 शहरों में स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) स्थापित किये जा रहे हैं।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने बताया कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ट्रांजिट उन्मुखी विकास नीति तैयार कर राज्यों को नीति बनाने की सलाह दी गई थी। इसी क्रम में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा टीओडी ओर टीडीआर (मध्यप्रदेश हस्तांतरणीय विकास अधिकार नियम) का मसौदा तैयार किया गया है। इस नीति में नगरीय क्षेत्रों में सरकार और उसके उपक्रमों द्वारा संबंधित क्षेत्र के अंतर्गत लोक प्रसुविधाएँ तथा सुविधाएँ, आमोद-प्रमोद, परिवहन, गंदी बस्ती पुनर्वासन, लोक गृह निर्माण, अधोसंरचना तथा अन्य कोई विशेष उपयोग के अंतर्गत आने वाली भूमि के भूमि-स्वामियों को उनकी भूमि के मूल्य के एवज में विकास अधिकार प्रमाण-पत्र प्राप्त करने संबंधी विकल्प भी उपलब्ध होगा।

नगरीय विकास में भागीदार एजेंसियों को इन नियमों के लागू होने से परियोजनाओं के लिये भूमि की अधिक उपलब्धता सुलभ होगी। भूमि-स्वामियों को उनकी भूमि के मूल्य के बदले विकास प्राधिकार प्रमाण-पत्र जारी किये जा सकेंगे। विकास प्राधिकरण प्रमाण-पत्र शेयर सर्टिफिकेट की तरह होंगे। भू‍मि-स्वामी चाहे तो इस विकास प्राधिकार प्रमाण-पत्र का उपयोग अपनी स्वयं की अन्यत्र स्थित भूमि पर कर सकेगा अथवा विकास प्राधिकार को अन्य भूमि-स्वामी को विक्रय भी कर सकेगा। "विकास अधिकार प्रमाण-पत्र लेखा (DRC Account)'' नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा रखा जायेगा एवं विकास अधिकार प्रमाण-पत्र के उपयोग अथवा विक्रय किये जाने का सम्पूर्ण ब्यौरा देना होगा। यह नियम लागू होने से मेट्रो परियोजना, विकास योजना के मार्गों के क्रियान्वयन, पार्किंग क्षेत्रों के विकास जैसी महत्वाकांक्षी एवं महती योजनाओं को गति मिलेगी।

 

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