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सोयाबीन कृषकों के लिए कृषि विभाग की सलाह जारी


 

उज्जैन । सोयाबीन की खेती के लिए जाने जाने वाले उज्जैन संभाग के विभिन्न भागों में मानसून के आगमन को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन कृषकों को संयुक्त संचालक कृषि द्वारा सलाह जारी की गई है कि मानसून के आगमन के पश्चात भूमि में पर्याप्त नमी ,कम से कम 100 मिली मीटर बारिश होने की स्थिति में ही सोयाबीन की बुवाई करें।

संयुक्त संचालक श्री डी के पांडेय ने कहा है कि सोयाबीन के बीज का आकार एवं पूर्ण अंकुरण  क्षमता के अनुसार छोटे दाने वाली प्रजातियों का  बीज दर 55 से 60 किलोग्राम प्रति हेक्टर, मध्यम आकार के सोयाबीन का 60 से 65  किलोग्राम प्रति हेक्टर एवं बड़े दाने वाली किस्म के बीज का 70 से 75 किलोग्राम प्रति हेक्टर के मान से ही बोनी  की जाना चाहिए। किसान उपलब्ध सोयाबीन बीज की अंकुरण क्षमता की जांच कर लें ,जो कि न्यूनतम 70 प्रतिशत होना चाहिए ।किसान भाई विभिन्न रोगों से बचाव विशेषता पीला मोजाइक  बीमारी  से बचाव के सुरक्षात्मक तरीके के रूप में बोवनी  के समय सोयाबीन के बीज को फफूंद नाशक थायरम एवं कार्बेंडाजिम 2और 1 के अनुपात में से उपचारित करें। उपचार के तुरंत बाद कीटनाशक थयो  मिथाकस्म  30 ऍफ़  एस या इमिडाक्लोप्रिड इन 48 ऍफ़ एस से उपचारित किया जाए। उसके बाद राइजोबियम पीएसएम कल्चर का प्रयोग करें।

रासायनिक फफूंद नाशक थायरम  के स्थान पर जैविक फफूंदनाशक ट्रायकोडर्मा विरिडी का उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसका उपयोग कीटनाशक से उपचारित करने के पश्चात राईजोबियम पीएसएम कल्चर के साथ में ही किया जाना चाहिए। वर्षा की अनिश्चितता एवं सूखे की समस्या के कारण सोयाबीन की फसल में होने वाली संभावित उत्पादन में कमी को देखते हुए बी बी ऍफ़  सीड ड्रिल ,फर्ब्स  सीड ड्रिल  का उपयोग कर सोयाबीन की बुवाई की जाना चाहिए ।इन मशीनों की उपलब्धता ना होने पर सुविधानुसार 6 से 9 कतारों के पश्चात देशी हल चलाकर नमी  संरक्षण के लिए नालियां बनाए जा सकती है ।सोयाबीन की बोनी करते समय बीज की गहराई अधिकतम 3 सेंटीमीटर होना चाहिए जिससे अंकुरण प्रभावित नहीं होता है। सोयाबीन की बोनी अनुसूचित कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर होना चाहिए सोयाबीन की फसल में पोषण प्रबंधन हेतु अनुशंषित पोषक तत्व की मात्रा 25 बटा 7 बटा 40 बटा 20 किलोग्राम  प्रति हेक्टर नत्रजन  का उपयोग बोवनी के समय ही सुनिश्चित किया जाना चाहिए । बोनी  के तुरंत बाद उपयोग में लाए जाने वाले अनुसूचित खरपतवार को जैसे डायक्लोसूलम , 26 ग्राम प्रति हेक्टर या सल्फेन्ट्राजोन 750 मिलीलीटर प्रति हेक्टर या पेंडीमेथिलीन 3.25 लीटर प्रति हैक्टर की दर से किसी एक खरपतवारनाशक का चयन कर 500 लीटर पानी के साथ फ्लडजेट या फ्लैटकेन जल का उपयोग कर समान रुप से खेत में छिड़काव किया जाना चाहिए। एकल पद्धति की तुलना में सोयाबीन की अंतर्वर्ती खेती आर्थिक रुप से अधिक लाभकारी होती है। अतः सलाह दी गई है कि सोयाबीन और मक्का ज्वार अथवा अरहर अथवा कपास को 4/2 के अनुपात में 30 सेंटीमीटर कतारों से कतारों की दूरी पर बोवनी करें। अंतरवर्ती फसल की स्थिति में केवल पेंडीमेथिलीन खरपतवार का प्रयोग किया जाना चाहिए।

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