शिप्रा नदी पर बने एक पुल ने 5 गांवों की किस्मत बदल दी, कभी नाव से नदी पार करना पड़ती थी
उज्जैन । शिप्रा नदी उज्जैन शहर के तीन तरफ से सीमा रेखा बनाते हुए गुजरती है। नदी के इस सर्पिले आकार के कारण कई स्थानों पर गांवों की कनेक्टिविटी उज्जैन शहर से टूट जाती है। कई स्थानों पर ब्रिज बनाकर ग्रामीणों की समस्याएं हल की गईं हैं। लम्बे समय से त्रिवेणी घाट से लगे हुए ग्राम गोठड़ा, सिकन्दरी, पालखेड़ी, चांदमुख, दाऊदखेड़ी का सम्पर्क उज्जैन शहर से बारिश में टूट जाया करता था। ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। बारिश में ग्रामीण दाऊदखेड़ी से चिन्तामन वाले मार्ग से होकर लगभग 10 किलो मीटर का चक्कर लगाकर लोग त्रिवेणी घाट एवं उज्जैन शहर में पहुंच सकते थे।
क्षेत्रीय विधायक डॉ.मोहन यादव द्वारा लगातार प्रयास किया गया। नतीजतन सिंहस्थ-2016 की कार्य योजना में त्रिवेणी शनि मन्दिर के ठीक पीछे से शिप्रा नदी पर लगभग 2 करोड़ की लागत का ब्रिज स्वीकृत किया गया। सिंहस्थ में इस पुल के बन जाने से चिन्तामन को जोड़ने वाले सांवराखेड़ी मार्ग को दाऊदखेड़ी, सिकन्दरी, गोठड़ा होकर इन्दौर रोड से जोड़ दिया गया। गोठड़ा और सिकन्दरी के ग्रामीण जहां अपने ग्राम का सम्पर्क केवल शनि मन्दिर से जोड़ने की बात करते थे, वहीं वे अब शनि मन्दिर तो जा ही सकते हैं, चिन्तामन होकर सीधे बड़नगर मार्ग से भी जुड़ गये हैं। गोठड़ा ग्राम के निवासी रामेश्वर आंजना बताते हैं कि गांव के लोग वर्ष 2010 से लगातार प्रयासरत थे कि गांव का सीधा सम्पर्क त्रिवेणी होकर इन्दौर रोड से हो जाये। उन्होंने बताया कि बारिश में कई बार बीमारी व्यक्तियों को अस्पताल ले जाना मुश्किल का काम था। जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करते थे। अब पुल बन गया है तो निश्चित रूप से आसपास के कई गांव के लोग इसका लाभ ले रहे हैं। अपनी फसल, सब्जी, फल आदि की बिक्री करना भी आसान हो गया है। बारिश में गांव में उत्पादित होने वाला दूध खराब नहीं होता है। सबसे बड़ी बात जब आवश्यकता हो, तब मोटर सायकल में किक मारो और उज्जैन पहुंच जाओ। कृषक रामेश्वर आंजना और उनके जैसे अनेक ग्रामवासी इस पुल के बन जाने से अत्यधिक प्रसन्न हैं और वर्तमान शासन एवं जनप्रतिनिधियों के कार्यों की प्रशंसा करते हैं। सिकन्दरी ग्राम के रमेश कहते हैं कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान निश्चित रूप से हर गांव का भला चाहते हैं और उसी का प्रतिफल है कि हमारे छोटे-से गांव के लिये उन्होंने इतना बड़ा पुल बना दिया।