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निपाह वायरस बीमारी से घबराये नहीं, केवल कुछ सावधानियां बरतें


उज्जैन | स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय मप्र के संचालक डॉ.बीएन चौहान ने जानकारी दी कि केरल राज्य में गत दिनों निपाह वायरस की बीमारी के प्रकरण पाये जाने और इससे कुछ मृत्यु होने की खबर प्रकाश में आई है। निपाह वायरस सामान्यत: संक्रमित बड़ी चमगादड़ों और सुअरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलने वाला संक्रामक रोग है। उल्लेखनीय है कि ह्यूमन निपाह वायरस इंफेक्शन एक झूनाटिक (पशु पक्षियों से इंसानों में फैलने वाली) बीमारी के रूप में सबसे पहले मलेशिया और सिंगापुर में रिपोर्ट हुई थी।
    वर्तमान में केरल में निपाह वायरस के संक्रमण के बाद पीड़ित एवं मृत्यु के प्रकरणों के पश्चात एलर्ट जारी हुआ है। जिसके अन्तर्गत चिकित्सक मरीजों की जांच एवं परीक्षण में निपाह इंफेक्शन को ध्यान में रखते हुए उपचार करें। 

    निपाह वायरस बीमारी के कुछ सामान्य लक्षण बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, दस्त, सुस्ती आना, बेहोशी आदि होते हैं। ये लक्षण 1 या 2 दिन से लेकर 21 दिनों में प्रकट हो सकते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिये आमजन को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिये, जैसे- फल, जिसे चमगादड़ या अन्य पक्षी द्वारा काट लिया गया हो, उसका सेवन न करें। ताड़ी का सेवन न करें। बड़ी चमगादड़ों के सम्पर्क से बचें। ऐसे फल, जो वृक्ष से गिरे हुए हों या कटे-पिटे हों, उनका सेवन न करें। प्रभावित क्षेत्र से आये संभावित निपाह वायरस के रोगी से दूर रहें अथवा उनसे सम्पर्क न करें।

    केरल राज्य से आने वाले आगन्तुकों तथा बड़ी चमगादड़ों के निकट रहने वाले लोगों में निपाह वायरस बीमारी के लक्षण पाये जाने पर तत्काल शासकीय अस्पताल के चिकित्सक से अपना स्वास्थ्य परीक्षण करायें। राज्य स्तर से निपाह वायरस की रोकथाम और उपचार के सम्बन्ध में भारत शासन की गाइड लाईन के अनुसार सभी सीएमएचओ और सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं। गौरतलब है कि सामान्य रूप से यह बीमारी सीमित क्षेत्र में होती है। अत: इसके लिये प्रदेश के आमजन भयभीत न हों।  

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