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सजा से बचने अबू सलेम ने लगाई यूरोपियन कोर्ट में गुहार


1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों के मामले में दो दिन पहले टाडा की विशेष अदालत ने गैंगस्टर अबू सलेम समेत 6 आरोपियों को दोषी ठहराया. सलेम को सजा होने का एहसास काफी पहले हो गया था. इसीलिए फैसला आने से कई माह पहले डॉन ने यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) में याचिका दाखिल कर अपने पुर्तगाल वापसी की मांग की थी.

टीओआई की खबर के मुताबिक, सलेम ने जनवरी 2017 में ECHR में यह याचिका दाखिल की थी. सलेम ने भारत में अपनी मौजूदगी और ट्रायल दोनों को ही गैरकानूनी ठहराया. दरअसल सलेम जानता है कि पुर्तगाल की कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी इस शर्त पर दी थी कि भारत में उसे मौत की सजा नहीं दी जाएगी.

बिल्डर प्रदीप जैन के मर्डर के मामले में दोषी ठहराए जाने के एक साल पहले 2014 में लिसबन की अदालत ने 2003 के प्रत्यर्पण के फैसले को खारिज कर दिया था. पुर्तगाल की कोर्ट में सलेम ने दलील दी थी कि भारत में उसके खिलाफ ऐसे मामलों में ट्रायल चल रहा है, जिसमें उसे मौत की सजा हो सकती है.

कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए कहा था, सलेम की पुर्तगाल वापसी पुर्तगाली सरकार की जिम्मेदारी है. एक बार फिर सलेम पुर्तगाल के खिलाफ ECHR की शरण में पहुंचा है. सलेम चाहता है कि ECHR उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए पुर्तगाली सरकार से उसकी वापसी सुनिश्चित कराए.

साथ ही उसका मकसद भारत में चल रहे उसके खिलाफ ट्रायल को रोकना है. सलेम के वकील तारिक सैयद ने बताया कि प्रत्यर्पण का आदेश खारिज किए जाने और सलेम के पक्ष में फैसला आने के बावजूद उसे वापस पुर्तगाल ले जाने की कोशिश नहीं की गई. इसी मुद्दे को ECHR में उठाया गया है. फिलहाल अब इस मामले में भारत सरकार का पक्ष देखना महत्वपूर्ण होगा.

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