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नर्मदा नदी में न्यूनतम जल प्रवाह के लिये कानूनी प्रावधान किया जायेगा


 

नर्मदा सेवा कार्य-योजना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जारी करेंगे
नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण मंथन के समापन सत्र में मुख्यमंत्री श्री चौहान 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नर्मदा सेवा की कार्य-योजना आगामी 15 मई को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जारी की जायेगी। नर्मदा नदी में न्यूनतम जल के प्रवाह के लिये कानूनी प्रावधान किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण मंथन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, जल-पर्यावरण विशेषज्ञ जल पुरूष डॉ. राजेन्द्र सिंह, नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के न्यायिक सदस्य श्री दलीप सिंह, मुख्य सचिव श्री बी.पी.सिंह भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अब प्रदेश में कम पानी में ज्यादा सिंचाई के लिये ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा दिया जायेगा और नहरों से सिंचाई व्यवस्था को समाप्त किया जायेगा। प्रदेश की हर पंचायत में कम से कम एक जल संरचना बनाई जायेगी। नर्मदा तट के सभी निकायों की भागीदारी के लिये उनके द्वारा सीवरेज को नर्मदा में नहीं जाने का प्रस्ताव किया जायेगा। पंचायतों का सुदृढ़ीकरण किया जायेगा जिससे वो जलग्रहण क्षेत्र का प्रबंधन और सीवरेज का उपचार स्वयं कर सकें। नर्मदा तटों के संरक्षण और उन्हें कटाव से बचाने के लिये वृक्षारोपण के अलावा उपयुक्त घास और झाड़ियाँ भी लगायी जायेंगी। नर्मदा बेसिन में सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र बनाये जायेंगे, जिनमें प्रोत्साहन योग्य, नियंत्रण योग्य और प्रतिबंधित गतिविधियों के लिये स्पष्ट प्रावधान होंगे। नर्मदा नदी के क्षेत्र का स्पष्ट सीमांकन कर सीमा निर्धारित की जायेगी। कार्यक्रम की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिये बेसलाइन डाटा तैयार किया जायेगा।

ईको टूरिज्म और नदी पर्यटन को बढ़ावा दिया जायेगा। वैज्ञानिक तरीके से वैध उत्खनन का नियमन किया जायेगा। उद्योगों और स्थानीय निकाय से दूषित सामग्री का जीरो डिस्चार्ज नदी में हो इसकी नीति बनायी जायेगी। जैविक खेती के क्षेत्रफल को बढ़ाया जायेगा। जैविक खाद पर भी अनुदान दिया जायेगा। जैविक खाद का मानकीकरण किया जायेगा। नर्मदा घाटों पर शांत क्षेत्र और मेडिटेशन क्षेत्र बनाये जायेंगे। सभी प्रदूषण स्रोतों की जीआईएस मेपिंग की जायेगी। रिवर ज़ोन और फ्लड ज़ोन चिन्हित किये जायेंगे। अमरकंटक क्षेत्र में कोई उत्खनन नहीं होगा। नर्मदा किनारों के मास्टर प्लान में नदी संरक्षण का ध्यान रखा जायेगा। नर्मदा नदी को जीवित इकाई का दर्जा देने वाले अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये समिति बनाई जायेगी।

कार्यशाला में विभिन्न समूहों द्वारा प्रस्तुतिकरण दिया गया। नर्मदा सेवा मिशन की कार्य-योजना और क्रियान्वयन की नीतियों पर विचार के लिये गठित समूहों का प्रस्तुतिकरण अपर मुख्य सचिव श्री आर.एस.जुलानिया ने दिया। इस समूह ने नर्मदा नदी के तटों पर नैसर्गिक प्रजातियों का रोपण करने, जल के उपयोग की दक्षता पर काम करने, रसायनिक खाद के उपयोग को कम करने, वैज्ञानिक आधार पर उत्खनन नीति बनाने और नदी, जल संरक्षण के बारे में बच्चों को जागरूक करने का सुझाव दिया। नर्मदा नदी के संदर्भ में पर्यावरण संरक्षण और खाद्य सुरक्षा विषय पर गठित समूह का प्रस्तुतिकरण प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने दिया। इस समूह ने जल गुणवत्ता की सतत निगरानी और मॉनीटरिंग करने, विकास योजना में नदी संरक्षण के कार्यों को शामिल करने, प्राकृतिक जैविक खेती को प्रोत्साहन देने और समुदाय के माध्यम से वाटर बजटिंग करने के सुझाव दिये।

