उज्जैन संभाग की सिंचाई परियोजनाएं
उज्जैन । उज्जैन संभाग में 01 वृहद सिंचाई परियोजना, 12 मध्यम सिंचाई परियोजनाएं तथा 525 लघु सिंचाई परियोजनाएं हैं। 01 वृहद परियोजना गांधी सागर बांध मंदसौर में संचालित है। संभाग में 12 मध्यम परियोजनाएं संचालित हैं, जिनमें रतलाम में धोलावड़ परियोजना, नीमच में मोरवन तालाब एवं नीमच में ठिकरिया तालाब, मंदसौर में रेतम बैराज, उज्जैन में अरनिया बहादुर तालाब, देवास में चन्द्रकेशर एवं दतुनी तालाब, शाजापुर में चिल्लर एवं लखुन्दर तालाब, आगर में टिल्लर, कछाल तथा कीटखेड़ी बांध हैं।
उज्जैन संभाग में 04 ऐसी सिंचाई परियोजनाएं हैं, जो निकास द्वारों द्वारा संचालित हैं तथा जलाशयों में पानी बढ़ने की स्थिति में इनका पानी डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जाता है। इनमें से 03 संभाग के मंदसौर जिले में संचालित हैं तथा 01 रतलाम जिले में। मंदसौर जिले में चंबल नदी पर गांधी सागर बांध वृहद परियोजना, रेतम नदी पर काकासाहेब गाडगिल सागर एवं रेतम बैराज सिंचाई परियोजना तथा रतलाम जिले में झामड़ नदी पर धोलावड़ जलाशय परियोजना संचालित है। इसके अलावा संभाग के देवास जिले के लगभग 02 दर्जन गांव इंदिरा सागर परियोजना के बैक वॉटर से प्रभावित होते हैं। बरसात के मौसम में इन सब परियोजनाओं के गेट खुलने तथा अत्यधिक पानी छोड़े जाने से डाउन स्ट्रीम (निचले इलाके के क्षेत्र) में पानी भरने से जन-धन को हानि होने की आशंका रहती है।
उज्जैन संभाग की प्रमुख नदियां
उज्जैन संभाग के उज्जैन जिले में शिप्रा, चंबल, गंभीर, चामला तथा छोटी कालीसिंध नदियां हैं। रतलाम जिले में शिप्रा, चंबल, मलेनी, माही, पिंगला तथा झामड़ नदियां हैं। नीमच जिले में रेतम, गुंजाली, ब्राह्मणी, गंभीरी, ईडर तथा तिलसोई नदी है। मंदसौर जिले में शिवना, रेतम, चंबल, रेवा, तुम्बड़, सेमली, सोनारी तथा रूपा नदियां हैं। देवास जिले में नर्मदा, कालीसिंध, दतूनी, चन्द्रकेश्वर, खारी, कृष्णा, जामनेर, छोटी कालीसिंध तथा शिप्रा नदी है। शाजापुर जिले में लखुन्दर, टिल्लर, कालीसिंध तथा नेवज नदियां हैं। आगर जिले में लखुन्दर, टिल्लर, छोटी कालीसिंध, आहू तथा कंठाल नदियां बहती हैं।
गांधी सागर बांध वृहद परियोजना
गांधी सागर बांध का अधिकतम जलस्तर 1312 फीट है। इसमें 08 फीट अधिक जलस्तर हो जाने पर बाढ़ की आशंका रहती है तथा ऐसे में इसके पानी की निकासी 10 गेटों के द्वारा की जाती है, जिनकी अधिकतम जल निकासी क्षमता 13 हजार 705 क्यूमैक्स (4 लाख 84 हजार क्यूसेक्स) है। निकासी के जल का फैलाव नदी के दोनों तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियां होने से नदी में ही रहता है। ये क्षेत्र आबादी विहीन होने के कारण इनमें कोई धार्मिक आयोजन 15 जून से 15 अक्टूबर तक नहीं होता है। संभाग के मंदसौर जिले के भानपुरा व गरोंठ क्षेत्रों में इसके पानी जाने की आशंका रहती है, जहां इससे लगभग 381 मकान प्रभावित हो सकते हैं। गांधी सागर बांध पर जल निकासी के समय पुलिस का मुख्य काम होता है बाढ़ क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करना।
काकासाहेब गाडगिल बांध
मंदसौर जिले में रेतम नदी पर काकासाहेब गाडगिल सागर है। बांध का अधिकतम जलस्तर 460.80 मीटर है। अधिकतम जलस्तर से 01 फुट कम पानी होने पर ही बांध के गेट खोल दिए जाते हैं, जिससे निकासी क्षेत्र में आने वाले गांवों में पानी न भर पाए। इसकी डाउन स्ट्रीम में 22 गांव आते हैं, इन सभी गांवों में लाल पेन्ट से मार्किंग की जाती है तथा लगातार पेट्रोलिंग की जाती है। इस क्षेत्र में 15 जून से 15 अक्टूबर तक कोई धार्मिक आयोजन स्नान आदि नहीं होते। इसके 09 जल द्वारों की अधिकतम निकासी क्षमता 02 हजार 549 क्यूमैक्स (90 हजार क्यूसेक्स) है। बाढ़ से निकासी की सूचना प्राप्त होने पर महू-नीमच रोड एवं जीरन-मल्हारगढ़ रोड की पुलिया पर बांध स्थल पर पुलिस एवं राजस्व विभाग द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।
