स्व. दिनकर की कविताओं पर नृत्य नाटिका से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
ujjain @ जाने-माने व्यंग्य कवि स्व. दिनकर सोनवलकर की 86वीं जयंती पर कालिदास अकादमी में स्मृति समारोह आयोजित किया गया। जिसमें स्व. सोनवलकर की कविताओं पर नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति इनती मनमोहक थी कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
कालिदास अकादमी के संकुल हॉल में स्व. सोनवलकर की 86वीं जयंती पर ओम हास्याय नम: द्वारा स्मृति समारोह संपन्न हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि कवि एवं गीतकार चंद्रसेन विराट, जाने-माने विचारक डॉ. वेदप्रताप वैदिक, लेखिका निर्मला भुराड़िया, साहित्यकार सत्यमोहन वर्मा (दमोह) और डीआईजी डॉ. रमणसिंह सिकरवार शामिल हुए। अतिथियों ने सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलित कर समारोह की शुरूआत की। जिसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत किया गया।
जाने-माने व्यंग्य कवि स्व. दिनकर सोनवलकर ने कवि दुष्यंत कुमार की गजलों व अन्य रचनाओं की प्रस्तुति देकर खूब दाद बटोरी थी। ऐसे में प्रतिभा संगीत कला संस्थान की 11 कलाकारों ने दिनकर की कविताओं पर आधारित नृत्य नाटिका ‘सृजन: एक अनवरत यात्रा’ की प्रस्तुति दिनकर की कविताओं के भावों के साथ दी। इसमें निर्गुण-निर्गुण मैं तो निर्गुण..., कलम वह मेरी है, जी जी रे जी जो मिला नहीं..., उसको पाने की दौड़ झपट..., आज का दिन भी यूं ही बैठे-बैठे बीत गया... को शामिल किया गया।
समारोह में अतिथियों ने स्व. सोनवलकर की पत्नी मीरा सोनवलकर, पुत्र प्रतीक सोनवलकर व पुत्रवधू डॉ. पंकजा सोनवलकर की पुस्तकों का विमोचन भी किया। वहीं दीक्षा सोनवलकर ने नृत्य वंदना की प्रस्तुति दी। मोहन शर्मा और नेहा आचार्य ने दिनकर व प्रतीक सोनवलकर की कविताओं की सस्वर प्रस्तुति दी। प्रो. प्रतीक्षा पाठक ने अपनी माता मीरा सोनवलकर की पुस्तक बिनु सत्संग विवेक ना होई के एक आलेख का वाचन किया।
कार्यक्रम में दिनकर के बालसखा सत्यमोहन वर्मा ने भी उनसे जुड़े कई संस्मरण सुनाए। डॉ. विवेक चौरसिया ने सोनवलकर के पारिवारिक सदस्यों के साहित्य योगदान के बारे में बताया। संचालन शैलेंद्र व्यास स्वामी मुस्कुराके एवं पद्मजा रघुवंशी ने किया। आभार मुकेश जोशी ने माना।