बाघ शून्य हो चुके पन्ना ने कायम की फिर मिसाल
बाघ पुनस्थापना की तीसरी पीढ़ी आरंभ
बाघ शून्य हो चुके पन्ना में वर्ष 2009 में सफल बाघ पुनस्थापना ने विश्व वन्य-प्राणी जगत में हलचल मचा दी थी। इसने आज फिर इतिहास रचा है। कान्हा से लाई गई टी-2 बाधिन से अक्टूबर 2010 में जन्मी बाघ 213 की सन्तान 213-22 हाल में लगभग छह माह के अपने दो शावकों के साथ सरभंगा (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित चित्रकूट) के जंगल में नजर आई है। बाघ शावकों का यह जन्म इसलिए महत्वपूर्ण है कि बाघिन ने पन्ना टाईगर रिजर्व की सुरक्षित टेरिटरी से 125 किमी दूर जाकर स्वयं टेरिटेरी स्थापित कर शावकों को जन्म दिया है। बाघ पुनस्थापना की तीसरी पीढ़ी शुरू होते देखना बहुत रोमांचक और आल्हादकारी है। यह कहना है बाघ पुनस्थापना टीम के संस्थापक सदस्य और राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव श्री आर.श्रीनिवास मूर्ति का।
वन विभाग की मेहनत रंग लाई
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि आज यह बाघिन सुरक्षित है तो इसके पीछे पन्ना टाईगर रिजर्व और सतना टीम द्वारा महीनों की गई कड़ी निगरानी है। यह बाघिन, पन्ना के ही एक अन्य बाघ के साथ जनवरी 2016 में पन्ना से बाहर निकल गई थी। गले में कॉलर होने से पन्ना की टीम इसके पीछे जाकर लगातार निगरानी करती रही। हर तीन माह में स्टॉफ बदलता रहा परन्तु 2 हाथी और महावत ने लगातार काम किया। पन्ना टाईगर रिजर्व से बाहर जाकर बाघ का कुनबा बढ़ रहा है यह काफी उत्साहजनक है।
सुनीता दुबे