सुरक्षित भविष्य के लिये स्मार्ट वॉटर बजटिंग जरूरी
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा के मुख्य आतिथ्य और वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार की अध्यक्षता में 19 मार्च से आरंभ जल-वन-नर्मदा-भोपाल की थीम पर आधारित समग्र शासन की ओर जागरूकता अभियान पर दो-दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ। सत्र में अनेक महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकले। इनमें तेजी से बढ़ती आबादी के कारण भावी पीढ़ी के लिये शहरों में वॉटर बजटिंग, प्रकृति के साथ ताल-मेल स्थापित करना, प्रदेश की नदियों को भी गंगा-यमुना की तरह जीव घोषित करना, भूमि की जैव-विविधता क्षमता, उर्वरता को बचाये रखना आदि शामिल हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रकृति संरक्षण के प्रयासों में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी आवश्यक है। 'नमामि देवि नर्मदे''-सेवा यात्रा इसी दिशा में किया गया सार्थक प्रयास है।
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि रसायन के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो रही है। मिट्टी को पुन: अपनी प्राकृतिक उर्वरता प्राप्त करने में 500 वर्ष लगते हैं। इसी के चलते पंजाब के किसान आज पलायन को मजबूर हो रहे हैं। समय की माँग है कि हम अपनी मिट्टी की जैव-विविधता और उर्वरता को बचाकर रखें। पानी के दोहन के साथ उसको रिचार्ज करने के भी उपाय करें।
प्रख्यात नर्मदा मर्मज्ञ और साहित्य सृजक श्री अमृतलाल वेगड़ ने कहा कि आमतौर पर लोग मूल धन को बचाकर रखते हैं और ब्याज खर्च करते हैं। परंतु वर्तमान में हम प्रकृति द्वारा हमें सौंपे गये मूल को ही समाप्त करने लगे हैं, जिससे आने वाली पीढ़ी के लिये भयावह संकट खड़ा हो जायेगा। आवश्यकता है कि हम आज से ही सचेत होकर प्रकृति के साथ कदमताल मिलाकर चलें।
जैव-विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव श्री श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि कार्यशाला में जैव-विविधता समितियों को सुदृढ़ करने के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देने और विद्यालयीन पाठ्यक्रमों में शामिल करने की अनुशंसा की गयी है। कार्यक्रम में जैव-विविधता पर केन्द्रित 4 पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
अपर मुख्य सचिव वन श्री दीपक खाण्डेकर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अनिमेष शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल और प्रबंध संचालक राज्य वन विकास निगम श्री रवि श्रीवास्तव भी मौजूद थे।
सुनीता दुबे