दो युवतियों को मिला नवजीवन, एक का हाथ कटा, दूसरी के पेट की थैली में पड़ गई गांठ-उज्जैन में ही हुआ सफल आॅपरेशन
उज्जैन। गंभीर बीमारी तथा हादसे का शिकार हुई दो युवतियों को उज्जैन में ही नया जीवन मिला और अब वे आम लोगों की तरह आनंदमयी जीवन जी सकेंगी। एक युवती का हाथ आरा मशीन में कट गया तो दूसरी के पेट की बीमारी से इस कदर पीड़ित थी कि गुजरात में भी इलाज नहीं हुआ और डाॅक्टरों ने मुंबई, दिल्ली जाने को कह दिया।
उज्जैन के सूरतनगर की निवासी पूनम उम्र 16 वर्ष 6 माह से पेट दर्द की बीमारी से परेशान थी। वह जो भी खाती थी वह उल्टी कर देती थी तथा उसका वजन भी लगातार कम हो रहा था। उसके परिजनों ने उज्जैन में कई चिकित्सकों से इलाज कराया पर आराम नहीं पड़ा। उसके परिजनों ने उसे गुजरात ले गए जहां से तकरीबन एम माह इलाज के बाद दिल्ली या मुंबई के लिए रैफर कर दिया। इलाज में 3 लाख का खर्च बताया। परिजन पूनम को गुजरात से वापस उज्जैन ले आये और यहां गुरूनानक अस्पताल मेें डाॅ. उमेश जेठवानी को दिखाया। जांच में पाया गया कि मरीज को खाने की थैली में गांठ पड़ गई थी। डाॅ. जेठवानी ने मरीज का आॅपरेशन डिस्टल ग्रेस्टे्रक्टाॅमी पध्दति से किया। अब पूनम स्वस्थ है और सामान्य व्यक्तियों की तरह खा रही है उसका वजन भी बढ़ रहा है। इसी प्रकार मक्सी निवासी भावना उम्र 18 वर्ष का हाथ हारे की मशीन में आकर कट गया था। जिसकी वजह से करीब एक लीटर खून बह गया था। मरीज के परिजनों ने उसे डाॅ. उमेश जेठवानी को दिखाया। डाॅ. जेठवानी ने मरीज का आॅपरेशन इमरजेंसी में माइक्रो वस्कुलर रिक्स्ट्रक्शन पध्दति से किया। पूनम की कटी हुई नसों को फिर से जोड़ दिया गया। डाॅ. जेठवानी के अनुसार इस तरह कटी हुई हाथ की नसों को 6 घंटे में ही जोड़ा जा सकता है, यदि बर्फ की थैली में कटे हुए हाथ को लाते तो 8 घंटे में जोड़ सकते हैं। इसके बाद संभावनाएं कम होती जाती हैं। भावना के परिजन हाथ कटने के 1 घंटे बाद ही अस्पताल ले आए थे जिसके कारण उसका हाथ हमेशा के लिए खो जाने के खतरे को टाला जा सका। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है और हाथ पहले जैसे काम कर रहा है।