सरकार का किसानों की समृद्धि और उन्नति में अभूतपूर्व योगदान –किसान दयाराम
नौतपे की भीषण गर्मी भी न रोक सकी जनता को "अपने" मुख्यमंत्री से मिलने से
मुख्यमंत्री ने जितना किसानों के लिये किया,
उतना आज तक किसी ने नहीं किया –किसान धीरजसिंह
उज्जैन । "हमारे मुख्यमंत्री शिवराजजी ने किसानों के हित के लिये जितना किया है, उतना आज तक किसी ने नहीं किया है।" ये शब्द आगर-मालवा जिले में मुख्यमंत्री असंगठित मजदूर एवं तेन्दूपत्ता संग्राहक तथा जनकल्याणकारी योजनाओं के हितग्राही सम्मेलन में नलखेड़ा से आये किसान धीरजसिंह के थे। जब लोग किसी को "हमारा" कहकर सम्बोधित करते हैं तो उसमें अपनेपन का एहसास झलकता है। यह एहसास प्रदेश की जनता के दिलों में पैदा करना न तो इतना आसान था और न ही यह एकदम से उमड़ा है। इसकी बुनियाद है वह विश्वास और प्रेम जो प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जनता की उन्नति और विकास के लिये किये गये निरन्तर प्रयास से उत्पन्न हुआ है।
जरा सोचिये नौतपे के दिनों में जब आसमान से सूरज आग बरसाता है और नीचे की जमीन बेतहाशा गर्मी उगलती है। ऐसे में भी आम जनता अपने मुख्यमंत्री से मिलने और उन्हें सुनने के लिये काफी तादाद में कार्यक्रम स्थल पर आई थी।
कार्यक्रम में आये कुछ हितग्राहियों से जब बातचीत की तो अनेक बातें सामने आईं, जो निश्चित रूप से प्रदेश के विकास की नई इबारत लिखेंगी। किसान अब समाज के सम्पन्न और समृद्ध वर्ग में आते हैं। महिलाओं के चेहरों पर दबी और संकोच से भरी मुस्कुराहट नहीं दिखाई देती, बल्कि वे दिल खोलकर हंसती हैं। छोटे-छोटे बच्चे अब अच्छी शिक्षा और बेहतर भविष्य के बड़े-बड़े सपने देखने लगे हैं। गरीबों के सिर पर पक्की छत आ रही है। मजदूरों को उनकी मेहनत का पूरा लाभ मिल रहा है और न जाने कितने अनगिनत विकास के कार्य सतत चल रहे हैं।
किसान धीरजसिंह ने आगे बातचीत में बताया कि कुछ साल पहले तक उनकी आय काफी सीमित थी। परिवार में 10 लोग और थे। फसल से आय बस इतनी ही हो पाती थी कि जैसे-तैसे गुजारा हो जाता था। कई बार तो मन में आता था कि खेती-किसानी छोड़कर कोई दूसरा काम शुरू किया जाये, लेकिन उनके और परिवार के तब और अब के जीवन स्तर में जमीन आसमान का अन्तर आ गया है। अब वे जिन्दगी को काटते नहीं, बल्कि हर पल आनन्द के साथ जीते हैं। यह बदलाव परिणाम है मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश के किसानों की आय को दोगुना करने के लिये किये जा रहे निरन्तर प्रयासों का। धीरजसिंह के परिवार में 2 बेटे और 1 बेटी हैं। पहले वे अपने सभी बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर या अधिकारी बनाना चाहते थे, परन्तु अब अपने 1 बेटे को वे किसान बनायेंगे और यह बात उन्होंने बड़े गर्व से कही।
पहली बार देखा ऐसा मुख्यमंत्री
ग्राम रातड़िया से आये एक अन्य किसान दयाराम ने कहा कि पिछले कुछ सालों में किसानों के जीवन स्तर में आश्चर्यजनक बदलाव हुए हैं। हम लोगों की कड़ी मेहनत और परिश्रम ने मध्य प्रदेश शासन भी बहुत सहयोग किया गया। किसानों की समृद्धि और उन्नति में सरकार का योगदान अभूतपूर्व है। वे अपने जीवन के 57 बसन्त देख चुके हैं, 2 माह बाद 58 वर्ष के हो जायेंगे, लेकिन उन्होंने पहली बार ऐसा मुख्यमंत्री देखा है, जो किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिये इतनी चिन्ता और मजबूत प्रयास कर रहा है।
याद नहीं पिछली बार बीमार बच्चे को दवा कब दी थी
