शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के अन्तर्गत ग्रामों में निकली कलश यात्रा
लोगों ने जल संरक्षण का लिया संकल्प, शिप्रा तीर्थ सेवा परिक्रमा 3 व 4 जून को, हजारों ग्रामीणजन होंगे शामिल
समापन पर मुख्यमंत्री का आना प्रस्तावित
उज्जैन । धार्मिक और तीर्थ नगरी उज्जैन में गंगा दशहरे के अवसर पर आयोजित होने वाली शिप्रा तीर्थ सेवा परिक्रमा को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में खासा उत्साह बना हुआ है। शिप्रा तीर्थ सेवा परिक्रमा के संयोजक और विधायक डॉ.मोहन यादव ने बताया कि विगत वर्ष हुए सिंहस्थ महापर्व की शानदार सफलता के बाद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मनोभाव अनुसार शिप्रा को सतत प्रवाहमय बनाने एवं उसके अस्तित्व को बचाये रखने के उद्देश्य से आयोजित होने वाली शिप्रा तीर्थ सेवा परिक्रमा का शुभारम्भ आगामी 3 जून को सुबह 8 बजे से होगा। इसके साथ ही अगले दिन 4 जून की शाम को चुनरी उत्सव के साथ ही शिप्रा तट पर ही समापन होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का आना भी प्रस्तावित है।
विधायक डॉ.यादव ने बताया कि गत दिवस दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में शिप्रा तीर्थ सेवा परिक्रमा को लेकर आयोजित किये गये जल सम्मेलन के तहत ग्राम तालोद में ग्रामीण क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं व पुरूषों ने जल संरक्षण का संकल्प लेकर कलश यात्रा निकाली। उल्लेखनीय है कि गांवों में महिलाओं द्वारा कलश यात्रा निकाली जाकर हजारों की संख्या में ग्रामीणजन जल संरक्षण का संकल्प ले रहे हैं। विधायक ने जानकारी दी कि शासन की 1482 करोड़ रूपये की महती योजना के माध्यम से उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के 32 गांवों में सीधे नर्मदा के पानी से खेत सिंचित होंगे। इसके माध्यम से नदी और खेत को नया जीवन मिलेगा, वहीं किसानों को भी परेशानी से मुक्ति मिलेगी। कलश यात्रा के दौरान उज्जैन दक्षिण के 32 गांवों के सरपंच और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी मौजूद थे।
कार्यक्रम के पश्चात नर्मदा पाइप लाइन का अवलोकन भी कराया गया। ज्ञात हो कि इस योजना के माध्यम से फरवरी-2018 के पहले ग्रामीण क्षेत्रों में नर्मदा का पानी सिंचाई के लिये उपलब्ध हो सकेगा। विधायक डॉ.यादव ने बताया कि शिप्रा तीर्थ सेवा परिक्रमा के प्रारम्भ में उपस्थित जन-समुदाय को नदी जल एवं पर्यावरण की रक्षा के लिये संकल्प दिलाया जायेगा। इसके पश्चात सभी जन परिक्रमा में शामिल होंगे। यह परिक्रमा लगभग 54 किलो मीटर की होगी, जो कि दो दिनों में पूर्ण होगी। परिक्रमा पूर्ण होने के पश्चात मां शिप्रा का विशिष्ट श्रृंगार, पूजन और अभिषेक किया जायेगा, जिसके बाद 351 फीट लम्बी चुनरी शिप्रा को अर्पित की जायेगी।
परिक्रमा में आम नागरिकों के साथ जल, जन्तु व वनस्पति वैज्ञानिक, पुरातत्वविद, मूर्तिकला, एनएसएस व भारत स्काउट गाईड के दल भी सम्मिलित होंगे। इस परिक्रमा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धी ये भी है कि प्रतिवर्ष परिक्रमा के दौरान साथ चलने वाले वैज्ञानिक दलों द्वारा जो शोध किया जायेगा, उसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (MPCOST) को भेजी जायेगी।
शिप्रा संरक्षण के लिये जन-जागृति जरूरी
विधायक डॉ.यादव ने बताया कि मोक्षदायिनी शिप्रा के जल संवर्द्धन को लेकर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का आयोजन इस उद्देश्य से किया जाता है कि आम जनता में शिप्रा संरक्षण को लेकर जन-जागृति हो। अभी तक शासन के माध्यम से शिप्रा का कटाव रोकने, खान नदी के प्रदूषित पानी को शिप्रा जल में मिलने से रोकने और स्टापडेम बनाने के साथ-साथ मां नर्मदा का पानी मिलाने के कार्य किये गये हैं।
प्रवहमान हो शिप्रा, यही प्रयास
विधायक ने जानकारी दी कि सिंहस्थ पर्व के दौरान शिप्रा जल के साथ नर्मदा जल से भी श्रद्धालुओं ने स्नान किया। मोक्षदायिनी शिप्रा को लेकर यही प्रयास रहेगा कि आगे आने वाले सिंहस्थ महापर्व-2028 के दौरान श्रद्धालु शिप्रा के प्रवाहमान जल में स्नान कर सकें। शिप्रा के किनारों पर वृक्षारोपण करने के लिये किसानों को फलोद्यान हेतु प्रेरित किया जायेगा। शिप्रा से जुड़े हुए तालाबों को जन-भागीदारी के माध्यम से गहरीकरण करवाने की योजना भी बनाई जा रही है।
शिप्रा शोधपीठ की स्थापना
शिप्रा संवर्द्धन को लेकर शोधपीठ की स्थापना कर शिप्रा के जल को संरक्षित कर और उसके जल में मिलने वाले जीव-जन्तुओं, पुरातत्व सामग्री और मूर्तिकला पर शोध किया जायेगा। इसके पीछे प्रमुख उद्देश्य यह होगा कि शिप्रा का पुरातात्विक वैभव पूरे देश में जाना जाये।