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आंतों की दुर्लभ बीमारी विल्की सिन्ड्रोम का उज्जैन में हुआ सफल आॅपरेशन



10 लाख लोगों में मात्र 2 या 3 व्यक्तियों को होती है यह बीमारी-18वीं शताब्दी से अब तक मात्र 400 से 500 मरीज ही आए सामने

उज्जैन। 10 लाख लोगों में से मात्र 2 या 3 लोगों को होने वाली बीमारी विल्की सिन्ड्रोम से ग्रसित एक युवकी का शहर के चिकित्सक ने सफल आॅपरेशन
कर इस दयनीय पीड़ा से मुक्ति दिला दी। 18वीं शताब्दी से अब तक मात्र 400 से 500 मरीजों में ही यह बीमारी सामने आई है।

कांता उम्र 16 वर्ष निवासी उपाड़ी 6 महीनों से पेट दर्द की समस्या से पीड़ित थी। वह जो भी खाती थी, कुछ देर बाद उल्टी कर देती थी। इस वजह से उसका वनज भी लगातार कम होता जा रहा था। कई जगह व चिकित्सकों से उपचार कराने के बाद भी जब उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उसे चिकित्सकों ने उसे दिल्ली-मुंबई के बड़े अस्पतालों में रैफर कर दिया। मरीज के परिजन उसे गुरूनानक अस्पताल में डाॅ. उमेश जेठवानी के पास लाए। डाॅ. जेठवानी ने मरीज की इस दुर्लभ बीमारी को डाइग्नोस कर दूरबीन पध्दति से लेप असिस्टेड ग्रेस्ट्रोजेजुनोस्टोमी से सफल आॅपरेशन किया। मरीज अब स्वस्थ है तथा सामान्य व्यक्तियों की तरह खाना खा रही है। डाॅ. उमेश जेठवानी के अनुसार इस बीमारी में आंतों की मुख्य धमनी एसएमए आंतों को दबाकर रूकावट पैदा करती है जिस वजह से मरीज को लगातार उल्टी होना, खाने का न पचना व लगातार वनज कम होता है। इस तरह की बीमारी का इलाज अभी तक देश के बड़े संस्थान  एम्स, पीजीआए चंडीगढ़ तथा बड़े कार्पोरेट अस्पतालों में ही संभव हो पाता था। वहीं इलाज में एक से डेढ़ लाख का खर्च आता था। वहीं गुरूनानक अस्पताल के डाॅ. जेठवानी ने यह आॅपरेशन उज्जैन में ही कम खर्च में कर दिखाया। अब तक इस प्रकार के इलाज का लाभ अमीर ही उठा पाते थे, लेकिन अब गरीबों को भी यह इलाज आसानी से शहर के गुरूनानक अस्पताल में मिल रहा है।

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