उज्जैन जेल आईटीआई परीक्षाओं में 51 बन्दी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण
उज्जैन । उज्जैन स्थित केन्द्रीय जेल में आईटीआई की विभिन्न ट्रेड में 51 बन्दियों ने प्रथम श्रेणी तथा दो बन्दियों ने द्वितीय श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में प्रदेश में पहली बार केन्द्रीय जेल स्तर पर पुरूष बन्दियों के लिये उज्जैन जेल में आईटीआई सेन्टर की स्थापना की गई थी। इसमें चार ऐसे ट्रेड्स चुने गये, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें। कम लागत में स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ किया जा सके। अधीक्षक केन्द्रीय जेल ने बताया कि सीमित वित्तीय संसाधनों और कम समय में आईटीआई की स्थापना की गई। अध्यापन के लिये मेहमान अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई। क्लास रूम्स तथा प्रयोगशालाएं भी बनाई गईं। निरूत्साहित अवसादग्रस्त युवा बन्दियों की लगातार काउंसिलिंग कर उन्हंा एडमिशन के लिये प्रेरित किया गया। छह महीनों की लगातार मेहनत के बाद गत माह चारों ट्रेडों के 55 सजायाफ्ता बन्दियों द्वारा जीवन में पहली बार ऑनलाइन परीक्षा दी गई। इनमें अनेक बन्दी ऐसे थे, जिन्होंने कभी कम्प्यूटर देखा भी नहीं था। दोपहिया वाहन मरम्मत, ट्रेक्टर मैकेनिक, वायरमेन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स (घरेलू उपकरण मरम्मत) जैसे ट्रेड्स की परीक्षाओं में प्रथम 51 बन्दी प्रथम श्रेणी में तथा दो बन्दी द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। दो बन्दियों का एक-एक विषय रूका। जिन बन्दियों ने विभिन्न ट्रेड्स में ट्रेनिंग प्राप्त की उनमें टूव्हीलर मरम्मत में बृजेन्द्र त्रिपाठी ने प्रथम, वायरमेन ट्रेड में बाबूलाल मालवीय ने द्वितीय तथा गोविन्द रमेशचन्द्र ने तृतीय रेंक प्राप्त की। इलेक्ट्रॉनिक्स में रोशन बालकिशन ने चतुर्थ रेंक अर्जित की। अधीक्षक ने बताया कि जेलें सुधार गृह में तब्दील हो रही हैं। उज्जैन संभाग के वे सभी बन्दी, जिनसे कतिपय कारणों से आपराधिक कृत्य घटित हुआ था और उन्हें कानून द्वारा दण्डित कर आजीवन कारावास की सजा दी गई है, वे अपनी गलती का पश्चाताप कर रहे हैं। उज्जैन जेल में बन्दियों के शैक्षणिक विकास, नैतिक उत्थान, कौशल उन्नयन के लिये विभिन्न सुधारात्मक गतिविधियों का योजनाबद्ध तरीके से संचालन किया जा रहा है।