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‘जनहित याचिका’ की शुरूआत करने वाले पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस पीएन भगवती का निधन


देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस पीएन भगवती (95) का गुरुवार को यहां अल्प बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्हें जनहित याचिकाओं की अवधारणा लाकर देश में न्यायिक सक्रियता की शुरुआत के लिए जाना जाता है। उनके परिवार में पत्नी और तीन पुत्रियां हैं।

अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा। वे जुलाई 1985 से दिसंबर 1986 तक देश के 17वें प्रधान न्यायाधीश रहे। इसके पहले वे गुजरात हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रहे। जुलाई 1973 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया। जनहित याचिका के साथ भारतीय न्यायिक व्यवस्था में पूर्व उत्तरदायित्व की शुरुआत करने का श्रेय जस्टिस भगवती को जाता है।

उन्होंने ही व्यवस्था दी कि मौलिक अधिकारों के मामले में कोई भी व्यक्ति सीधे न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। उन्होंने ही कहा था कि कैदियों को भी मौलिक अधिकार दिए जाना चाहिए। उनेक महत्वपूर्ण फैसलों में 1978 का मेनका गांधी पासपोर्ट कुर्की का मामला है। इसमें उन्होंने जीने के अधिकार की व्याख्या की। साथ ही कहा कि किसी भी व्यक्ति का आवागमन नहीं रोका जा सकता है।

साथ ही कहा कि किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट रखने का अधिकार है। मिनर्वा मिल मामले में भी वह अलग फैसला देने वाले एकमात्र जज थे जिसने आपातकाल के समय 42वें संशोधन को बनाए रखा था। बहुमत से फैसला हालांकि रद्द कर दिया गया था। मिनर्वा मिल केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान ने संसद की संविधान संशोधन की शक्ति को सीमित रखा है। संसद इस सीमा को नहीं लांघ सकती और खुद को असीमित शक्ति नहीं दे सकती।

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