नर्मदा सेवा मिशन की वर्तमान व्यवस्था, प्रचलित अधिनियमों के संबंध में सुझाव और समाज की भूमिका के संबंध में गठित समूह का प्रस्तुतिकरण प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर श्री मनोज श्रीवास्तव ने दिया। इस समूह ने नर्मदा नदी प्रणाली के लिये एक विशेष अधिनियम बनाने, नर्मदा लोकपाल की स्थापना, नर्मदा की सहायक नदियों को भी जीवित इकाई का भी दर्जा देने, नर्मदा निधि की स्थापना करने, नर्मदा तट पर शांति क्षेत्र और मेडिटेशन क्षेत्र स्थापित करने के सुझाव दिये।

नर्मदा तथा उसकी सहायक नदियों के संरक्षण और संवर्धन की वर्तमान स्थिति पर गठित समूह का प्रस्तुतिकरण अपर मुख्य सचिव श्री रजनीश वैश ने दिया। इस समूह ने प्रदूषण के स्रोतों की जीआईएस मैपिंग करने, बायो डायवर्सिटी और सामाजिक सर्वेक्षण करने, खनन प्रबंधन करने, औद्योगिक निस्तार और ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन करने के सुझाव दिये।

नर्मदा नदी पर निर्भर अर्थ तंत्र और नदी के संसाधनों के उपयोग की वर्तमान स्थिति पर गठित समूह का प्रस्तुतिकरण श्री ए.के.गोसाई ने दिया। इस समूह ने नदी की इकोलॉजिकल सेवाओं की महत्ता की गणना करने, नदी की आर्थिक सेवाओं के प्रभाव का आकलन करने, नदी पर उत्खनन के प्रभावों, नदी से सिंचाई की दक्षता का आकलन करने के सुझाव दिये।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रम में श्री अमृतलाल बैगड़ की नर्मदा यात्रा पर केन्द्रित फिल्म और बायो-डायवर्सिटी बोर्ड की दो फिल्म का विमोचन किया। उन्होंने विश्व जल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के प्रतिवेदन का लोकार्पण भी किया।

भविष्य में नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण की रणनीति और समाधान के लिये हुए मंथन में अन्य ख्यातनाम विभूतियों में दिल्ली विश्वविद्यालय के जल विशेषज्ञ डॉ. शशांक शेखर, कांउसिल हिन्दी डॉट इंडिया वाटर पोर्टल की सुश्री मीनाक्षी अरोरा, गंगा अभियान के श्री हेमंत ध्यानी, आई.आई.टी. दिल्ली के प्रोफेसर ए.के.गोसाई, इन्टेक नई दिल्ली के श्री मनु भटनागर, वन्य-जीव, वन विशेषज्ञ श्री मनोज मिश्रा, बिहार के भागलपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के श्री सुनील चौधरी, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. एस.डी. अत्री, मौसम विशेषज्ञ श्री अजित त्यागी, पारंपरिक जल एवं पर्यावरण स्रोत विशेषज्ञ डॉ. संजय सिंह, जल संरक्षण एवं ग्रामीण विकास विशेषज्ञ श्री सुनील चतुर्वेदी ने रणनीति निर्माण, संरक्षण संबंधी समस्याओं, विभिन्न विषयों पर होने वाली समूह चर्चाओं में भाग लिया और प्रदेश सरकार की नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण के प्रति पहल का स्वागतऔर सराहना की।

चौधरी/एस.जे./अजय वर्मा

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