बाढ़ नियंत्रण की पुख्ता योजना बने तथा सख्त क्रियान्वयन हो
उज्जैन | उज्जैन संभाग में 04 ऐसी सिंचाई परियोजनाएं हैं, जो निकास द्वारों द्वारा संचालित हैं तथा जलाशयों में पानी बढ़ने की स्थिति में इनका पानी डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जाता है। इनमें से 03 संभाग के मंदसौर जिले में संचालित हैं तथा 01 रतलाम जिले में। मंदसौर जिले में चंबल नदी पर गांधी सागर बांध वृहद परियोजना, रेतम नदी पर काकासाहेब गाडगिल सागर एवं रेतम बैराज सिंचाई परियोजना तथा रतलाम जिले में झामड़ नदी पर धोलावड़ जलाशय परियोजना संचालित है। इसके अलावा संभाग के देवास जिले के लगभग 02 दर्जन गांव इंदिरा सागर परियोजना के बैक वॉटर से प्रभावित होते हैं। बरसात के मौसम में इन सब परियोजनाओं के गेट खुलने तथा अत्यधिक पानी छोड़े जाने से डाउन स्ट्रीम (निचले इलाके के क्षेत्र) में पानी भरने से जन-धन को हानि होने की आशंका रहती है। ऐसे में संभाग में 01 पुख्ता बाढ़ नियंत्रण योजना बनाए जाने तथा उस पर सख्ती से अमल किए जाने की आवश्यकता है। संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने आज शुक्रवार को इसी सम्बन्ध में संभाग के सभी सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों की एक मैराथन बैठक लेकर इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता पर किए जाने के निर्देश दिए। बैठक में आईजी उज्जैन रेंज श्री राकेश गुप्ता, डीआईजी रतलाम रेंज श्री अविनाश शर्मा, उज्जैन जिले के प्रभारी कलेक्टर श्री आशीष सिंह सहित संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक सहित सिंचाई विभाग, जल संसाधन विभाग, होमगार्ड विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, लोक निर्माण विभाग आदि सभी सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। संभागायुक्त ने दिए ये 05 निर्देश बैठक में बाढ़ नियंत्रण के सम्बन्ध में संभागायुक्त ने 05 प्रमुख निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी सम्बन्धितों को उन सभी सिंचाई योजनाओं की जानकारी होनी चाहिए, जिनसे बारिश के समय बाढ़ का पानी छोड़ा जाता है। दूसरा जल संसाधन विभाग योजनाओं के डाउन स्ट्रीम क्षेत्रों में पानी छोड़े जाने पर वहां पानी के फैलाव को चिन्हित कर लें। तीसरा डाउन स्ट्रीम क्षेत्र में आने वाले इलाकों में धार्मिक आयोजन, स्नान आयोजन आदि की पूरी जानकारी रखी जाए, जिससे उन दिनों में पानी न छोड़ा जाए। चौथा सिंचाई योजनाओं से पानी छोड़े जाने के पर्याप्त पूर्व सारे क्षेत्र में इसकी चेतावनी समुचित रूप से दे दी जाए। तथा पांचवा पुलिस एवं राजस्व विभाग द्वारा जल की निकासी की सूचना मिलते ही समस्त सुरक्षात्मक उपाय कर लिए जाएं। गांधी सागर बांध वृहद परियोजना संभागायुक्त ने बैठक में संभाग की चारों सिंचाई परियोजनाओं में बाढ़ नियंत्रण के उपायों की एक-एक कर चर्चा की तथा निर्देश प्रदान किए। बताया गया कि गांधी सागर बांध का अधिकतम जलस्तर 1312 फीट है। इसमें 08 फीट अधिक जलस्तर हो जाने पर बाढ़ की आशंका रहती है तथा ऐसे में इसके पानी की निकासी 10 गेटों के द्वारा की जाती है, जिनकी अधिकतम जल निकासी क्षमता 13 हजार 705 क्यूमैक्स (4 लाख 84 हजार क्यूसेक्स) है। निकासी के जल का फैलाव नदी के दोनों तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियां होने से नदी में ही रहता है। ये क्षेत्र आबादी विहीन होने के कारण इनमें कोई धार्मिक आयोजन 15 जून से 15 अक्टूबर तक नहीं होता है। संभाग के मंदसौर जिले के भानपुरा व गरोंठ क्षेत्रों में इसके पानी जाने की आशंका रहती है, जहां इससे लगभग 381 मकान प्रभावित हो सकते हैं। गांधी सागर बांध पर जल निकासी के समय पुलिस का मुख्य काम होता है बाढ़ क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करना। काकासाहेब गाडगिल बांध मंदसौर जिले में रेतम नदी पर काकासाहेब गाडगिल सागर है। बांध का अधिकतम जलस्तर 460.80 मीटर है। अधिकतम जलस्तर से 01 फुट कम पानी होने पर ही बांध के गेट खोल दिए जाते हैं, जिससे निकासी क्षेत्र में आने वाले गांवों में पानी न भर पाए। इसकी डाउन स्ट्रीम में 22 गांव आते हैं, इन सभी गांवों में लाल