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भारतीय नेवी की बढ़ रही ताकत, INS कलवारी जल्द ही होगी शामिल


चीन से सिक्किम के डोकलाम एरिया में जारी विवाद के बीच इंडियन नेवी अपनी ताकत बढ़ाने को तैयार है। इसी महीने नेवी को दुनिया की सबसे घातक सबमरीन (पनडुब्बी) में से एक INS कलवारी मिलने की उम्मीद है। ये स्‍कॉर्पीन क्‍लास की सबमरीन है। बेड़े में इसके शमिल होने से इंडियन नेवी को बड़ी राहत मिलेगी। अंडरवाटर फाइटिंग फोर्स की ताकत काफी बढ़ जाएगी...
- माना जा रहा है कि INS कलवारी इंडियन नेवी के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इसके मिलने से देश की अंडरवाटर फाइटिंग फोर्स की ताकत काफी बढ़ जाएगी। भारत ने ऐसी 6 सबमरीन का ऑर्डर दिया था, कलवारी इसमें पहली है।

- INS कलवारी को फ्रांस की कंपनी DCNS के साथ मिलकर मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड में तैयार किया गया है। आईएनएस कलवारी नाम एक प्रकार की शार्क मछली से लिया गया है। इस मछली को टाइगर शार्क कहते हैं।

- मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL) के चेयरमैन और एमडी कमोडोर राकेश आनंद (रिटायर्ड) ने पिछले महीने कहा था, "INS कलवारी को अगस्त में नेवी को सौंपा जा सकता है। इसके सभी ट्रायल सफल हुए हैं। हालांकि इसके कमीशनिंग की डेट फाइनल होना बाकी है।"

क्या है इसकी खासियत?
- INS कलवारी डीजल और इलेक्ट्रिक सबमरीन है। इसमें लगे गाइडेड वेपंस दुश्‍मन पर सटीक हमला कर उसे पस्‍त करने की ताकत रखते हैं। टॉरपीडो के साथ हमलों के अलावा इससे पानी के अंदर भी हमला किया जा सकता है। साथ ही सतह पर पानी के अंदर से दुश्‍मन पर हमला करने की खासियत भी इसमें है। यह डीजल और इलेक्ट्रिक दोनों ही ताकतों से लैस है।

- इस पनडुब्‍बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में ऑपरेट किया जा सकता है। इस पनडुब्‍बी में इस तरह के कम्‍युनिकेशन मीडियम हैं कि दूसरी नेवल टास्‍क फोर्स के साथ आसानी से कम्‍युनिकेट किया जा सके।

- यह स्‍कॉर्पीन सबमरीन हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है। इस सबमरीन को वेपंस लॉन्चिंग ट्यूब्‍स से लैस किया गया है। इसकी वजह से बीच समंदर में ही इस पर हथियार लोड किया जा सकता है और किसी भी पल हमले को अंजाम दिया जा सकता है।

फ्रांस की कंपनी ने मुहैया कराई है टेक्नोलॉजी
- मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL) डिफेंस मिनिस्ट्री के तहत डिफेंस प्रोडक्ट्स तैयार करती है। MDSL प्रोजेक्ट 75 (P-75) के तहत फ्रांसीसी कंपनी DCNS के साथ मिलकर स्‍कॉर्पीन क्‍लास की सबमरीन्स तैयार कर रही है। फ्रांसीसी कंपनी ने इसके लिए टेक्नोलॉजी मुहैया कराई है। 

- INS कलवारी को पिछले साल सितंबर में ही नेवी को सौंपा जाना था, लेकिन ट्रायल में देरी के चलते इसकी डेडलाइन टालनी पड़ी।

चीन से क्या है मौजूदा विवाद?
- चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा है। डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलाेंग कहलाता है।

- चीन ने जून की शुरुआत में यह सड़क बनाना शुरू किया। भारत ने विरोध जताया तो चीन ने घुसपैठ कर दी। चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए। तभी से तनाव है। दरअसल, सिक्किम का मई 1975 में भारत में विलय हुआ था। चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता रहा, पर 2003 में उसने इसे भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि सिक्किम के कई इलाकों पर चीन अभी भी अपना दावा करता है।

चीन के पास 60, भारत के पास 15 सबमरीन्स
- चीन की नेवी अपने बेड़े की ताकत तेजी से बढ़ा रही है। उसके पास 60 सबमरीन्स हैं, जबकि भारत के पास 15 हैं। चीन ने हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं, जो भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती है।

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