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कविता संस्कृति को बचाए रखने का काम कर रही है डॉ. पुष्पा चौरसिया के कविता संग्रह “सात रंग जिंदगी” के लोकार्पण


 

उज्जैन । शब्द के प्रति समर्पण नहीं हो तो कविता भी नही होती है । जैसे जमीन पर उगने वाली घास बड़े पेड़ों की बराबरी तो नहीं कर सकती लेकिन अपने सामर्थ अनुसार पानी को रोकने की ताकत तो रखती ही है । यही बातकविता की है, कविता संस्कृति को बचाए रखने का काम समाज में कर रही है । यह उद्गार समालोचक प्रो. बी.एल. आच्छा (चैन्नई) ने 30 मई को आस्था गार्डन के भव्य प्रांगण में आयोजित समाजसेवी एवं कवयित्रि डॉ. पुष्पा चौरसिया के कविता संग्रह “सात रंग जिंदगी” के लोकार्पण प्रसंग पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए ।

प्रो. आच्छा ने कहा कि पुष्पा जी की कविताएं लक्षणा और व्यंजना के से अधिक अभिधा को समेटे हुए है ।जीवन के सत्य को जीवन की भाषा में आपने लिखा है , मनोविज्ञान से पूर्ण कविताएं सरल भाषा में दार्शनिक बाते कहती नजर आती है ।

विशेष अतिथि डॉ. शिव चौरसिया ने कहा कि सरस्वती के भाव विलास से जो शब्द प्रस्फूटित होते है वह कविता बन जाती है,  कविता करना कोई नौकरी नहीं है जिससे कुछ पाया जाए । छप्पन भोग को एक तुलसी दल नैवेद्य बना देता है , उसी तरह कविता समाज को संस्कृति को आदर्श बनाए रखती है । देने का नाम कविता है । 

लोकार्पण प्रसंग की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध कवि प्रमोद त्रिवेदी ने कहा कि कविता एक सीधी है रेखा है जो चलता है कदम बढ़ाता है स्वत: ही रास्ता खुलता जाता है ।पुष्पा जी की कविताएँ जीवन की खिड़कियाँ खोलती है, उनकी कविता लोक के लिए है ,लोक में आलोक लाती है ।उनकी कविता समाज के दाग मिटाने का काम करती है और यहीं कविता की सार्थकता है । 

आयोजन का शुभारम्भ श्री हरीश अंधेरिया की सरस्वती वंदना और श्री गोविंद बाबा के भजनों से हुआ । अतिथि स्वागत उद्बोधन वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने दिया । अतिथियों का स्वागत डॉ. संदीप चौरसिया, डॉ. राजेश चौरसिया, संदीप कुलश्रेष्ठ, प्रीति गोयल, डॉ.मोना चौरसिया ने किया । तत्पश्चात सात रंग जिंदगी के कृति की रचनाकार डॉ. पुष्पा चौरसिया ने अपनी बात रखते हुए कृति की कविताओ से सबको मुग्ध कर दिया । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरीश प्रधान, समालोचक श्री अशोक वक्त ने भी अपना उद्बोधन दिया । कार्यक्रम का संयोजन श्री संदीप सृजन ने व संचालन डॉ. राजेश रावल सुशील ने किया । आभार ड़ा संदीप चौरसिया ने माना ।आयोजन में नगर के कई प्रबुद्धजन,  विद्वान, कवि और  साहित्यकार उपस्थित थे ।

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