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‘एक देश, एक टैक्स’ का नाम ही ‘जीएसटी’ है


उज्जैन । जीएसटी को लेकर पूरे देश में एक उत्सुकता है। लोग यह समझना चाहते हैं कि जीएसटी आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार क्यों माना जा रहा है। जीएसटी के स्वरूप एवं जीएसटी के फायदे और जीएसटी में टैक्स की वसूली और रिटर्न भरने की प्रक्रिया के बारे में केन्द्र सरकार के वित्तीय सेवा सचिव श्री हंसमुख अढिया ने विस्तृत जानकारी देते हुए जीएसटी की व्याख्या की है। श्री हंसमुख अढिया ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा वर्तमान में कई अलग-अलग वस्तुओं पर उत्पाद शुलक, अतिरिक्त उत्पाद शुलक, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त शुलक आदि नाम से अलग-अलग टैक्स लगाये जाते हैं। साथ ही सेवा के ऊपर सर्विस टैक्स लगाया जाता है। राज्य सरकार द्वारा वैट, केन्द्रीय बिक्री कर, खरीद कर, मनोरंजन कर, लॉटरी टैक्स, चुंगी कर, प्रवेश कर आदि नाम से अलग-अलग टैक्स लगाये जाते हैं। इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग प्रकार के सेस या अधिभार भी लगाया जाता है। जीएसटी में अब यह सब अलग-अलग कर समाप्त हो जायेगा और सिर्फ एक टैक्स जीएसटी रहेगा, जो हर वस्तुओं एवं सेवा के ऊपर लगेगा। एक वस्तु पर जो भी जीएसटी का टैक्स रेट होगा, वह पूरे भारत में एक दर से लगेगा। बड़ी संख्या में केन्द्र और राज्यों द्वारा लगाये जा रहे करों को मिलाकर अकेला एक कर बना दिये जाने से अनेकानेक कर और दोहरे कराधान की समस्या हल हो जायेगी और एकीकृत राष्ट्रीय बाजार के लिये रास्ता साफ हो जायेगा। उपभोक्ता की दृष्टि से देखें तो सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि वस्तुओं पर लगने वाले कर के बोझ में कमी आ जायेगी। आज यह कर बोझ 25 से 30 प्रतिशत के बीच है। जीएसटी के लागू किये जाने से भारतीय उत्पादक घरेलू तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। किये गये अध्ययनों से पता लगता है कि इससे आर्थिक विकास पर बहुत ही उत्साहजनक प्रभाव पड़ेगा। संविधान में जीएसटी मसले में रेट सहित सभी महत्व के बिन्दु पर महत्वपूर्ण मसले के ऊपर निर्णय लेने का अधिकार जीएसटी काउंसिल को दिया गया है। काउंसिल की मीटिंग में अब तक जो निर्णय हुए हैं, उनमें मुख्य निर्णय ये है कि वस्तुओं को चार रेट में से किसी एक रेट का टैक्स लगेगा। ये चार रेट 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। इसके अलावा कुछ वस्तु एवं सेवा ऐसी भी है, जिनके ऊपर कोई टैक्स नहीं लगेगा। सोना, चांदी और उससे बनें आभूषणों के ऊपर एक विशेष रेट होगा, जो अभी तय होना बाकी है। एक्सपोर्ट करने वाले आयटम में जो भी टैक्स देश के अन्दर चुकाया होगा, उसका पूरा रिफण्ड मिलेगा। आयात की गई वस्तु पर कस्टम ड्यूटी के अलावा उतना ही जीएसटी लगेगा, जितना देश के अन्दर जीएसटी उस वस्तु के लिये है। जीएसटी लागू करने के बाद व्यापारियों एवं उत्पादकों को अब एक ही टैक्स की प्रक्रिया करनी होगी। सबसे बड़ा फायदा छोटे व्यापारियों को दिया गया है। अभी देश के