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चंबल पर इंटकवेल के विरोध में ग्रेसिम के कर्मचारियों ने घेरा अधीक्षण यंत्री कार्यालय


कर्मचारियों ने कहा चंबल बांध से पानी दिया तो ग्रेसिम साल में 6 माह बंद रहने लगेगा-50 हजार लोगों के सामने भूखमरी का संकट आएगा उज्जैन। प्रस्तावित निनावटखेड़ा डेम की बजाय अचानक षड़यंत्र पूर्वक चंबल बांध क्रमांक 1 पर इंटकवेल निर्माण के विरोध में ग्रेसिम के कर्मचारियों ने संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा के नेतृत्व में लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग उज्जैन मंडल के कार्य निर्वाहक यंत्री के कार्यालय का घेराव किया। कर्मचारियों ने कहा कि पहले ही नागदा नगर पालिका, खाचरौद शहर तथा रेलवे बांध से पानी लेता है ऐसी स्थिति में साल में एक माह उद्योग बंद करने की स्थिति आ जाती है। नया इंटकवेल बनने से सरकार 22 गांवों को पानी देने की योजना बना रही है। लेकिन ऐसे में उद्योग उद्योग साल में 5 से 6 महीने बंद करने की कगार पर आ जाएगा और 50 हजार लोगों के सामने भूखमरी की नौबत आ जाएगी। 50 साल पुरानी ग्रेसिम इंडस्ट्रीज बिरलाग्राम नागदा के मजदूर पिछले 20 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। मोर्चा के अशोक गुर्जर के अनुसार फैक्ट्री में 5-6 साल से पानी की कमी के कारण एक माह से दो माह तक उद्योग बंद होने लगा है। पिछले साल भी एक माह के लिए बंद हुआ था। मध्यप्रदेश सरकार ने 22 गांव को पानी पिलाने की योजना को मंजूरी दी हम उसके विरोध में नहीं हैं हम चाहते हैं कि हर गांव को पानी मिलना चाहिये। लेकिन जो सुरक्षित डेम ग्रेसिम इंडस्ट्रीज के द्वारा बना हुआ है जिसमें पहले से ही खाचरौद शहर को रेलवे को तथा नागदा नगर पालिका को पानी मिलता है और बचे हुए पानी से उद्योग चलता है। अब मध्यप्रदेश सरकार के जल निगम ने एक नई योजना के अंतर्गत ग्रेसिम में बने डेम में नया इंटक वेल बनाने का काम शुरू किया है। यदि इसी डेम से 22 गांवों को पानी दिया गया तो उद्योग 4 से 6 महीने तक बंद हो जाएगा और वहां 10 हजार मजदूर और उनसे जुड़े 50 हजार लोगों के सामने भूखमरी की स्थिति आ जाएगी। इंटक के विजयसिंह रघुवंशी, जागेश्वर शर्मा, बीएमएस के जौधसिंह राठौड़, अशोक गुर्जर, एचएमएस के जगमालसिंह राठौड़, राजेन्द्र अवाना, एटक के हदयचंद, जाहिद खान, सीटू के लल्लन प्रसाद, नंदकिशोर आलड़िया ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि इंटकवेल निर्माण कार्य को तुरंत रोक दिया जाए। अल्टीमेटम दिया, अब होगा उग्र प्रदर्शन प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि 20 दिन से शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा है अब भी इंटकवेल निर्माण कार्य नहीं रोका तो नागदा में उग्र आंदोलन होगा उसकी संपूर्ण जवाबदारी शासन प्रशासन और पीएचई की होगी। डेम नंबर 1 से तुरंत इंटकवेल को हटवाया जाने हेतु बुधवार को अधीक्षण यंत्री कार्यालय पर अंतिम अल्टीमेटम देने आए थे। प्रस्तावित था निनावटखेड़ा डेम अशोक गुर्जर के अनुसार 22 गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा विरोधी नहीं है लेकिन इस पेयजल योजना के लिए शासन द्वारा प्रस्तावित निनावटखेड़ा डेम का निर्माण कर वहां से इन गांवों को पेयजल उपलब्ध कराया जाए। इससे शासन का अतिरिक्त खर्च नहीं होगा और मजदूरों की रोजी रोटी भी चलती रहेगी। पहले निनावटखेड़ा डेम प्रस्तावित था लेकिन अचानक षड़यंत्र कर चंबल बांध क्रमांक 1 पर इंटकवेल के निर्माण प्रारंभ कर दिया गया है। प्रदेश का एकमात्र निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा उद्योग ग्रेसिम उद्योग नागदा में स्थित है। उद्योग द्वारा चंबल नदी पर चार बांधों का निर्माण जल संग्रह के लिए किया गया है तथा पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए उद्योग द्वारा दो तालाबों का निर्माण किया गया है। इन सभी की जल संग्रह क्षमता 1033 एमसीएफटी है। उद्योग बंद होने से प्रदेश एवं केन्द्र सरकार को भी लगभग 1 करोड़ रूपया प्रतिदिन राजस्व की हानि होती है। पिछले 6 माह से नगर पालिका नागदा द्वारा भी पानी का दोहरा दोहन करते हुए पूर्व में दिये जा रहे एक समय जल प्रदाय की जगह दोनों समय जलप्रदाय करना प्रारंभ कर दिया गया है। साथ ही 14 किमी दूर स्थित खाचरौद नगर पालिका द्वारा भी राईजिंग लाईन को बदल कर बड़ी की जा चुकी है जिससे अधिक मात्रा में पानी का दोहन हो रहा है।

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