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केन्द्रीय जेल में 51 कैदियों ने प्रथम श्रेणी में पास की आईटीआई


उज्जैन @  केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में 55 कैदियों ने आईटीआई की परीक्षा दी थी। जिसमें से 51 कैदियों ने फर्स्ट डिवीजन में यह परीक्षा पास की है। जबकि 2 कैदियों ने सैकेंड डिवीजन इस परीक्षा को उत्तीर्ण किया है। जेल से बाहर निकलने के बाद अब कैदी बैरोजगार नहीं रहेंगे। उन्हें आसानी से रोजगार मिल जाएगा।

उज्जैन केन्द्रीय जेल में आईटीआई की विभिन्न ट्रेड में 51 बंदियों ने प्रथम श्रेणी तथा दो बंदियों ने द्वितीय श्रेणी में परीक्षा पास की है। जेल अधीक्षक ने बताया कि सीमित वित्तीय संसाधनों और कम समय में आईटीआई की स्थापना की गई। अध्यापन के लिए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई। जेल में ही क्लास रूम और प्रयोगशाला भी बनाई गई। निरूत्साहित अवसादग्रस्त युवा बंदियों की लगातार काउंसिलिंग कर उन्हें एडमिशन के लिए प्रेरित किया गया।

       छह महीनों की लगातार मेहनत के बाद गत माह चारों ट्रेडों के 55 सजायाफ्ता बंदियों द्वारा जीवन में पहली बार ऑनलाईन परीक्षा दी गई। इनमें अनेक बंदी ऐसे भी थे, जिन्होंने कभी कम्प्यूटर भी नहीं देखा था। दोपहिया वाहन मरम्मत, ट्रेक्टर मैकेनिक, वायरमेन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स (घरेलू उपकरण मरम्मत) जैसे ट्रेड्स की परीक्षाओं में 51 बंदी प्रथम श्रेणी में तथा दो बंदी द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। दो बन्दियों का एक-एक विषय रूका। जिन बन्दियों ने विभिन्न ट्रेड्स में ट्रेनिंग प्राप्त की। उनमें टूव्हीलर मरम्मत में बृजेन्द्र त्रिपाठी ने प्रथम, वायरमेन ट्रेड में बाबूलाल मालवीय ने द्वितीय तथा गोविन्द रमेशचन्द्र ने तृतीय रेंक प्राप्त की। इलेक्ट्रॉनिक्स में रोशन बालकिशन ने चतुर्थ रेंक अर्जित की। इस बार अब इन बंदियों के रिजल्ट को देख नए सत्र के लिए 108 कैदियों ने आईटीआई में प्रवेश लेने के लिए आवेदन किये है। जबकि सीट सिर्फ 84 ही है।

       गौरतलब है कि वर्ष 2016 में प्रदेश में पहली बार केन्द्रीय जेल स्तर पर पुरूष बन्दियों के लिये उज्जैन जेल में आईटीआई सेन्टर की स्थापना की गई थी। इसमें चार ऐसे ट्रेड्स चुने गये, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें और कम लागत में स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ किया जा सके।

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