ज्यादातर राज्य में 10 लाख से ऊपर वाले व्यापारियों को वैट भरना पड़ता है। जीएसटी में विशेष कैटेगरी के पहाड़ी राज्यों को छोड़कर बाकी सब राज्यों में ये लिमिट 20 लाख कर दी गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि जिस व्यापारी का वार्षिक टर्नओवर 10 लाख से 20 लाख के बीच में था, उसे अब कोई टैक्स नहीं देना होगा, न ही उसके लिये रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य होगा। अभी वैट सर्विस टैक्स, एक्साईज नम्बर जिनके पास है, उनमें से ज्यादातर लोगों का पंजीयन जीएसटी प्रक्रिया में हो चुका है। महीने में एक बार मुख्य रिटर्न जीएसटी में हर व्यापारी को महीने में एक बार मुख्य रिटर्न भरना होगा और अपने टैक्स की अदायगी करना होगी। किसी भी माल या सेवा के ऊपर जो भी टैक्स चुकाना है, उसमें से खरीददार को लगा जो टैक्स भर दिया गया है, उसकी पूरी इनपुट टैक्स क्रेडिट हर व्यापारी को ऑटोमैट्रिक मिलेगी। रिटर्न फाइल करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। अगर व्यापारी अपने हिसाब-किताब जीएसटीएन द्वारा दी गई एक्सेल शीट में रखेंगे तो हर महीने हर महीने हिसाब-किताब अपने आप ऑफलाइन टूल की मदद से रिटर्न में परिवर्तित हो जायेगा। अगर कोई व्यापारी अपना पूरा सामान सिर्फ खुदरा ग्राहक को बेचता है (बी टू सी), तो ऐसे व्यापारी का रिटर्न बहुत ही सरल होगा, जिसमें रेटवाइज टर्न ओवर दिखाना होगा। अगर कोई व्यापारी, जो कम्पोजिशन स्कीम का लाभ उठाता है और जिनका टर्न ओवर 50 लाख से कम है, तो ऐसे व्यापारी को हर महीने में नहीं, बल्कि तीन माह में रिटर्न भरना होगा, जिसमें अपना टोटल टर्न ओवर दिखाना होगा। ऐसे व्यापारी, जो बिजनेस टू बिजनेस माल बेच रहे हैं, उनको अपने बिक्री कर की पूरी डिटेल रिटर्न में देना होगी। हर व्यापारी जब अपनी सेल्स की डिटेल महीने की 10 तारीख तक जीएसटी की वेब साइट पर रिटर्न फार्म में डालेगा, तो उसके द्वारा की गई खरीददारी की डिटेल अपने आप खरीददारों को अपनी जीएसटीआर-2 में दिख जायेगी। बिजनेस टू बिजनेस ट्रांजेक्शन में एक ऐसी व्यवस्था की गई है, जिसका इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्सल यानी जो व्यापारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिली है, उसको लौटाने का काम होगा। इसके बारे में काफी लोगों ने चिन्ता जताई है, लेकिन अगर पूरी प्रक्रिया को समझा जाये तो वे उसका पूरा समर्थन करेंगे। अर्थात व्यापारी ने जिससे माल खरीदा है और उन्होंने वह ट्रांजेक्शन अपने रिटर्न में महीने की 10 तारीख तक दिखा दिया है तो व्यापारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल जायेगी। हर व्यापारी का यह फर्ज है कि ऐसे ही व्यापारियों के साथ व्यवहार करें, जो व्यापारी से टैक्स वसूल करने के बाद सरकार में इसको जमा करवाये। प्रत्येक व्यापारी के डिफाल्ट के आधार पर उनको एक कम्प्लाएंस रेटिंग भी दी जायेगी, जिसको अन्य सभी व्यापारी देख पायेंगे। इससे बार-बार डिफाल्ट करने वाले व्यापारी से व्यापार करने में अन्य लोग सचेत हो जायेंगे।

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