यहाँ गणपति सुनते है मोबाइल और चिट्ठी पर भक्तों की अरदास
इंदौर।गणेशोत्सव पर इन दिनों लोग दूर-दूर से अपने आराध्य के दर्शन को पहुंच रहे हैं। देश ही नहीं विदेशों से भी भक्त गणेशजी के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। इंदौर स्थित करीब 2000 साल प्राचीन जूना चिंतामन गणेश के भी कई भक्त हैं। कुछ देश तो कुछ सात समंदर पार विदेशों में। ये भक्त अपने आराध्य के दर्शन और अपनी मनोकामनाओं के साथ यहां पहुुंच रहे हैं, लेकिन जो नहीं आ पा रहे हैं वे लेटर के जरिए अपनी बात और मोबाइल से गजानन के दर्शन कर रहे हैं।
- पुजारी मनोहर लाल पाठक ने बताया कि जूनी इंदौर का प्राचीन मंदिर करीब 2000 साल पुराना है। इस मंदिर की स्थापना परमार राजाओं ने करवाया था। पौराणिक कथा के अनुसार औरंगजेब इस मंदिर को नुकसान पहुंचाने के मकसद से आया तो था, लेकिन जब वह मंदिर का दरवाजा ताला तोड़कर भीतर दाखिल हुआ तो गजानन के चमत्कार को देखकर वह हक्का-बक्का रह गया। गजानन के इस रूप को देख उसने यहां माथा टेका और उलटे पांव लौट गया था।
- भक्तों के कष्टों को हरने वाले जूनी चिंतामन गणेश का अब नाम बदल गया है। गजानन को अब लोग चिट्ठी वाले गणेश या मोबाइल गणेश के नाम से जानने लगे हैं। ऐसा इसलिए है कि गजानन के भक्त इंदौर ही नहीं देश और विदेशों में भी हैं। इसलिए बाहर रहने वाले ये भक्त गणेश जी के दर्शन के लिए या तो यहां आते हैं या फिर फोनकर उनके दर्शन करते हैं। कई भक्त अपनी मनोकामनाओं वाली चिटठी गणेश को पोस्ट करते हैं, जिन्हें पुजारी गजानन के समकक्ष अर्पित कर देते हैं और भगवान अपने भक्तों की चिंता को हर लेते हैं।
ऐसे शुरू हुआ चिट्ठी आने का सिलसिला
- सबसे पहले यहां धार के रहने वाले एक गरीब युवक ने गजानन को चिट्ठी भेजी थी। उसने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि बाबा मुझे इस लायक बना दो कि मैं आपको सवा पाव लड्डू चढ़ा सकूं। भगवान ने अपने इस निर्धन भक्ति की सुन ली और उसे ऐसा बना दिया कि वह उनके दर्शन और लड्डू चढ़ाने इंदौर आ गया। इसके बाद से ही बाबा को चिट्ठियां आने लगीं।
- बाहर रहने वाले भक्त अकसर पुजारी मनोहर लाल पाठक को कॉल कर गजानन के दर्शन करते हैं। इसके साथ ही वे समय-समय पर बाबा को याद करते हुए अपनी चिंता लिख भेजते हैं और जब उनकी समस्या का निवारण हो जाता है तो वे तब भी बाबा को धन्यवाद स्वरूप एक लेटर भेजते हैं। पुजारी के अनुसार गजानन के पास देश ही नहीं विदेशों से भी चिट्ठियां आती हैं। अब तक अमेरिका, दुबई, मक्का, नेपाल, रूस, जर्मनी, जापान जैसे कई देशों से भक्तों की चिट्ठियां यहां पहुंचती हैं। देश और विदेशों में रहने वाले कई भक्त तो हमें फोन करते हैं और गणेश के दर्शन करते हैं साथ ही जब उन्हें कोई मुराद मांगनी होती है तो हम फोन को गजानन के पास रख देते हैं, और वे भगवान से अपनी मन्नत कह देते हैं।