ग्राम गंगापुर से आये कृष्णपालसिंह सिसौदिया कहते हैं कि स्वच्छता मिशन शुरू होने के बाद उनके गांव की छवि ही बदल गई। लोग सफाई के प्रति जागरूक हो रहे हैं। शौचालय निर्माण हेतु उन्होंने कुछ समय पहले आवेदन दिया था और कुछ ही दिनों में उनके घर के समीप शौचालय बनकर तैयार हो गया। पहले घर में शौचालय न होने के कारण बाहर शौच करने से उनका 8 वर्षीय बालक अक्सर बीमार रहता था, लेकिन शौचालय बन जाने के बाद से उन्हें याद नहीं है कि आखरी बार कब उन्होंने अपने बीमार बच्चे को दवा दी थी।
भावान्तर से हुए मुनाफे से फूले नहीं समा रहे किसान
ग्राम गंगापुर के ही कृषक सुजानसिंह बरनावत भावान्तर भुगतान योजना से मिले लाभ से फूले नहीं समा रहे हैं। यही हर्षोल्लास बाकी किसानों में भी है। सुजानसिंह कहते हैं कि भावान्तर भुगतान योजना से उन्हें उम्मीद से ज्यादा लाभ मिला है। किसानों के लिये यह योजना संजीवनी साबित हुई है। उन्होंने इस कल्याणकारी योजना को लागू करने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान का आभार व्यक्त किया।
परम्परागत के स्थान पर अब नई फसलें भी लेने लगे हैं
ग्राम रोंकड़ा के किसान बहादुरसिंह ने कहा कि पहले वे केवल परम्परागत खेती किया करते थे, जिसमें गिनी-चुनी फसलें ही लेते थे, परन्तु भावान्तर भुगतान योजना में शासन द्वारा कुछ अन्य फसलों को शामिल करने के बाद वे अपने खेतों में प्रयोग कर नई फसलें लेने लगे हैं। सरसों और मसूर इस बार वे अपने खेत में लगायेंगे।
ग्राम कनासिया निवासी विक्रम ने भी यही कहा कि भावान्तर भुगतान योजना किसानों के लिये वरदान साबित हुई है। उन्हें सोयाबीन में 2800 रूपये प्रति क्विंटल के मान से भाव मिला है।
ग्राम जमुनिया बड़ौद निवासी किसान रामसिंह ने कहा कि भावान्तर योजना के अन्तर्गत सोयाबीन में उन्हें उम्मीद से कहीं ज्यादा लाभ मिला है। मुख्यमंत्री श्री चौहान बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। अब ऋण लेने पर ब्याज भी नहीं लगता है। फसल बीमा योजना के अन्तर्गत उन्हें राहत राशि भी समय पर प्राप्त हुई है। मुख्यमंत्री की जितनी प्रशंसा की जाये, कम है।
गेहूं बेचने पर 20 हजार रूपये का बोनस पिछले वर्ष का भी मिला
ग्राम पचेटी के भगवानसिंह चौहान ने कहा कि पिछले मौसम के गेहूं बेचने पर उन्हें काफी लाभ हुआ है। उनके द्वारा 100 क्विंटल गेहूं बेचा गया, जिस पर उन्हें लगभग 20 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई। समर्थन मूल्य पर चना विक्रय में भी उन्हें 4400 रूपये प्रति क्विंटल का लाभ मिला है। पहले मंडी में बेचने पर केवल 3400 रूपये प्रति क्विंटल का ही भाव आता था, लेकिन भावान्तर भुगतान योजना के शुरू होने से उन्हें सीधे-सीधे 1 हजार रूपये का प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो रहा है। उनके द्वारा पिछले सीजन में 70 क्विंटल चना बेचा गया, जिसमें 70 हजार रूपये का मुनाफा उन्होंने कमाया है।
आगे भगवानसिंह कहते हैं कि सौभाग्य योजना के शुरू होने से अब उनके गांव में चौबीस घंटे बिजली की सप्लाइ हो रही है और बिल भी कम आ रहे हैं। दीनदयाल चलित अस्पताल और जननी सुरक्षा के अन्तर्गत उनके गांव में आपातकालीन स्थितियों में कई लोगों की जान बचाई गई।
ग्राम हाबर निवासी कृषक शंकरलाल राठौर ने भी पिछले किसानों की तरह यही बात दोहराते हुए कहा कि पिछले वर्ष उनकी फसल खराब हो गई थी। केसीसी पलटा करते समय उन्होंने क्लेम कर दिया था। अत्यन्त कम समय में फसल बीमे की राशि उनके खाते में आ गई। उन्होंने बताया कि फसल बीमा योजना के अन्तर्गत 2 हजार रूपये प्रति बीघा के मान से राहत राशि उन्हें प्रदाय की गई।
