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गौशालायें शासकीय अनुदान पर नहीं बल्कि स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बनाई जाये –डॉ.बामनिया


 

उज्जैन । गौशालाएं शासकीय अनुदान पर निर्भर नहीं रहें। स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बनने के लिये निरन्तर अनुसंधान करे। गौशालाओं को आने वाली समस्याओं पर शासन का पशु चिकित्सा विभाग निरन्तर ध्यान दे रहा है और गौशाला संचालन सुगम किया जायेगा। यह बात संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा डॉ.नरेन्द्र बामनिया ने कही।

संभाग के जिलों की पंजीकृत क्रियाशील गोशालाओं के प्रबंधकों तथा जिला गोपालन एवं पशुधन संवर्द्धन समितियों केप्रतिनिधियों की एक दिवसीय बैठक का आयोजन विगत दिवस उज्जैन की श्री शीतला माता गोशाला में आयोजित की गई। बैठक में 352 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

        मध्यप्रदेश गोसंवर्द्धन बोर्ड की कार्यपरिषद् के उपाध्यक्ष,मालवा क्षेत्र के प्रभारी श्रीनारायण व्यास ने गो-संगोष्ठी के विषयों की प्रस्तावना रखी तथा आये हुये सभी प्रतिनिधियों से अपना एवं अपनी गोशाला की विशेष बातों,कृत-कार्यों,उपलब्धियों को प्रस्तुत करने का आग्रह किया। गोरक्षा विभाग के मालवा प्रान्त के प्रमुख श्री समरसिंह चंदेल ने गोवंश की सेवा के विविध आयामों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी तथा गोवंश के विविध पक्षों का विचार प्रस्तुत किया। विश्व हिन्दू परिषद् के गोसेवा विभाग के मालवा प्रान्त के प्रान्त प्रमुख तथा आगर मालवा की जिला समिति के उपाध्यक्ष श्री सोहन विश्वकर्मा ने भी अपने विचार रखे तथा गोसेवा, गोवंश संरक्षण ,गोपालन से होने वाले आर्थिक लाभों का उल्लेख किया। श्री विनोद पाटीदार ने अपनी गोशाला में गोबर,गोमूत्र,पंचगव्य के विभिन्न उत्पादों का वर्णन किया और कहा कि शासन का आर्थिक अनुदान तो हमें  गोशाला संचालन में मात्र प्रोत्साहन करता है परन्तु गोशालायें तो आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाई जा सकती हैं। इस अवसर पर अनेक गोशालाओं के प्रतिनिधियों ने गाय से प्रतिदिन प्राप्त गोबर से जैविख खाद,गाय के मूत्र से जैविक कीटनियंत्रक, मृत गाय के देह को जमीन पर गाड़ देने से समाधि खाद बनाने,पंचगव्य से निर्माण औषधियों से प्राप्त आय का विवरण दिया तथा अपनी गोशाला को आत्मनिर्भर तथा सुप्रबंधित करने के सूत्र बताये। अनेकप्रतिनिधियों ने गोशाला संचालन में आने वाली समस्याओं को भी रेखांकित किया तथा अपने विचार व सुझाव भी रखे। जिलों के डिप्टी डायरेक्टर्स  ने शासन स्तर पर किये जा रहे कार्यों तथा शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुये अपने-अपने जिले का प्रशासनिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

        मध्यप्रदेश गोसंवर्द्धन बोर्ड की कार्यपरिषद् के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामीश्री अखिलेश्वरानंद गिरि ने म.प्र. गोसंवर्द्धन बोर्ड द्वारा प्रदेश की पंजीकृत क्रियाशील गोशालाओं को दिये जा रहे"कृषि मण्डी बोर्ड से प्राप्त आर्थिक सहयोग"का उल्लेख करते हुये कहा कि हमें यह बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि सरकारें गोशालाओं का संचालन नहीं करती हैं। बल्कि गोशालायें समाज द्वारा ही चलाई जाती हैं। "घर-घर गाय पालन की प्रवृत्ति और अभिरुचि तथा गाँव-गाँव गोशालायें स्थापित करने का प्रयास करना चाहिये। गोपालन एवं गोसेवा हम भारतीयों की पारम्परिक अभिरुचि और स्वभाव रहा है,वर्तमान में उसके पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।म.प्र. गोसंवर्द्धन बोर्ड के कृत-कार्य एवं भावी कार्ययोजना की विस्तार से उन्होंने जानकारी दी। कार्यक्रम के अन्त में श्री शीतलामाता गोशाला के अध्यक्ष महंत श्री बालकदासजी महाराज ने प्रकट किया। गोष्ठी में श्री नारायण व्यास ने सभी को सूचना दी कि 29 मई और 31 मई को क्रमशः जबलपुर और सागर संभाग में संगोष्ठियाँ  आयोजित की जायेंगी।

 

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