विलुप्त प्राय पौधे तैयार हो रहे हैं वन विभाग की उज्जैन रोपणी में, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री दुबे ने किया उज्जैन का दौरा
उज्जैन। वन विभाग की क्षिप्रा विहार वन रोपणी में विलुप्त प्राय 40 प्रजातियों के पौधे तैयार हो रहे हैं। साथ ही विश्व का सबसे अच्छा वर्मी कम्पोस्ट खाद भी विशिष्ट पद्धति से तैयार किया जा रहा है। प्रदेश के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री पीसी दुबे ने आज सोमवार को उज्जैन भ्रमण के दौरान इस वन रोपणी का निरीक्षण किया। इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक रतलाम श्री मोहन वासुदेव, एडीओ फॉरेस्ट श्री जीएस सिसौदिया, रेन्ज ऑफिसर उज्जैन श्री कृष्ण शर्मा आदि मौजूद थे।
निरीक्षण के दौरान श्री दुबे ने बताया कि रोपणी में तैयार किए जा रहे विलुप्त प्रजातियों के पौधों में बीजा, हल्दू, तिन्सा, अंजल, धावड़ा, कुलक, हर्र, बहेड़ा, पाकर आदि तैयार हो रहे हैं। बीजा डायबिटिज में बहुत उपयोगी है, वहीं 'पाकर' कल्पवृक्ष की प्रजाति है। श्री दुबे ने रोपणी में इन प्रजातियों का एक पृथक सैक्टर तैयार करने के निर्देश दिए।
विश्व का सबसे अच्छा जैविक खाद
श्री दुबे ने निरीक्षण के दौरान बताया कि इस रोपणी में नई वैज्ञानिक पद्धति से विश्व का सबसे अच्छा वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। इस विधि में केंचुओं के अलावा 40 प्रतिशत गोबर और 60 प्रतिशत विभिन्न वनस्पतियों के पत्तों का उपयोग किया जाता है, जिनमें गाजर घास, सोयाबीन भूसा, केसिया सायमा आदि शामिल है। इसमें फूलों को भी मिलाया जाता है। इसमें एक विशेष बायोडाइजैस्टिव बैक्टीरिया डाला जाता है, जो गोबर एवं अन्य सामग्री को 30 दिन में ही डीकम्पोस्ट करके खाद तैयार कर देता है। इससे बना खाद उत्कृष्ट जैविक खाद होता है। स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट भोपाल ने भी इसे प्रमाणित किया है।
8 माह में ही फल दे देता है सुरजना
श्री दुबे ने बताया कि रोपणी में 50 हजार विशेष सुरजना के पौधे तैयार किए जा रहे हैं, जो 8 माह में फलियां देने लगते हैं। इस प्रजाति को तमिलनाड़ु राज्य में तैयार किया गया है। उज्जैन जिले में इसके वृहद वृक्षारोपण की योजना है। सुरजना की फली उच्च पोषक तत्वयुक्त होती है एवं कुपोषित बच्चों को विशेष रूप से खिलाई जाती है।
पौधों की आश्चर्यजनक वृद्धि
श्री दुबे ने निरीक्षण के दौरान रोपणी के कुछ पौधों में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी, जिनमें माइक्रो इरीगेशन सिस्टम लगाया गया था। इसके अन्तर्गत पौधों के ऊपर ग्रीन शेड लगाकर फव्वारे लगाए गए हैं, जो निरन्तर पौधों पर घूमते हुए पानी की बरसात करते हैं। इससे पौधों की वृद्धि आश्चर्यजनक होने के साथ ही पूरा क्षेत्र गर्मी में भी ठण्डा हो गया है। श्री दुबे ने बताया कि आगामी समय में अधिक से अधिक पौधों को तैयार करने के लिए इस सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि आमजन को इसका अवलोकन कराया जाए।
पौधों में जीवामृत का प्रयोग
श्री दुबे ने बताया कि नर्सरी में पौधों की अच्छी वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारण इन पर जीवामृत का छिड़काव करना है। इससे पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और इन पर कीटाणु, रोगाणु असर नहीं करते। जीवामृत गोबर, गोमूत्र, गुड़, दलहन आटा, जीवाणुयुक्त मिट्टी और पानी से तैयार किया जाता है, जो 48 घंटे में तैयार हो जाता है। इसके अलावा रोपणी में मिस्ट चैंबर, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस पद्धति से भी पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
किसानों को नि:शुल्क पौधे
श्री दुबे ने बताया कि सरकार की कृषक समृद्धि योजना के अन्तर्गत किसानों को नि:शुल्क पौधे प्रदाय किए जा रहे हैं, जिनमें आम, जामफल, मीठा नीम, नीम, नींबू, आंवला, जामुन, इमली, पीपल, सीताफल, करंज, खिवनी, अर्जुन, कचनार, सतपर्णी, पलाश, कबीट आदि शामिल हैं। इसके अलावा सरकार प्रतिवर्ष प्रति जीवित पौधे पर किसान को 35 रूपये का अनुदान भी देती है। योजना अन्तर्गत इस वर्ष 2.5 लाख पौधे वितरित करने का लक्ष्य है।
पार्क का स्वरूप दें, आमजन के लिए सुविधाएं हों
श्री दुबे ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस रोपणी को पार्क का रूप दिया जाए, जिसमें आमजन के बैठने के लिए स्थान, घूमने के लिए ट्रेक के साथ अन्य सुविधाएं हों। रोपणी में हाल ही में आरओ वॉटर सिस्टम लगाया गया है। श्री दुबे ने कहा कि लोगों को यह बताया जाए कि यह सुन्दर एवं प्राकृतिक भ्रमण स्थल है तथा यहां से अत्यन्त कम कीमत (लगभग 10 रूपये प्रति पौधा) में आमजन विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे प्राप्त कर सकते हैं।