देशज में छ: राज्यों के कालाकारों ने बांधा समां
उज्जैन | संकुल हॉल में चल रहे देशज उत्सव में तीसरे दिन छह राज्यों के कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र की लोक कलाओं की प्रस्तुति से दर्शकों को मुग्ध कर दिया।
शुक्रवार शाम कन्नूर (केरला) से आए के.चंद्रमरार एवं दल ने पंच वाद्यम की पहली प्रस्तुति दी। टिमिला, मछालम्, इलाथलम् सहित पांच वाद्य यंत्रों के साथ यह प्रस्तुति दी गई। इनके बाद सिरमौर (हिमाचल प्रदेश) के देवेंद्र ठाकुर एवं दल ने सिरमौरी नाटी नृत्य की प्रस्तुति दी। तीसरी प्रस्तुति में आईजोल (मिजोरम) के लाल वॉम्जोला पौतु एवं दल ने सरलामकई नृत्य की प्रस्तुति दी। युद्ध के पूर्व उत्सव के रूप में दुश्मन के सिर लाने वाली भंगिमाओं के साथ रंगीन परिधानों में यह नृत्य किया जाता है। चौथी प्रस्तुति में गंजम (ओडिशा) के त्रिलोचन साहू एवं दल ने बाघ नाट नृत्य किया। दक्षिणी क्षेत्र उड़ीसा में आदिवासी अपने शरीर पर बाघ की भांति पेंट करके युद्ध व शिकार की मुद्राओं में यह नृत्य करते हैं। पांचवी प्रस्तुति में डिंडोरी (मप्र) के मुरालीलाल एवं दल ने गुदुम बाजा नृत्य किया। सांगली (महाराष्ट्र) से आए अनिल खोलेकर व दल ने महाराष्ट्र के कोली नृत्य की प्रस्तुति दी। मछुआरा समाज द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य पूरे भारत में प्रसिद्ध है।