मध्य प्रदेश को प्लास्टिक प्रदूषण मुक्त प्रदेश बनाने में योगदान दें –मुख्यमंत्री श्री चौहान
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उज्जैन में कार्यशाला आयोजित
उज्जैन । प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रदेश की जनता से अपील की है कि वे प्रदेश को प्लास्टिक प्रदूषण मुक्त प्रदेश बनाने में अपना भरपूर योगदान दें और सरकार के प्रयासों में सहयोग करें। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता की दृष्टि से प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी भारत कर रहा है। इस वर्ष की थीम 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' है। हमारे गांवों और शहरों में प्लास्टिक एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती बन रहा है। प्लास्टिक को विघटित होने में कई वर्ष लग जाते हैं। इसके उचित निष्पादन के अभाव में अस्वच्छता के साथ ही कई बार शहरों में जलभराव की समस्या भी उत्पन्न होती है। पशुओं के लिये भी प्लास्टिक जानलेवा सिद्ध होता है। प्लास्टिक के जलने पर जहरीला धुंआ वायु को प्रदूषित करता है जो पर्यावरण और मानवीय स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त घातक होता है।
राज्य शासन प्लास्टिक के खतरों से निपटने के लिये प्रतिबद्ध
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने सन्देश में कहा है कि राज्य शासन प्लास्टिक के खतरों से निपटने के लिये प्रतिबद्ध है। शासन द्वारा विगत 24 मई 2017 से सम्पूर्ण प्रदेश में प्लास्टिक थैलियों के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन, विक्रय और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन व्यापक जन-सहयोग और हमारी जीवन शैली में आमूलचूल परिवर्तन के बगैर शासन के प्रयास सही अर्थों में पूर्णत: सफल नहीं होंगे। इसीलिये इस पर्यावरण दिवस पर हम सब प्रदेश को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने का संकल्प लें।
जीव चिकित्सा अपशिष्ट एवं दूषित जल उपचार पर कार्यशाला आयोजित
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मंगलवार को क्षेत्रीय कार्यालय मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जीव चिकित्सा अपशिष्ट एवं दूषित जल उपचार प्रबंधन पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर कलेक्टर श्री मनीष सिंह, मप्र नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.सुशील गुप्ता, डायरेक्टर मेसर्स हॉस्वीन इन्सीनरेटर इन्दौर श्री असद वारसी, अध्यक्ष होटल एसोसिएशन उज्जैन श्री रवीन्द्र सोलंकी, नगर निगम के श्री व्हीएस मेहते, स्वास्थ्य अधिकारी क्षेत्रीय चिकित्सक होटल प्रबंधक एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
गौरतलब है कि शिप्रा के तट पर अनेक होटल और मैरिज गार्डन स्थित हैं। इससे व्याप्त जल प्रदूषण की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए उक्त कार्यशाला आयोजित की गई। क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री पीके त्रिवेदी ने बताया कि प्रदेश में जीव चिकित्सा अपशिष्ट व जल अधिनियम-1974 को लागू हुए अनेक वर्ष हो चुके हैं, परन्तु इसका अभी भी पूर्णत: परिपालन नहीं हो पा रहा है। शहर के पर्यावरण की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए पर्यावरणीय नियम परिपालन का कड़ाई से पालन करने की अपील की गई है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के अन्तर्गत संस्थानों को क्लीन टेक्नालॉजी तथा किसी इकाई का वेस्ट अन्य इकाई में रॉ मटेरियल के रूप में किये जाने एवं संस्थाओं द्वारा प्रदूषण नियंत्रण हेतु किये जा रहे उल्लेखनीय पर्यावरण संरक्षण कार्यों के सम्बन्ध में जानकारी दी गई।
संस्थाओं से यह अपेक्षा की गई कि वे पर्यावरण संरक्षण के उन्नयन हेतु निरन्तर कार्य करती रहेंगी। कलेक्टर श्री मनीष सिंह द्वारा समस्त होटल संचालकों, चिकित्सालय के निदेशकों और उद्योगपतियों को पर्यावरण नियमों का कड़ाई से परिपालन करने की अपील की गई, ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को एक अच्छा पर्यावरण सौंपा जाये और नियमों के उल्लंघनकर्ताओं पर कड़ी कार्यवाही किये जाने के निर्देश भी दिये गये।
इस अवसर पर पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इसमें विजेता बच्चों को कलेक्टर श्री मनीष सिंह द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यशाला में तकनीकी सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विषय विशेषज्ञों द्वारा पर्यावरण विषय पर महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई और अनेक शंकाओं का समाधान भी किया गया।
उज्जैन संभाग के विभिन्न शहरों में भी पर्यावरण सप्ताह के अन्तर्गत अनेक जन-जागृति कार्यक्रम आयोजित किये गये, जिसमें संगोष्ठी, रैली, विभिन्न प्रतियोगिताएं, पर्यावरण सम्बन्धी संवाद, वृक्षारोपण तथा पॉलीथीन का उपयोग न करने का सन्देश देते हुए वैकल्पिक बैग्स व पेम्पलेट का वितरण विभिन्न नगरों में किया गया। विगत 3 जून को शिप्रा नदी के रामघाट पर श्रमदान कर घाटों की सफाई कर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समस्त अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा आमजन को सन्देश दिया गया।