पांच प्रांतों के कलाकारों ने लोक कलाओं से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
Ujjain @ कालिदास अकादमी में पांच प्रांतों के कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र की लोक कलाओं को मंच पर उतार दिया। संगीत नाटक अकादमी नईदिल्ली और कालिदास संस्कृत अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में संकुल हॉल में देशज भारत की लोक एवं पारंपरिक अभिव्यक्तियों का उत्सव की शुरुआत हुई।
स्थानीय कलाकारों के अलावा चार अन्य राज्यों के कलाकारों ने भी विभिन्न शैलियों में अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मुग्ध कर दिया। पंजाब का गिद्दा नृत्य और तमिलनाडु के पोईक्कल कुदुराई अट्टम नृत्य के अलावा अन्य कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से खूब तालियां बटोरी। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कमल जैन ने कार्यक्रम में लाइड एंड साउंड इफेक्ट का संयोजन किया। शुरुआत में इंदर सिंह बैस व उनके दल के 13 कलाकारों ने मटका, तंबूरा, घुंघरू, ताशा, नगाड़ा, ढोल, ढोलक, खंजरी, मुकचन लोक वाद्य यंत्रों के साथ वाद्यों की जुगलबंदी कर ताल वाद्य कचहरी की प्रस्तुति दी।
दूसरी प्रस्तुति में राजनांदगांव की लता खापर्डे व उनके दल ने छत्तीसगढ़ी सुवा डंडा नृत्य की प्रस्तुति दी। एक दर्जन कलाकारों ने करूण, हास्य और शृंगार रस से परिपूर्ण ताना-बाना की प्रस्तुति दी। इसके बाद मुक्तसर (पंजाब) के अर्शनजोत कौर व उनके दल ने गिद्दा नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को मुग्ध कर दिया। पहले दिन की आखिरी प्रस्तुति में राधापुर (त्रिपुरा) के परिमल देब बर्मा एवं दल ने लेबांगबूमानी नृत्य की प्रस्तुति दी।