पेन्ट से मार्किंग की जाती है तथा लगातार पेट्रोलिंग की जाती है। इस क्षेत्र में 15 जून से 15 अक्टूबर तक कोई धार्मिक आयोजन स्नान आदि नहीं होते। इसके 09 जल द्वारों की अधिकतम निकासी क्षमता 02 हजार 549 क्यूमैक्स (90 हजार क्यूसेक्स) है। बाढ़ से निकासी की सूचना प्राप्त होने पर महू-नीमच रोड एवं जीरन-मल्हारगढ़ रोड की पुलिया पर बांध स्थल पर पुलिस एवं राजस्व विभाग द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। रेतम बैराज मध्यम सिंचाई परियोजना रेतम बैराज मध्यम सिंचाई परियोजना मंदसौर जिले में रेतम नदी पर बनी हुई है। बांध का अधिकतम जलस्तर 427.5 मीटर होने के पूर्व ही 01 फुट नीचे पानी होने पर बांध के गेट खोल दिए जाते हैं। इसके डाउन स्ट्रीम क्षेत्र में 11 गांव आते हैं, इन सभी में रैड मार्किंग किए जाकर निरन्तर पेट्रोलिंग की जाती है। यहां भी जून से अक्टूबर तक कोई भी धार्मिक आयोजन अथवा स्नान आदि नहीं होते हैं। योजना के 24 रेडियल जल द्वारों से अधिकतम एक बार में 03 हजार 815 क्यूमैक्स (01 लाख 34 हजार 725 क्यूसेक्स) जल की निकासी हो सकती है। जल निकासी की सूचना पर पिपल्यामंडी से जावद रोड की पुलिया पर बांध स्थल पर पुलिस एवं राजस्व विभाग द्वारा चौकसी की जाती है। धौलावड़ जलाशय मध्यम सिंचाई परियोजना रतलाम जिले में झामड़ नदी पर धोलावड़ जलाशय निर्मित है। इसका अधिकतम जलस्तर 395 मीटर है। यहां भी अधिकतम जलस्तर के पूर्व ही बांध के गेट खोल दिए जाते हैं। इसकी डाउन स्ट्रीम में 18 गांव आते हैं, जहां एचएफएल (हाई फिलिंग लेवल) अर्थात अधिकतम जलस्तर की मार्किंग की जाती है। इसके डाउन स्ट्रीम के क्षेत्र में कोई धार्मिक मेले आदि आयोजित नहीं किए जाते हैं। वर्षाकाल में 06 रेडियल जल द्वारों से अधिकतम 1472 क्यूमैक्स (52 हजार क्यूसेक्स) एक बार में पानी छोड़ा जा सकता है। देवास जिले के 29 गांव होते हैं नर्मदा के जल से प्रभावित यद्यपि इंदिरा सागर परियोजना उज्जैन संभाग में नहीं है तथापि इस परियोजना का पानी 262 फीट ऊंचाई तक बढ़ने पर इसका बैक वॉटर देवास जिले के 17 गांवों को प्रभावित करता है, जिनमें कन्नौद तहसील के 07 तथा बागली तहसील के 10 गांव शामिल हैं। इसके अलावा नर्मदा के जल से देवास जिले की खातेगांव तहसील के 12 और गांव प्रभावित होते हैं। संभागायुक्त श्री ओझा ने देवास कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी को निर्देश दिए कि इन सभी क्षेत्रों में बारिश से पूर्व सभी सुरक्षात्मक उपाय कर लिए जाएं। सभी आवश्यक उपकरण क्रय कर लें संभागायुक्त श्री ओझा ने होमगार्ड विभाग को निर्देश दिए कि बाढ़ नियंत्रण एवं बचाव में लगने वाले सभी आवश्यक उपकरण अभी से क्रय कर लें। आवश्यकता अनुसार नाव, लाइफ जैकेट्स, रस्सी, टायर, टॉर्च आदि सारी सामग्री समय से क्रय कर ली जाए। बताया गया कि इसके लिये संभाग में लगभग 50 लाख का आवंटन शासन की ओर से प्राप्त हुआ है। बचाव के लिये दल तैयार रहें आईजी श्री राकेश गुप्ता ने कहा कि बाढ़ के वक्त बचाव के लिये बचाव दल सभी आवश्यक सामग्री के साथ तैयार रहे। मोटरबोट, नावें, गोताखोर, टायर, रस्सा, लाइट आदि सभी की व्यवस्था रहे। राहत शिविरों में पीने के पानी, खाद्य सामग्री के साथ ही प्रकाश की अच्छी व्यवस्था हो। संभागायुक्त ने कहा कि यदि राहत स्थल पर लाइट न हो तो वहां जनरेटर की व्यवस्था अभी से कर ली जाए। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ (बाढ़ बचाव सुरक्षा दल) का 01 दल संभागीय मुख्यालय पर बारिश के दौरान बुलवाए जाने की कार्रवाई की जाए। कमजोर जलाशयों की मरम्मत कराएं संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि संभाग के सभी जिलों में ऐसे जलाशय, जिनकी कोई दीवार टूटने की आशंका हो, उनकी तुरन्त मरम्मत करा ली जाए। बारिश से पहले पुलों पर बेरिकेटिंग तथा बैरियर्स की व्यवस्था कर ली जाए। लोक निर्माण विभाग की ओर से वहां कर्मचारी तैनात रहे। बाढ़ कंट्रोल रूम में विद्युत विभाग के व्यक्ति को रखे जाने के निर्देश भी दिए गए। संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि बरसात से पहले ही सभी स्टापडेम के कड़ी-शटर निकलवा दिए जाएं, जिससे बारिश में स्टापडेम टूटे नहीं।