ध्वज वंदन के साथ हुआ पंचकल्याणक का शुभारंभ
अष्टकुमारियों के साथ निकला बच्चों का बैंड-शोभायात्रा, घटयात्रा के साथ हुआ पंडाल उद्घाटन
उज्जैन। पंचकल्याणक का शुभारंभ मंगलवार को धूमधाम से हुआ। जिसमें सर्वप्रथम श्रीजी की शोभायात्रा, घटयात्रा, ध्वजारोहण, पंडाल उद्घाटन, मंच लोकार्पण, मुनिश्री के मंगल प्रवचन, महिलाओं द्वारा मंडल की शुध्दि, सकलीकरण, इंद्रप्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा, अभिषेक पूजन के साथ प्रारंभ हुआ पंचकल्याणक महोत्सव। मुनिश्री समतासागरजी महाराज एवं ऐलकश्री निश्चयसागरजी महाराज, प्रतिष्ठाचारी बाल ब्रहम्चारी अभय आदित्य भैया एवं ब्रहम्चारी सुनील भैया इंदौर के सानिध्य में श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर लक्ष्मीनगर मंे प्रातः 4.45 बजे मंगलाष्टक, अभिषेक, पूजन, गुरू आज्ञा जिनालय में तत्पश्चात 6.30 बजे भव्य शोभायात्रा, घटयात्रा जिनालय से कार्यक्रम स्थल तक निकली।
मीडिया प्रभारी सचिन कासलीवाल एवं संयोजक जीवंधर जैन ने बताया कि शोभायात्रा में लगभग 20 बग्घियां, 3 हाथी, 12 घोड़े, 4 बैंड, 1 बच्चों का बैंड, महिलाएं केसरिया वस्त्र धारण किये सिर पर कलश रखे हुए चल रही थीं। पुरूष श्वेत वस्त्र धारण कर जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे। 8.35 मिनिट पर नरेन्द्र बिलाला द्वारा ध्वजारोहण किया गया। पंडाल उद्घाटन विजेन्द्र जैन सुपारीवाले एवं मंच का लोकार्पण अशोक जैन चायवाला द्वारा किया गया। मंच पर प्रथम कलश स्थापना करने का सौभाग्य विमलेश जैन ऋषिनगर को प्राप्त हुआ।
9 बजे मुनिश्री के प्रवचन हुए जिसमें उन्होंने कहा कि जब भगवान गर्भ में आते हैं उसके पूर्व से ही उस नगरी में अपार खुशियां छा जाती हैं, धन वर्षा के रूप में हीरे जवाहरात आकाश से गिरने लगते हैं, वातावरण सुशोभित होता है, स्वयं इंद्र भी स्वागत करते हैं जिस प्रकार आज जलवर्षा कर भूमि को शुध्द किया। ऐसे कई कार्य भगवान के गर्भ में आने के पूर्व से ही प्रारंभ हो जाते हैं। सभी घरों में खुशियां छा जाती हैं। इसी के साथ महाराज ने दान की महिमा का भी उल्लेख करते हुए बताया कि धन तो सबके पास होता है लेकिन दान के भाव बहुत कम होते हैं। श्रीजी की भक्ति भाव एवं आराधना से अपने भव और भाव दोनों ही बदल जाते हैं। प्रवचन के पश्चात महिलाओं द्वारा अपने सर पर कलश रखकर मंडल और पंडाल के 3 चक्कर लगाते हुए कलश के जल से मंत्रोच्चार के साथ मंडप और मंडल को शुध्द किया। संपूर्ण क्षेत्र का सकलीकरण हुआ। इन्द्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा, अभिषेक एवं
शांतिधारा हुई। दोपहर 1.30 बजे से यागमंडल विधान हुआ जिसमें सभी पात्रों ने इस विशेष पूजा अनुष्ठान में भाग लिया। 3 बजे मुनिश्री के पुनः प्रवचन हुए जिसमें मुनिश्री ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के महत्व का फल बताते हुए श्रीजी में आस्था का महत्व भी बताया और जो लोग ऐसे महोत्सव में संयोजन और सहयोगी बनते हैं उनका भी महत्व बताया। शाम को पंचकल्याणक महोत्सव में जबलपुर और सागर से आये कलाकारों ने श्रीजी की भव्य संगीतमय आरती की। तत्पश्चात सौधर्म इंद्र दरबार लगाया गया, इस दरबार में सौधर्म इंद्र के साथ धनपति कुबेर, महायज्ञ नायक भरत चक्रवर्ती, राजा महाराजा की सुसज्जित वेशभूषाओं में दरबार लगा। कुबेर इंद्र द्वारा संपूर्ण अयोध्या नगरी में रत्नों की वर्षा की। भगवान के गर्भ में आने से पहले उनकी माताजी को आये 16 सपने देशभर से आए कलाकारों के माध्यम से दिखाए गए। वहीं अष्टकुमारी बनी छोटी-छोटी बच्चियों द्वारा आदिनाथ भगवान की माता की सेवा एवं भेंट समर्पित का कार्यक्रम एवं मध्यरात्रि में गर्भकल्याणक की आंतरिक क्रियाएं भी संपन्न हुई। संपूर्ण शोभायात्रा की समिति में नितीन डोसी, ललित जैन, हितेश सेठी, संजय जैन दादा ने प्रमुख भूमिका निभाई। मनोज पहाड़िया, प्रदीप बाकलीवाल ने संपूर्ण पंडाल की व्यवस्थाओं को संभाला।
मुख्य कार्यालयीन समिति में प्रकाश कोठारी, शैतानमल सरावगी, शंभूकुमार चांदवाड़, एस.के. जैन शामिल थे। संपूर्ण समाज की भोजन व्यवस्था दिलीप सोगानी, प्रदीप झांझरी, सुनील कासलीवाल ने संभाली। मुख्य अतिथि के रूप में संगठन मंत्री प्रदीप जोशी एवं पार्षद संतोष व्यास, राधेश्याम वर्मा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। संपूर्ण मंदिरों के अध्यक्ष एवं पंचकल्याणक महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुनील जैन खुरई, अशोक जैन गुनावाले, राजेन्द्र लुहाड़िया, अरविंद बुखारिया, शैलेन्द्र जैन, संजय लुहाड़िया, गौरव लुहाड़िया आदि उपस्थित थे।