बुरी तरह कटी नसें, जीवन पर आया संकट, जान भी बची, हाथ भी सही सलामत
इंदौर रैफर किये दो गंभीर युवकों का उज्जैन में ही हुआ इलाज
उज्जैन। शहर के श्री गुरूनानक अस्पताल में डॉ. उमेश जेठवानी ने दो ऐसे घायलों का इलाज किया जिनके सामने जीवनभर की विकलांगता का संकट आन खड़ा हुआ था। दोनों युवकों के हाथ की नसें बुरी तरह कट गई थी और शहर के अस्पतालों से उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए इंदौर रैफर कर दिया गया लेकिन डॉ. जेठवानी ने उज्जैन में ही दोनों का न सिर्फ जीवन बचाया बल्कि उन्हें जीवन भर की विकलांगता से भी बचा लिया।
मुकेश निर्मल उम्र 22 वर्ष निवासी उज्जैन के हाथ में चोट लगने के कारण हाथ की नस कट गई थी। उसे शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से इंदौर रैफर कर दिया। परिजन द्वारा उसे श्री गुरूनानक अस्पताल में लाया गया। जहां पर डॉ. उमेशजेठवानी ने जांच में पाया कि मरीज के हाथ की नसें बुरी तरह कट चुकी हैं। तत्काल डॉ. जेठवानी ने हाथ की नसों को न्यूरोवास्क्युलर रिकन्स्ट्रक्शन पध्दति से जोड़ा। अब मरीज का हाथ पूर्ण रूप से काम कर रहा है।
बलवंत सिसौदिया उम्र 21 वर्ष निवासी जीरापुर की हाथ में चोट लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया जहां से उसे इंदौर रैफर कर दिया। परिजन बलवंत को श्री गुरूनानक अस्पताल लेकर आए जहां पर पता चला की उसके हाथ की नस बुरी तरह कट गई है और अधिक खून बहने से मरीज का ब्लड प्रेशर भी 60/40 आ रहा था। डॉ. उमेश जेठवानी ने मरीज का ऑपरेशन न्यूरो वास्क्युलर रिकन्स्ट्रक्शन पध्दति से कर नसों को जोड़ा और 3 बोतल खून चढ़ाया गया। वर्तमान में मरीज स्वस्थ है।
6 घंटे के भीतर हो ऑपरेशन तो अंग बचना संभव
डॉ. उमेश जेठवानी ने बताया कि ऑपरेशन अंग कटने के 6 घंटे के भीतर ही करना संभव होता है। यदि कटे हुए अंग को बर्फ की सिल्ला में रखकर लाया जाए तो 12 घंटे के अंदर भी ऑपरेशन किया जा सकता है। इसलिए अंग कटने के बाद कभी भी उपचार में देरी नहीं होनी चाहिये।