top header advertisement
Home - उज्जैन << दुख से घबराईए नहीं, यह हमारा हितैषी है

दुख से घबराईए नहीं, यह हमारा हितैषी है



उज्जैन। कर्म का फल कर्म ही देता है। न्यूटन ने भी इसे इस तरह कहा कि प्रत्येक क्रिया के विपरीत बराबर प्रतिक्रिया होती है। दुख-दुख दूर करने आता है और हमारे पापों को कम करता है। जबकि सुख भोग से हमारे पुण्य घटते हैं। 
यह उदगार सुनील शर्मा ने गायत्री शक्तिपीठ पर संजीवनी साधना शिविर में सोमवार दोपहर कालीन सत्संग में व्यक्त किए। आपने साधकों से कहा कि दुख से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि दुख के समय भगवान सहयोग करते हैं। कुन्ती ने तो भगवान से वरदान में दुख-विपत्तियां ही मांगी थी और कहा था कि आप हर दुख में हमारे साथ रहे और उससे उबारा भी इसलिए आपके साथ के लिए हमें दुख ही चाहिए। आपने बताया कि मनुष्य उठा हुआ पशु और गिरा हुआ देवता है।

Leave a reply