विश्व बैंक ने दी भारत को हरी झण्डी, सिंधु जल समझौते के तहत कर सकता है पॉवर प्रोजक्ट का निर्माण
विश्व बैंक ने कहा है कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के तहत भारत को झेलम और चेनाब नदियों की सहायक नदियों पर कुछ शर्तों के साथ पनबिजली विद्युत संयंत्रों के निर्माण की अनुमति दे दी गयी है.
आईडब्ल्यूटी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की बातचीत खत्म होने पर कल जारी एक ‘‘फैक्ट शीट’’ में कहा गया है कि पाकिस्तान किशनगंगा (330 मेगावॉट) और रातले (850 मेगावॉट) पनबिजली विद्युत संयंत्रों के निर्माण का विरोध कर रहा है. इन संयंत्रों का निर्माण भारत कर रहा है.
गौरतलब है कि दोनों संयंत्रों के तकनीकी डिजाइन संधि के प्रतिकूल है या नहीं, इस बात को लेकर दोनों देश असहमत हैं. इस संदर्भ में आईडब्ल्यूटी ने इन दोनों नदियों और सिंधु को ‘पश्चिमी नदियां’ घोषित किया है, जिसका पाकिस्तान असीमित इस्तेमाल कर सकता है.
‘‘फैक्ट शीट’’ में विश्व बैंक ने कहा है, ‘‘अन्य इस्तेमालों के साथ-साथ भारत संधि के अनुलग्नक में शामिल शर्तों को ध्यान में रखते हुए इन नदियों पर पनबिजली विद्युत संयंत्र का निर्माण कर सकता है.’’ बैंक ने कहा कि आईडब्ल्यूटी के तकनीकी मुद्दों को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव-स्तरीय बातचीत ‘सद्भावना और सहयोग’ के माहौल में हुई.