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मेहताखेड़ी (म.प्र.) में अनुसंधान से मानव उत्पत्ति और विकास के नये तथ्य मिलेंगे


"प्रोटेक्ट अवर प्री-हिस्टोरिक हैरीटेज" पर डेक्कन कॉलेज पुणे की पुरातत्वविद् प्रो. शीला मिश्र का व्याख्यान

उज्जैन । डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान द्वारा विश्व धरोहर दिवस-18 अप्रैल के अवसर पर "प्रोटेक्ट अवर प्री-हिस्टोरिक हैरीटेज" पर व्याख्यान आयोजित किया गया। आयुक्त पुरातत्व एवं जनसम्पर्क श्री अनुपम राजन की अध्यक्षता में राज्य संग्रहालय परिसर में इस व्याख्यान में डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इन्स्टीटयूट पूना की सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष पुरातत्वविद् प्रो. शीला मिश्र ने खरगोन जिले की मेहताखेड़ी पर नर्मदा घाटी के विशेष संदर्भ में केस स्टेडी प्रस्तुत की।

प्रो. मिश्र ने बताया कि मेहताखेड़ी में वर्ष 2009 में कराये गये उत्खनन में 50 हजार वर्ष प्राचीन मानव सभ्यता के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। वर्तमान में कराये जा रहे उत्खनन में यह तिथि 80 हजार वर्ष तक पहुँचने की संभावना है।

प्रो. मिश्र के अनुसार मेहताखेड़ी देश का एकमात्र ऐसा स्थल है जहाँ से आधुनिक मानव से संबंधित प्राचीनतम तिथि प्राप्त हुई है। यह स्थल आदिमानव से आधुनिक मानव तक के विकास संबंधी प्रमाणों को समाहित किये हुए हैं। अत: यहाँ का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नर्मदा घाटी का यह क्षेत्र मानव उत्पत्ति और विकास संबंधी अनुसंधान में नये तथ्यों को प्रकाश में ला सकता है। प्रो. मिश्र ने पुरातत्व धरोहरों को प्राकृतिक आपदाओं सहित मानवीय हस्तक्षेपों जैसे निर्माण कार्य, अतिक्रमण आदि से सुरक्षित रखने के लिये आवश्यक उपाय करने की आवश्यकता बताई।

डेक्कन कॉलेज की पोस्ट डाक्टोरल फैलो डॉ. नीतू अग्रवाल ने "पोटेन्शियल ऑफ एडवॉन्स साइंटिफिक मेथड टू अंडरस्टेन्ड द पास्ट" पर व्याख्यान दिया। उन्होंने मेहताखेड़ी में किये जा रहे उत्खनन में प्रयुक्त होने जा रही तिथि निर्धारण की अद्यतन तकनीकों पर प्रकाश डाला। व्याख्यान में पाषाण और मिट्टी की तिथि निर्धारण के लिये आप्टीकल स्टुमिलेटेड ल्यूमिलियेन्स विधि, कासमोजेनिक न्यूक्लाइड डेटिंग व इन्फ्रारेड विधि की जानकारी दी गई।

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