रेतम बैराज मध्यम सिंचाई परियोजना
रेतम बैराज मध्यम सिंचाई परियोजना मंदसौर जिले में रेतम नदी पर बनी हुई है। बांध का अधिकतम जलस्तर 427.5 मीटर होने के पूर्व ही 01 फुट नीचे पानी होने पर बांध के गेट खोल दिए जाते हैं। इसके डाउन स्ट्रीम क्षेत्र में 11 गांव आते हैं, इन सभी में रैड मार्किंग किए जाकर निरन्तर पेट्रोलिंग की जाती है। यहां भी जून से अक्टूबर तक कोई भी धार्मिक आयोजन अथवा स्नान आदि नहीं होते हैं। योजना के 24 रेडियल जल द्वारों से अधिकतम एक बार में 03 हजार 815 क्यूमैक्स (01 लाख 34 हजार 725 क्यूसेक्स) जल की निकासी हो सकती है। जल निकासी की सूचना पर पिपल्यामंडी से जावद रोड की पुलिया पर बांध स्थल पर पुलिस एवं राजस्व विभाग द्वारा चौकसी की जाती है।
धौलावड़ जलाशय मध्यम सिंचाई परियोजना
रतलाम जिले में झामड़ नदी पर धोलावड़ जलाशय निर्मित है। इसका अधिकतम जलस्तर 395 मीटर है। यहां भी अधिकतम जलस्तर के पूर्व ही बांध के गेट खोल दिए जाते हैं। इसकी डाउन स्ट्रीम में 18 गांव आते हैं, जहां एचएफएल (हाई फिलिंग लेवल) अर्थात अधिकतम जलस्तर की मार्किंग की जाती है। इसके डाउन स्ट्रीम के क्षेत्र में कोई धार्मिक मेले आदि आयोजित नहीं किए जाते हैं। वर्षाकाल में 06 रेडियल जल द्वारों से अधिकतम 1472 क्यूमैक्स (52 हजार क्यूसेक्स) एक बार में पानी छोड़ा जा सकता है।
देवास जिले के 29 गांव होते हैं नर्मदा के जल से प्रभावित
यद्यपि इंदिरा सागर परियोजना उज्जैन संभाग में नहीं है तथापि इस परियोजना का पानी 262 फीट ऊंचाई तक बढ़ने पर इसका बैक वॉटर देवास जिले के 17 गांवों को प्रभावित करता है, जिनमें कन्नौद तहसील के 07 गांव मिर्जापुर, रवलास, दुलवा, कणा बुजुर्ग, अकालिया, धोंध्याखेड़ी व मवासा तथा बागली तहसील के 10 गांव रामपुरा नर्मदा, कोथनीर, जामली, धारड़ी, नयापुरा, गुवाड़ी, सेमली नर्मदा, देवझिरी व कनाड शामिल हैं। इसके अलावा नर्मदा के जल से देवास जिले की खातेगांव तहसील के 12 गांव तमखान, मेलपिपल्या, सिराल्या रेवातीर, नेमावर, कुंडगांवखुर्द, तुरनाल, दैयत, मुरझाल, करोदमाफी, चिचली, बिजलगांव व पीपल नेयरी प्रभावित होते हैं।
सिंचाई क्षमता
उज्जैन संभाग की कुल 537 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 32967 हैक्टेयर तथा खरीफ में 161986 हैक्टेयर रूपांकित सिंचाई क्षमता है। उज्जैन जिले की कुल 102 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 25032 है. तथा खरीफ में 2295 है., रतलाम जिले की कुल 89 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 24454 है. तथा खरीफ में 5225 है., नीमच जिले की कुल 58 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 15992 है. तथा खरीफ में 2880 है., मंदसौर जिले की कुल 105 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 36274 है. तथा खरीफ में 4007 है., देवास जिले की कुल 70 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 22502 है. तथा खरीफ में 4973 है., शाजापुर जिले की कुल 72 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 16032 है. तथा खरीफ में 5419 है. तथा आगर जिले की कुल 42 सिंचाई परियोजनाओं की रबी में 21700 है. तथा खरीफ में 8168 है. रूपांकित सिंचाई क्षमता है।