देवभाषा संस्कृत को संरक्षित रखना आज एक बड़ी चुनौती
उद्योग मंत्री श्री शुक्ल शहडोल में संस्कृत भारती की संगोष्ठी में वाणिज्य-उद्योग, रोजगार तथा खनिज साधन मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि देवभाषा संस्कृत को संरक्षित रखना आज एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा के इस युग में संस्कृत ही नहीं, हिन्दी को भी संरक्षित करने और बचाने की एक बड़ी जिम्मेदारी है। श्री शुक्ल शहडोल में संस्कृत भारती की संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। श्री शुक्ल ने कहा कि संस्कृत भारती द्वारा वर्तमान चुनौतियों के बीच देवभाषा संस्कृत के संरक्षण, प्रचार-प्रसार और संवर्धन के लिये इस प्रकार के आयोजन करना प्रशंसनीय पहल है। उन्होंने कहा कि हम विश्व गुरु की आसंदी पर बैठेंगे और दुनिया हमारे नेतृत्व को स्वीकार करेगी। उद्योग मंत्री ने कहा कि कई देश हमसे विकास और औद्योगीकरण के क्षेत्र में अग्रणी हो सकते हैं, किन्तु हमारी सांस्कृतिक विरासत के समक्ष बौने नजर आते हैं। श्री शुक्ल ने कहा कि हमने संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर विपुल भौतिक संसाधनों का विकास तो किया है, मगर सांस्कृतिक चेतना और विरासत के समक्ष सभी नगण्य नजर आते हैं। उद्योग मंत्री ने कहा कि विकास की दौड़ में भारत से कई देश आगे निकल गये हैं, किन्तु हमारी संस्कृति के सामने वे नतमस्तक नजर आते हैं। साथ ही सांस्कृतिक तौर पर भी वे काफी पीछे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जो अंतरआत्मा को छूती है। हमें देवभाषा संस्कृत पर गर्व है। सभी को इसके संरक्षण और संवर्धन के लिये आगे आकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि देश को तोड़ने वाले सक्रिय हैं, तो इसे बचाने वाले भी सीना तानकर खड़े हैं। श्री शुक्ल ने कहा कि देवभाषा संस्कृत को संरक्षित रखने और उसे जन-जन की भाषा बनाने के लिये भी आगे आकर पहल करना होगी। संस्कृत ही नहीं आज हिन्दी भाषा के समक्ष भी निरंतर चुनौतियाँ खड़ी हो रही हैं। इनका सामना करते हुए देवभाषा और हिन्दी के संवर्धन के लिये आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि आज अंग्रेजियत का सामना करने के लिये देश के कई संगठन संस्कृत और हिन्दी को बचाने के लिये प्रहरी तैयार कर रहे हैं। इस मौके पर विधायक श्रीमती प्रमिला सिंह, उपाध्यक्ष जिला पंचायत श्रीमती पूर्णिमा तिवारी सहित अनेक जन-प्रतिनिधि मौजूद थे। मुकेश मोदी