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"मुख्यमंत्री ने जय जवान जय किसान नारे को चरितार्थ किया" –कृषक कमल सोनी परम्परागत कृषि की जगह बागवानी अपनाई तो मिला 3 गुना ज्यादा लाभ अमरूद-सी मीठी हो गई है जिन्दगी


   उज्जैन । भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री द्वारा सन 1965 में दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया गया था। उस दौरान भारत पाकिस्तान का युद्ध चल रहा था। साथ ही देश में अनाज का भीषण अकाल पड़ गया था। इसीलिये तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री शास्त्री द्वारा भारतीय सेना के जवानों और किसानों में प्रेरणा के प्राण फूंकने के लिये 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया गया था।

      यह नारा आज भी प्रासंगिक है। निश्चित रूप से देश के विकास और प्रगति में तथा विश्व के समक्ष इसके महाशक्ति बनने के पथ पर हमारे जवान और किसान 2 ऐसे मजबूत पहिये हैं, जो इसे तेज गति से दौड़ा रहे हैं। पहले हमें दूसरे देशों से अनाज का आयात करना पड़ता था, लेकिन हमारे किसानों के दिन-रात किये गये कठोर परिश्रम और दृढ़ प्रयासों से अब हम कृषि के क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बने हैं, बल्कि हमारे यहां इतना बम्पर उत्पादन होने लगा है कि हमारा अनाज सुदूर देशों में निर्यात किया जा रहा है।

      यदि बात हमारे मध्य प्रदेश की की जाये तो प्रदेश का सिहोर शरबती गेहूं हमारी मिट्टी की खुशबू और कीर्ति विदेशों में फैला रहा है। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार कृषि को फायदे का सौदा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। कहते हैं ना कि वक्त के साथ बदलना ही पड़ता है, तभी हम अपने अस्तित्व को बनाकर रख सकते हैं। प्रदेश के किसानों को व्यापार के नये गुर और खेती के आधुनिक प्रयोगों से परिचित कराने में हमारी सरकार एड़ी-चोंटी का जोर लगा रही है।

      प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा निश्चित रूप से 'जय जवान और जय किसान' नारे को चरितार्थ किया गया है। ये शब्द हमारे नहीं, बल्कि कमल सोनी के हैं, जो जवान भी रह चुके हैं और वर्तमान में किसान भी हैं। कारगिल के युद्ध में कमल दुश्मनों के छक्के छुड़ा चुके हैं। सन 2006 में भारतीय थल सेना से रिटायर होने के उपरान्त कमल ने खेती करना शुरू कर दिया था।

      उज्जैन से तकरीबन 14 किलो मीटर दूर ग्राम तालोद में कमल का घर और 5 बीघा कृषि भूमि है। उनका कहना है कि कृषि को फायदे का सौदा बनाने में जो पहल मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की है, उससे किसानों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है। अब वे परम्परागत कृषि के स्थान पर नये विकल्पों को तलाशने लगे हैं। इसी कड़ी में कमल द्वारा उद्यानिकी में अमरूद की फसल ली जा रही है। इसमें 2 बीघा जमीन में अमरूद लगाने पर जो खर्चा आया, उसमें सरकार द्वारा 40 प्रतिशत सब्सिडी उन्हें प्रदाय की गई है। अब उनके द्वारा शेष 3 बीघा जमीन पर भी गेहूं एवं चने की फसल के स्थान पर अमरूद के पौधे लगाये गये हैं। उनका कहना है कि एक पौधे से लगभग 500 रूपये, इस प्रकार 1 सीजन में अमरूद की फसल से उन्हें न्यूनतम 3 लाख रूपये का फायदा मिलेगा।

      यह लाभ परम्परागत फसल से मिलने वाले लाभ से लगभग 3 गुना अधिक होगा। किसान कमल सोनी ने कहा कि मुख्यमंत्री हर दिशा में विकास के लिये कार्य कर रहे हैं, चाहे वह कृषि हो, उद्योग हो, छोटा-मोटा व्यवसाय हो, स्वरोजगार हो, शिक्षा हो, बिजली हो, पशुपालन हो या किसानों का कौशल विकास। बतौर किसान वे मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये सहयोग का तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं। इतना ही नहीं बल्कि अपने स्मार्टफोन से ट्वीटर पर वे मुख्यमंत्री श्री चौहान को फॉलो भी करते हैं और अपने घर पर लगे कम्प्यूटर पर शासन की विभिन्न योजनाओं से 'अप टू डेट' भी रहते हैं। इससे अच्छा और प्रत्यक्ष उदाहरण क्या हो सकता है प्रदेश में किसानों के सशक्तिकरण में। 

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