"मैं खुद तो ज्यादा नहीं पढ़ सका, लेकिन बेटे-बेटियों को खूब पढ़ाऊंगा"
ग्राम कानड़ से आये दिनेशकुमार सूर्यवंशी ने कहा कि वे खुद तो ज्यादा नहीं पढ़ सके, लेकिन बेटे-बेटियों को खूब पढ़ायेंगे। पहले गरीब तबके के लोग अक्सर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा ग्रहण करवाने से वंचित रह जाते थे, परन्तु अब ऐसा नहीं है। जब शासन द्वारा प्रदेश के गरीब वर्ग के मेधावी छात्र-छात्राओं को शिक्षित करने की पूरी जिम्मेदारी ले ली गई है, तब उन्हें किस बात की चिन्ता। वे अपने एक बेटे और बेटी को खूब पढ़ायेंगे तथा उन्हें एक अच्छा और योग्य इंसान बनायेंगे। लाड़ली लक्ष्मी योजना के अन्तर्गत उनकी बेटी को लाभ मिल रहा है। बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने में मुख्यमंत्री की पहल अनुकरणीय है। गांव-गांव में लोग बेटियों के महत्व को समझने लगे हैं। उनके बालक को भी छात्रवृत्ति मिल रही है। मुख्यमंत्री की सभी योजनाएं व्यवहारिक रूप से जनता के लिये कल्याणकारी साबित हो रही हैं। इसीलिये वे सच्चे दिल से मुख्यमंत्री श्री चौहान को धन्यवाद देते हैं।(फोटो संलग्न-दिनेशकुमार सूर्यवंशी)
"पहले सिर पर बरसाती होती थी, अब पक्की छत है आई"
ग्राम हिरपुरभज्जा शाजापुर से आये 55 वर्षीय हितग्राही शिवनारायण चौहान से जब पूछा गया कि वे इतनी दूर से क्यों आये हैं, तब उन्होंने कहा कि वे केवल मुख्यमंत्री श्री चौहान को देखने और उनका धन्यवाद देने के लिये आये हैं। उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभान्वित किया गया है। पहले उनके सिर पर केवल बरसाती होती थी, लेकिन शासन की उक्त कल्याणकारी योजना के कारण उनके सिर पर पक्की छत आ सकी है।
मुख्यमंत्री पेयजल के आने के बाद गांव की सूरत बदली
शाजापुर के एक दूसरे गांव से आये बाबूलाल अहिरवार ने कहा कि उनके गांव की मुख्यमंत्री पेयजल योजना के आने के बाद सूरत ही बदल गई है। पहले गांव में पीने के पानी की बहुत समस्या थी। पेयजल कनेक्शन लग जाने के बाद अब उन्हें पानी लेने के लिये आसपास के गांव में नहीं जाना पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने सभी मजदूरों की पीड़ा को समझा
कानड़ के रघुराम ने कहा कि वे एक खेतीहर मजदूर हैं। पहले मजदूरों की व्यथा को कोई समझता नहीं था। हम लोग अन्दर ही अन्दर अपनी पीड़ा को सहते रहते थे। आखिर कहते भी तो किससे, लेकिन हाल ही में मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा जो असंगठित मजदूर कल्याण येाजना बनाई गई है, उससे हमें उतनी राहत मिली है, जितनी किसी पुराने जख्म के भर जाने पर मिलती है। उन्होंने मजदूर कल्याण योजना के अन्तर्गत अपना पंजीयन करा लिया है और अपने साथी मजदूरों से भी इसका लाभ लेने के लिये कहते हैं।
अब आंखों में खुशी के आंसू आते हैं, चूल्हा फूंकने के नहीं
कानड़ की राजूबाई को मुख्यमंत्री के हाथों से उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन प्रदाय किया गया। उन्होंने इस बात की प्रसन्नता जाहिर की कि अब उन्हें चूल्हे पर खाना नहीं बनाना पड़ेगा। पहले चूल्हा फूंकने से उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती थी और आंखों से लगातार आंसू निकलते रहते थे, परन्तु अब गैस कनेक्शन मिलने से उनकी आंखों में खुशी से आंसू आते हैं।